उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हाथरस की घटना के बाद विपक्ष लगातार हमला कर रहा है। इस पर आगबबूला हुए योगी आदित्यनाथ ने भी अब मोर्चा संभाल लिया है। सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने विपक्ष पर प्रदेश में जातीय दंगा कराने की साजिश रचने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि यूपी में दंगा भड़काने के लिए विदेशी फंडिंग भी की जा रही है, जिसका अभी खुलासा हो चुका है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज विरोधी और राष्ट्र विरोधी लोगों को दंगाग्रस्त यूपी चाहिए था, उनकी कोशिशें सफल नहीं हो रही हैं इसलिए हर कोई षडयंत्र रच रहा है। बीजेपी सरकार में सबको सुरक्षा और सबको सम्मान दिया जाएगा।
उन्होंने टूंडला मंडल, सेक्टर एवं बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल संवाद करते हुए कहा कि विकास हर द्वार तक पहुंचाएंगे, लेकिन अराजकता की छूट किसी को नहीं मिलेगी और जो भी ऐसा करेगा उसपर कड़ा एक्शन लिया जाएगा।
टूंडला: मंडल, सेक्टर एवं बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल संवाद... https://t.co/qhtpAcLMqE
— Yogi Adityanath Office (@myogioffice) October 5, 2020
उन्होंने कहा हैं कि वे लोग नित नए षड्यंत्र बनाते रहते हैं। ताकि अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं। हमें ऐसे षड्यंत्रों से पूरी तरह से आगाह होकर विकास की प्रकिया को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। दंगे हुए तो विकास रुक जाएगा। योगी आदित्यनाथ ने इसके अलावा दूसरे ट्वीट में कहा कि संवाद के माध्यम से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान संभव है। ऐसे में नए उत्तरप्रदेश में सारी समस्याओं को समाधान वह सिर्फ संवाद है।
उल्लेखनीय है कि हाथरस में दलित युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और मौत के मामले में विपक्ष ने सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया है। सत्तारूढ़ भाजपा के एक प्रवक्ता का कहना है कि ''यह पूरी तरह विपक्ष की साजिश है। इसीलिए सीबीआई जांच की संस्तुति और नार्को-पालीग्राफ टेस्ट की जांच की घोषणा से बहुत से लोगों के होश उड़ गये हैं।
हाथरस गैंगरेप मर्डर के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर यूपी सरकार ने एक सनसनीखेज दावा किया है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा एजेसियों ने विरोध प्रदर्शन की आड़ में प्रदेश में जातीय दंगे भड़काने और सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने की बड़ी साजिश का खुलासा किया है।
सरकार के अनुसार वेबसाइट को इस्लामिक देशों से फंडिंग मिल रही थी। एम्नेस्टी इंटरनेशनल संस्था से भी इसके कनेक्शन पर जांच की जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों ने https://justiceforhathrasvictim.carrd.co/ नाम की एक वेबसाइट पकड़ी। इस पर पुलिस से बच निकलने और विरोध करने के तरीकों पर जानकारी दी जा रही थी। साथ ही अपील की जा रही थी कि लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में विरोध प्रदर्शन में शामिल हों। इनमें ये निर्देश भी दिए जा रहे थे कि दंगा भड़कने पर आंसू गैस के गोलों से और गिरफ्तारी से कैसे बचें।
इस पूरे मामले में पुलिस ने 3 अक्टूबर को आईपीसी और आईटी ऐक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि यह साइट दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद समेत देश के दूसरे हिस्सों में विरोध प्रदर्शन और मार्च आयोजित करने के लिए उकसा रही थी। महज कुछ ही घंटों में हजारों की संख्या में लोग फर्जी आईडी के जरिए इससे जुड़ गए। इसके बाद यूजर सोशल मीडिया पर हाथरस से जुड़ी अफवाहें और झूठी खबरें पोस्ट करने लगे। जैसे ही सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हुईं यह वेबसाइट बंद हो गई। लेकिन उस पर मौजूद मैटर एजेसियों के पास सुरक्षित है। इनमें फोटोशॉप की हुई कई फोटो, फेक न्यूज और एडिट किए हुए विजुअल हैं।
यूपी सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस वेबसाइट को इस्लामिक देशों से भारी मात्रा में आर्थिक मदद मिल रही थी। इसके अलावा एम्नेस्टी इंटरनेशनल संस्था से भी इसके कनेक्शन पर जांच की जा रही है। यह भी शक है कि सीएए विरोध में शामिल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) का इस वेबसाइट को तैयार करने और संचालित करने में हाथ रहा है।