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मध्य प्रदेश चुनाव में सपा व कांगेस के बीच चल रही नूरा-कुश्ती में बसपा भी कूदी

[Edited By: Rajendra]

Monday, 23rd October , 2023 03:03 pm

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राष्ट्रीय पटल पर I.N.D.I.A गठबंधन की डोर से जुड़ी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच मध्य प्रदेश में तनाव देखने को मिल रहा है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और सीट बंटवारे को लेकर कहा कि, 'हमने बातचीत की, हमने पूरी कोशिश की, लेकिन हमारे लोग तैयार नहीं थे। सवाल कितनी सीट का नहीं बल्कि कौन सी सीट का था। मुझे सभी को और अपने संगठन को साथ लाना पड़ा। हम अपने लोगों को उन सीटों के लिए मना नहीं पाए जो सपा चाहते थी।'

वहीं समाजवादी पार्टी पहले भी मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ती रही है और उत्तर प्रदेश से सटी मध्य प्रदेश की कई विधानसभाओं में जीत भी दर्ज करती रही है। इसबार के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जबकि, कांग्रेस पार्टी एक तरफ I.N.D.I.A गठबंधन की उन्हें दुहाई दे रही है तो सपा कांग्रेस पर ही सूबे में उनके वोट काटने का आरोप लगा रही है। समाजवादी पार्टी ने फिर एक बार यही दावा दोहराया है।

दरअसल, समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश में कई सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक थी। इसके लिए शुरुआत में कांग्रेस से गठबंधन की कोशिश की गई, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन से जुड़ी ये पार्टियां मध्य प्रदेश में ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं बना सकीं। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने अकेले ही मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने की ठानी। अब तक समाजवादी पार्टी 33 सीटों पर अपने उम्मीदावारों के नाम का ऐलान कर चुकी है। 230 विधासनभा सीटों वाले मध्य प्रदेश की 229 सीटों पर कांग्रेस पार्टी भी अपने उम्मीदावारों के नाम साफ कर चुकी है।

कांग्रेस के साथ हाल में बढ़ी तल्खी को संभालने की कोशिशों के बीच समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश में तीखे तेवर जारी रखेगी। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने रविवार को एमपी के सपा पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें उन्होंने एमपी में मजबूती से लड़ने और कुछ और प्रत्याशी उतारने के भी संकेत दिए हैं। एमपी में कांग्रेस के सीटें न देने के बाद सपा अब तक प्रत्याशियों की तीन सूची जारी कर चुकी है। इसमें 33 सीटें शामिल हैं। प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस पर वादाखिलाफी व धोखा देने का भी आरोप लगाया था। इसके बाद से एमपी से लेकर यूपी कांग्रेस के नेताओं ने अखिलेश पर तीखी टिप्पणी की थी। मामला बढ़ता देख कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने हस्तक्षेप किया है। इसके बाद अखिलेश ने बयानबाजी पर भले ही लगाम लगाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन, जमीनी लड़ाई की तैयारी जारी रखने को कहा है।

सपा मुखिया ने प्रदेश कार्यालय पर एमपी के पदाधिकारियों के साथ काफी देर तक जमीनी हालात पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने तैयारियां और संभावनाएं भी परखीं। अखिलेश जल्द ही एमपी चुनाव में प्रचार के लिए उतरेंगे। शनिवार को वहां नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसलिए प्रचार के कार्यक्रम को भी अंतिम रूप देना शुरू हो गया है। सपा के मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने बताया कि हमने कुछ और सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने का प्रस्ताव दिया है, जिस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि जहां हमारे पास अच्छे प्रत्याशी हैं व जमीन पर संगठन है, वहां पार्टी उम्मीदवार देगी। सपा के राष्ट्रीय सचिव व मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि पार्टी पूरी ताकत से एमपी में चुनाव लड़ेगी। वहां के पदाधिकारियों के साथ आगे की रणनीति पर चर्चा हुई है। उम्मीदवार व प्रचार पर सोमवार तक तस्वीर साफ हो जाएगी।

सपा व कांगेस के बीच चल रही नूरा-कुश्ती में बसपा भी कूद गई है। बसपा के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद ने रविवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि पिछले दो दिनों से कांग्रेस और सपा में खूब बयानबाजी हो रही है जिससे यह साफ है कि दोनों दलों के पास भाजपा से लड़ने का कोई वैचारिक आधार नहीं है। ये लोग केवल सत्ता पाने के लिए गठजोड करने के जुगाड़ में लगे हैं। यूपी में सपा का आधार अब खत्म हो चुका और अखिलेश यादव विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं। 2022 के विधान सभा चुनावों में भाजपा के विरोध में मुस्लिम समाज ने सपा को वोट किया था लेकिन अब सभी यही मानते हैं कि सपा को वोट देकर गलती हुई।

पिछले कुछ दिनों में सपा ने कांग्रेस को लेकर जो तल्ख तेवर अपनाएं है, वह यूं ही नहीं है। मध्य प्रदेश में साथ न मिलने से सपा नाराज है। बयानबाजी के बाद कांग्रेस की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिश हुई है लेकिन सपा का सख्त रुख बरकरार है। इसकी बड़ी वजह है कि विधानसभा के बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा से सीट मांगने की बारी कांग्रेस की होगी। कांग्रेस का जो यूपी में अब तक प्रदर्शन रहा है, उसमें उसके लिए सपा से अधिक सीटों पर तोलमोल करना मुश्किल होगा। सपा गठबंधन की स्थिति में भी कांग्रेस को बहुत अधिक सीटें देने को इच्छुक नहीं है, क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में वह इसका नुकसान उठा चुकी है। इसलिए भी पार्टी एमपी के मुद्दे को खूब हवा दे रही है, जिससे वहां की जमीन पर यूपी में बंटवारा तय किया जा सके।

MP की 185 किलोमीटर लंबी सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है। इसके साथ प्रदेश में यादव मतदाताओं की तादाद भी 12 से 14 फीसदी तक है। ऐसे में यूपी से सटे मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में सपा का असर रहा है। इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) के घटकदल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच वाकयुद्ध थम गया है, पर दोनों पार्टियों के बीच तल्खी खत्म नहीं हुई है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रही है। ऐसे में रिश्तों में आई इस तल्खी का खामियाजा समाजवादी पार्टी से ज्यादा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।

मध्य प्रदेश में गठबंधन नहीं करने से समाजवादी पार्टी कांग्रेस से बेहद नाराज है। सपा करीब तीन दर्जन सीट पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। पार्टी कुछ और सीट पर प्रत्याशी उतार सकती है। इसके साथ सपा इस बार ज्यादा से ज्यादा सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी आक्रामकता के साथ चुनाव प्रचार करने की भी तैयारी में है। मध्य प्रदेश की 185 किलोमीटर लंबी सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है। इसके साथ प्रदेश में यादव मतदाताओं की तादाद भी 12 से 14 फीसदी तक है। ऐसे में यूपी से सटे मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में सपा का असर रहा है। हालांकि, पिछले कुछ चुनाव में सपा का प्रदर्शन कमजोर हुआ है, पर कई सीट पर अभी भी कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है।

रणनीतिकार मानते हैं कि समाजवादी पार्टी के अलग चुनाव लड़ने से यूपी से सटी सीट पर कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। यूपी की तरह सपा मध्य प्रदेश में बहुत मजबूत नहीं है, पर वह कई सीट पर कांग्रेस को झटका दे सकती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जिस तरह अपनी नाराजगी जता रहे हैं, उससे साफ है कि वह अपनी ताकत दिखाने का प्रयास करेंगे। मध्य प्रदेश में सपा ने अब तक सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 2003 में किया था। इस चुनाव में पार्टी ने करीब चार फीसदी वोट के साथ सात सीट जीती थी। इसके बाद पिछले तीन चुनाव में सपा अपना प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई है। ऐसे में इस बार अपना प्रदर्शन सुधारना सपा और अखिलेश यादव के लिए चुनौती होगी। सपा प्रदर्शन सुधारती है, तो कांग्रेस को नुकसान तय है।

वर्ष 2018 में सपा की वजह से आठ सीट हारी थी पार्टी\nसपा ने वर्ष 2018 के चुनाव में एक सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके साथ पार्टी पांच सीट पर दूसरे और चार सीट पर तीसरे नंबर पर रही थी। तीन सीट पर सपा को भाजपा और कांग्रेस के बीच हार जीत के अंतर से अधिक वोट मिले थे। चुनाव में जिन पांच सीट पर सपा दूसरे नंबर पर रही, उन पांच में चार सीट पर भाजपा जीती थी। सिर्फ पृथ्वीपुर सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। वहीं, मैहर सीट कांग्रेस सिर्फ तीन हजार वोट से हारी थी, जबकि इस सीट पर सपा को 11 हजार वोट मिले थे। इन चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच सिर्फ पांच सीट का फर्क था।

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