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भारत चीन सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच तवांग हिंसक झड़प के बाद एलएसी पर एक बार फिर तनाव बढ़ा

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 13th December , 2022 03:08 pm

तवांग में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प के बाद इंडियन एयरफोर्स ने अरुणाचल सीमा पर कॉम्बैट एयर पेट्रोलिंग, यानी जंगी उड़ानें शुरू कर दी हैं। 9 दिसंबर को तवांग में हुई झड़प से पहले भी चीन ने अरुणाचल सीमा में अपने ड्रोन भेजने की कोशिश की थी। इसके बाद इंडियन एयरफोर्स ने तुरंत अपने लड़ाकू विमान अरुणाचल सीमा पर तैनात किए थे।

तवांग के करीब यांगत्से में LAC के पास दो इलाकों... होलीदीप और परिक्रमा एरिया में चीन भारतीय चौकियों का विरोध कर रहा है। पिछले कुछ हफ्तों में 2-3 बार इन चौकियों की तरफ बढ़ रहे ड्रोन को भारतीय लड़ाकू विमानों ने रोका है। सुखोई-30MKI ने ये एयर वॉयलेशन रोका था।

सूत्रों ने कहा कि अगर ड्रोन LAC की बराबरी में उड़ते हैं तो भारतीय सेना को इससे कोई परेशानी नहीं है। अगर कोई एयरक्राफ्ट या ड्रोन भारतीय सीमा की ओर उड़ान भरते हैं और हमारे रडार पर इनकी आक्रामक गतिविधि दिखाई देती है तो ये एयर वॉयलेशन होगा और इंडियन एयरफोर्स तुरंत एक्शन लेगी।

नॉर्थ ईस्ट में वायुसेना की मौजूदगी काफी मजबूत है। असम के तेजपुर और चाबुआ में कई जगहों पर सुखोई-30 की तैनाती है। राफेल फाइटर जेट्स भी बंगाल के हशीमारा में तैनात हैं, जो काफी कम समय में नॉर्थ ईस्ट को कवर कर सकते हैं।

कॉम्बैट एयर पेट्रोल या जंगी उड़ानों का मतलब है- लड़ाकू विमानों के लिए उड़ान का मिशन तय करना। इस तरह की कवायद में एयरक्राफ्ट को किसी निश्चित इलाके की निगरानी की जवाबदारी सौंपी जाती है। आमतौर पर ऐसे मिशन रणनीतिक तौर पर संवेदनशील हिस्से, वॉर जोन, जमीन या समुद्र की हिफाजत के लिए लॉन्च किए जाते हैं। ऐसे मिशन के तहत फाइटर एयरक्राफ्ट को घुसपैठ करने वाले विमान या किसी और मशीनरी को मार गिराने का आदेश दिया जाता है। ऐसे मिशन में दुश्मन के फाइटर प्लेन को टारगेट तक पहुंचने से पहले ही नष्ट कर दिया जाता है। कॉम्बेट एयर पेट्रोल जमीन और समुद्र दोनों के ऊपर लॉन्च किए जाते हैं। इनके जरिए अपने लड़ाकू विमानों, जमीन पर मौजूद मशीनरी या समुद्र में मौजूद जहाजों की हिफाजत की जाती है।

अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के करीब तवांग कस्बा करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है। यह जगह रणनीतिक तौर पर बेहद मायने रखती है। तवांग से पूरे अरुणाचल प्रदेश पर नजर रखी जा सकती है। इसी वजह से चीन इसे हथियाने की साजिश रचता रहता है। 1962 के युद्ध में चीन ने तवांग पर कब्जा कर लिया था। हालांकि, संघर्ष विराम के बाद वह पीछे हट गया था, क्योंकि तवांग मैकमोहन लाइन या LAC के अंदर पड़ता है।

तवांग पर चीन की बुरी नीयत की दूसरी वजह यह है कि भारत-चीन के बीच बनी LAC क्रॉस करने के दो सबसे अहम पॉइंट्स में से तवांग एक है। पहला पॉइंट चंबा घाटी है, जो नेपाल और तिब्बत के बॉर्डर पर है। दूसरी जगह तवांग है, जो चीन और भूटान के जंक्शन पर है। यहां से चीन के लिए पूरे तिब्बत पर नजर रखना बेहद आसान होगा।

तवांग को लेकर चीन के विरोध की तीसरी बड़ी वजह हैं तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा। दरअसल 1959 में तिब्बत से निकलने के बाद दलाई लामा ने तवांग में ही कुछ दिन बिताए थे। यहां एक बड़ा बौद्ध मठ भी मौजूद है। इस लिहाज से चीन तवांग पर कब्जे को अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई मानता है।

9 दिसंबर को 600 चीनी सैनिक तवांग के यांग्स्ते में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय पोस्ट को हटाने के लिए घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। वे कंटीले लाठी डंडे और इलेक्ट्रिक बैटन से लैस थे। भारतीय सेना भी इस बार पूरी तरह तैयार बैठी थी। हमारी सेना ने भी कंटीले लाठी-डंडों से उनको जवाब दिया। इसमें दर्जनों चीनी सैनिकों की हड्डियां टूटी हैं।

भारत चीन सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद एलएसी पर एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। अरुणाचल प्रदेश में करीब 300 पीएलए सैनिकों को भारतीय जवानों ने एलएसी पर आगे बढ़ने से रोक दिया था। अब इस मामले पर चीन ने पहली बार बयान जारी किया है और सीमा पर हालात 'स्थिर' बताए हैं। भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में पूरी घटना की विस्तृत जानकारी दी और कहा कि भारतीय जवानों ने पीएलए सैनिकों को दृढ़ता से जवाब दिया और उन्हें वापस लौटने के लिए मजबूर किया।

पिछले शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। करीब 300 पीएलए सैनिक भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे थे लेकिन भारत के जवानों ने उन्हें वापस खदेड़ दिया। इस दौरान हुए संघर्ष में दोनों तरफ के सैनिक घायल हुए हैं। खबरों की मानें तो चीनी सैनिकों के पास गहरी चोट पहुंचाने वाले हथियार थे, जैसे कीलों वाला डंडा और इलेक्ट्रोशॉक वाली टेजर गन।

भारत-चीन सीमा पर झड़प की खबर पहली बार सामने आने के करीब 12 घंटे बाद चीन ने इस मामले पर बयान जारी किया है। एलएसी पर संघर्ष की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने कहा कि सीमा पर स्थिति स्थिर है। उसने राजनयिक और सैन्य रास्तों के जरिए सीमा मुद्दों पर अबाधित बातचीत का आह्वान किया। इधर दिल्ली में राजनाथ सिंह ने सदन में पूरे मामले की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चीनी को इस तरह की कार्रवाई के लिए मना किया गया है और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया है।

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