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कोच्चि में प्रधानमंत्री स्वदेशी विमानवाहक का उद्घाटन किया

[Edited By: Rajendra]

Friday, 2nd September , 2022 11:33 am

कोच्चि में प्रधानमंत्री स्वदेशी विमानवाहक का उद्घाटन किया। अब इस पोत को भारतीय बेड़े में शामिल किया जायेगा। इसके अलावा नए नौसैनिक ध्वज का भी अनावरण किया।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम के रूप में पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं। इस पोत को घरेलू स्तर पर ही डिज़ाइन किया गया हैं। इस पोत का डिज़ाइन भारतीय नौसेना की संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने बनाया हैं। इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजानिक क्षेत्र की कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया हैं। विक्रांत स्वचालित सुविधाओं से लैस भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल निर्मित पोत हैं।

भारतीय नौसेना के टॉप अधिकारी मानते हैं कि विक्रांत के चालू होने से हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बढ़ेगी। विक्रांत के फ्लाइट डेक का क्षेत्रफल ढाई हॉकी मैदानों के बराबर है, जो मोटे तौर पर 12,500 वर्ग मीटर का क्षेत्रफल है। विक्रांत में स्काई-जंप से सुसज्जित एक छोटा रनवे और एक लंबा रनवे है।

इसमें बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी हैं, जिसमें देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से ज़्यादा एमएसएमई शामिल हैं. विक्रांत के चालू होने से भारत के पास दो परिचालन विमान वाहक होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे. विक्रांत को बनाने में 20,000 करोड़ की लागत आई है, जो 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है, और इसका 45,000 टन है.

बताया गया है कि पोत के भीतर 15 डेक, एक मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल, एक पूल, एक किचन और महिलाओं के लिए विशेष केबिन हैं, और ज़ाहिर है, जहाज में लड़ाकू विमानों को ले जाने, हथियार देने और पुनर्प्राप्त करने की तकनीक है। विक्रांत में 2,300 कंपार्टमेंट्स और इसको बनाने में 2,400 किलोमीटर केबल लगे हैं। जानकारी के मुताबिक़, इसमें आठ विशाल बिजली जनरेटर हैं और यह हर दिन चार लाख लीटर वॉटर जेनरेट कर सकता है।

आईएनएस विक्रांत देश में निर्मित सबसे बड़ा युद्धपोत है। ये एयरक्राफ्ट कैरियर 20 मिग-29 फाइटर जेट्स ले जाने में सक्षम है। इसकी लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपए है। 1971 की जंग में आईएनएस विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह किया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने वाले इंजीनियर्स की तारीफ की और कहा- इस शिप में जितने केबल और वायर हैं, वो कोच्चि से काशी तक पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत सिर्फ वॉरशिप नहीं, समंदर में तैरता शहर है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "ये भारतीयों के लिए गर्व का मौका है। ये भारत की प्रतिभा का उदाहरण है। ये सशक्त भारत की शक्तिशाली तस्वीर है। ये अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है। ये बताता है कि ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है। हम आज नए सूर्य के उदय के साक्षी बन रहे हैं। इसमें जितनी बिजली पैदा होती है। उससे 5 हजार घरों को रोशन किया जा सकता है। ये दो फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है। केबल और वायर कोच्चि से शुरू होकर काशी तक पहुंच सकते हैं। ये जटिलता हमारे इंजीनियर्स की जीवटता का उदाहरण हैं।"

मोदी ने कहा- शिवाजी की समुद्री ताकत से दुश्मन कांपते थे। आज मैं नौ सेना नया ध्वज छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को समर्पित करता हूं। ये नया ध्वज नौसेना के बल और आत्मसम्मान को बल देगा। अब तक नौसेना के झंडे पर गुलामी की तस्वीर थी। इस तस्वीर को हमने हटा दिया है।

मोदी ने कहा- विक्रांत विशाल है, ये खास है, ये गौरवमयी है। ये केवल वारशिप नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के कठिन परिश्रम, कौशल और कर्मठता का सबूत है। आज भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अपनी तकनीक से ऐसे बड़े जहाज बना सकते हैं। आज आईएनएस विक्रांत ने भारतीयों को नए भरोसे से भर दिया है।

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