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अन्नाद्रमुक ने बीजेपी के साथ 4 साल पुराना गठबंधन तोड़ा

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 26th September , 2023 01:28 pm

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अन्नाद्रमुक सोमवार को भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से बाहर निकल गई। सूत्रों के मुताबिक, दक्षिण की यह क्षेत्रीय पार्टी चाहती थी कि भाजपा अपनी तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के। अन्नामलाई को पद से हटाए या फिर उन पर लगाम लगाए। हालांकि भगवा पार्टी ने इससे साफ इनकार कर दिया, जिसके बाद एआईएडीएमके ने एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा कर दी।

आज से दो महीने पहले पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए का भी महाजुटान हुआ था। तारीख थी 18 जुलाई। एनडीए की इस मीटिंग में 38 पार्टियों ने हिस्सा लिया था। इस मेगा बैठक का मकसद विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की 23 जून को हुई पटना बैठक को जवाब देना था। दिखाना था कि 2024 के लिए मोदी सरकार मजबूत स्थिति में है। उस बैठक में तमलिनाडु की बड़ी पार्टी AIADMK भी शामिल हुई थी। पार्टी के चीफ के पलानीस्वामी ने पीएम के साथ आगे की कतार में खड़े होकर फोटो भी खिंचाई थी। दो महीने बाद एकदम से बदलाव आ गया । AIADMK ने बीजेपी के साथ 4 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया है। अन्नाद्रमुक ने बीते सोमवार को एनडीए से बाहर होने की घोषणा की है। अब वह 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक अलग मोर्चा का नेतृत्व करेगी। लेकिन आखिर जुलाई की बैठक के बाद अब तक के बीच ऐसा क्या हुआ कि पलानीस्वामी ने सीधे रिश्ता ही तोड़ लिया। नीतीश कुमार वाली जदयू के पिछले साल भाजपा को छोड़ने के बाद यह एनडीए गठबंधन को सबसे बड़ा झटका है।

भाजपा की जमीन साउथ में उतनी मजबूत नहीं है। पलानीस्वामी की पार्टी उसके लिए बड़ी सहयोगी पार्टी है। इसकी मदद से वह लोकसभा में अपनी जमीन मजबूत कर रही थी। अचानक एआईएडीएमके का बीजेपी का साथ छोड़कर जाना उसके लिए बड़ा झटका है। यह घटना ऐसे समय में भी हुई है जब भाजपा 2024 के आम चुनाव से पहले दक्षिण भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में और ताकत लगा रही है। खासकर कर्नाटक विधानसभा चुनावों में हार के बाद, जिसके बाद भगवा पार्टी ने अपने प्रयासों को तेज कर दिया है।यह उस समय हो रहा है जब तमिलनाडु की सत्तरूढ़ पार्टी डीएमके के मंत्री और सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने सनातन धर्म पर विवादित बयान दिया था। भाजपा इसे पूरे I.N.D.I.A गठबंधन पर हमला करने की एक बड़ी रणनीति के तहत इस्तेमाल कर रही है। इस बीच अन्नाद्रमुक के अलग होने के फैसले ने भाजपा के मिशन को धीमा किया है। इस समय अन्नाद्रमुक का समर्थन खोना एक गेमचेंजर साबित भी हो सकता है।

दो महीने पहले एक मंच पर दिखने वाली बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच खटास की वजह क्या है? दोनों पार्टियों के बीच तनाव बीते कुछ समय से चल रहा है। पालानीस्वामी के इस फैसले के पीछे की वजह तमिलनाडु में भाजपा के अध्यक्ष के अन्नामलाई भी हैं। उनका बढ़ता कद AIADMK को शायद रास नहीं आ रहा है। इस बीच उन्होंने के पलानीस्वामी की पार्टी की नेता सीएन अन्नादुरई पर विवादित टिप्पणी की थी। इसपर अन्नामलाई से द्रविड़ नेता को इस तरह से कहने पर माफी मांगने को कहा गया था लेकिन अन्नामलाई ने ऐसा नहीं किया और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी इसपर कोई कार्रवाई नहीं की।

बीते सोमवार को AIADMK ने एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव में किसी भी व्यक्ति को संबंधों में खटास के लिए नाम नहीं दिया गया और भाजपा के "राज्य नेतृत्व" पर आरोप लगाया गया। अन्नाद्रमुक ने कहा कि भाजपा के राज्य नेतृत्व ने अन्नादुरई और दिवंगत पार्टी मातृसत्ता जे जयललिता और मौजूदा प्रमुख पलानीस्वामी को जानबूझकर बदनाम किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि अन्नाद्रमुक के खिलाफ ऐसी अपमानजनक, अनावश्यक आलोचना पिछले लगभग एक साल से चल रही है और इससे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में गहरा आक्रोश और नाराजगी पैदा हुई है। अन्नाद्रमुक प्रवक्ता शशिकला ने सोमवार को कहा, 'यह हमारे लिए सबसे खुशी का क्षण है। हम आगामी चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे और बहुत खुश हैं, चाहे वे संसदीय हों या विधानसभा।'

भाजपा से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि ‘पार्टी अन्नामलाई के समर्थन में खड़ी है, जो पूरे तमिलनाडु में एक सफल ‘एन मन, एन मक्कल’ यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं और पार्टी के लिए मजबूत जनाधार बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’ बीजेपी नेताओं को इस मामले पर आधिकारिक तौर पर नहीं बोलने की सलाह दी गई है, लेकिन कम से कम दो भाजपा नेताओं ने कहा कि इस अलगाव में एक ‘उम्मीद की किरण’ दिख रही है।

इससे बीजेपी को अब तमिलनाडु में अपना पैर जमाने और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए छोटे दलों के साथ गठबंधन करने का मौका मिला है। ‘सनातन धर्म’ विवाद ने द्रमुक को भाजपा के खिलाफ खड़ा कर दिया है। बीजेपी के नेताओं ने बताया कि कैसे द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन द्वारा अपनी विवादास्पद टिप्पणी दोहराए जाने के बाद अन्नाद्रमुक इस विवाद पर भाजपा के समर्थन में सामने नहीं आई थी। भाजपा सूत्रों ने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक के कदम का उद्देश्य तमिलनाडु में अल्पसंख्यक वोटों को लुभाना है। वहीं भाजपा के एक अन्य सूत्र ने कहा कि ‘हमें अब भी उम्मीद है कि अन्नाद्रमुक दोबारा विचार करेगी और गठबंधन में बनी रहेगी।

तमिलनाडु में AIADMK ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया है। जिसके बाद सियासत शुरू हो गई है। गठबंधन टूटते ही उद्धव गुट के शिवसेना सांसद संजय राउत ने बड़ा दावा किया। संजय राउत ने कहा कि सिर्फ AIADMK नहीं, और भी लोग जाएंगे।

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन किया था। तब गठबंधन ने राज्य की 39 में से सिर्फ एक सीट जीती थी। द्रमुक ने 2019 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद के विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल की, जबकि अन्नाद्रमुक ई पलानीस्वामी और ओ पन्नीरसेल्वम के बीच कड़वी आपसी लड़ाई में फंस गई थी। हालांकि बीजेपी को यह समझाना कठिन होगा कि एआईएडीएमके, शिरोमणि अकाली दल और जेडी (यू) जैसे उसके सहयोगी क्रमशः तमिलनाडु, पंजाब और बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में एनडीए से बाहर क्यों चले गए हैं? तमिलनाडु में 2024 में अब द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच सीधी लड़ाई होने की उम्मीद है। केरल जैसे अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों की तरह भाजपा फिलहाल यहां कमजोर खिलाड़ी बनकर रह गई है।

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