Trending News

शाही ईदगाह परिसर का सर्वे कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 16th January , 2024 12:27 pm

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर का सर्वे कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की मांग अभी स्पष्ट नहीं है। इसलिए हाईकोर्ट के कमिश्नर सर्वे पर फिलहाल अगले आदेश तक रोक लगाई जाती है। इसके साथ ही हिंदू पक्ष को नोटिस भी जारी किया है। इस केस पर अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिसर के सर्वे वाले केस को छोड़कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह से जुड़े अन्य सभी केस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चलती रहेगी। सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के कमीशन सर्वे के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।

इससे पहले, 14 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार करते हुए परिसर का सर्वे कराने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष यानी वक्फ बोर्ड की उन दलीलों को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने याचिका को सुनने योग्य नहीं होने का दावा किया था। हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह के 13.37 एकड़ जमीन पर विवाद है। इसलिए हिंदू पक्ष ने सर्वे की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अगली तारीख तक के लिए रोक लगा दी है।

गौरतलब है कि अपने आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक एडवोकेट कमिश्नर (कोर्ट कमिश्नर) नियुक्त करने का आदेश दिया था। इस एडवोकेट कमिश्नर को मस्जिद परिसर का सर्वे करना था। मस्जिद कमेटी की तरफ से वकील तसनीम अहमदी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं। वकील ने तर्क दिया कि जब पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत मथुरा मामले को खारिज करने की याचिका अभी तक लंबित है, ऐसे में हाईकोर्ट सर्वे का आदेश नहीं दे सकता। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने तर्क को सही माना और हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इस मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी।

हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग की थी। इस याचिका पर 14 दिसंबर को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया था कि याचिका में दावा किया गया था कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं, जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है। याचिका में दावा किया गया था कि वहां एक कमल के आकार का स्तंभ मौजूद है, जो हिंदू मंदिर की विशेषता है। साथ ही शेषनाग की छवि है। मस्जिद के स्तंभ पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी मौजूद हैं। याचिका में कोर्ट कमिश्नर द्वारा पूरे सर्वेक्षण की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने की भी मांग की थी। मस्जिद कमेटी ने इस याचिका का विरोध किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने विरोध को दरकिनार कर कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था।

उल्लेखनीय है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991, 15 अगस्त 1947 के बाद देश में सभी धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने की बात कहता है। मंदिर, मस्जिद, चर्च और अन्य सभी पूजा स्थल इतिहास की परंपरा के मुताबिक वही रहेंगे, जो देश की आजादी के समय थे, उन्हें किसी भी अदालत या सरकार द्वारा बदला नहीं जा सकता। इस कानून को पीवी नरसिम्हा की सरकार में बनाया गया था। उस समय राम मंदिर आंदोलन चरम पर था और देश में इसे लेकर सांप्रदायिक माहौल बना हुआ था। इस पर सरकार ने पूजा स्थलों में बदलाव के खिलाफ यह कानून बनाया था। इसी कानून के प्रावधानों के तहत मस्जिद कमेटी ने मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले को खारिज करने की अपील की थी, जिस पर सुनवाई लंबित है।

यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मथुरा के कटरा केशव देव इलाके में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उस जगह पर मंदिर बना था। कई हिंदुओं का दावा है कि मुगल काल में औरंगजेब के शासन में मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर उस पर मस्जिद बनाई गई, जिसे ईदगाह मस्जिद के नाम से जाना जाता है। हालांकि मुसलमान पक्ष मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की बात से इनकार करता है। साल 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत जमीन को दो हिस्सों में बांट दिया गया था। हालांकि हिंदू पक्ष उस समझौते को अवैध बताकर खारिज कर रहा है।

कोर्ट के फैसले पर वादी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने बताया, ''हिंदू पक्ष के पास प्राचीन सबूत हैं। खसरा खतौनी में नाम हिंदू पक्ष का है। बिजली और पानी का बिल हिंदू पक्ष देता है। नगर निगम का टैक्स भी हिंदू पक्ष देता है, इसलिए एक न एक दिन सर्वे अवश्य होगा। क्योंकि, कोर्ट सबूत के आधार पर फैसला देती है।

हालांकि, मुस्लिम पक्ष कुछ दिनों के लिए सर्वे को रोकने में सफल हो गया है। मुस्लिम पक्ष तो यही चाहता है कि सर्वे को कुछ दिनों के लिए रुकवाया जाए, क्योंकि उनको पता है कि जब सर्वे हो जाएगा, तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी। जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया था कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जोकि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं और जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी।

Latest News

World News