रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर 6 दिसंबर को आ रहे हैं. पुतिन का यह भारत दौरा बेहद छोटा ज़रूर है लेकिन इसे बेहद अहम माना जा रहा है. 21वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन के लिए पुतिन ऐसे समय में भारत आ रहे हैं, जब भारत ने रूस के साथ एस-400 जैसे मिसाइल सिस्टम को लेकर एक क़रार किया हुआ है और अमेरिका उन देशों पर दबाव डालता रहा है जो रूस के साथ रक्षा सौदा करते रहे हैं.
एस-400 मिसाइल सिस्टम के कारण तुर्की तक को अमेरिकी ग़ुस्से का सामना करना पड़ा था लेकिन भारत ने अब इशारों-इशारों में साफ़ कह दिया है कि वो किसी के दबाव में नहीं आने वाला है.पुतिन के दौरे से पहले रक्षा मंत्रालय ने बाक़ायदा लोकसभा में एक लिखित जवाब में किसी भी दबाव में न रहने को लेकर अपनी बात कही है.दरअसल, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने रक्षा सौदों और उससे जुड़े घटनाक्रमों पर सवाल पूछा था, जिसका जवाब रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने दिया.
रक्षा राज्य मंत्री ने जो बयान दिया था, उसे पीआईबी ने भी प्रकाशित किया है. बयान में कहा गया है, "रूस के साथ एस-400 सिस्टम की डिलिवरी को लेकर 5 अक्टूबर 2018 को क़रार हुआ है.सरकार रक्षा उपकरणों की ख़रीद को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रमों से अवगत है. सरकार, सशस्त्र बलों की सभी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने की तैयारी के लिए संभावित खतरों, ऑपरेशनल और टेक्निकल पहलुओं के आधार पर संप्रभुता के साथ निर्णय लेती है. यह डिलिवरी अनुबंध की समयसीमा के अनुसार हो रही है.एस-400 मिसाइल एक बड़े क्षेत्र में निरंतर और प्रभावी वायु रक्षा प्रणाली प्रदान करने के लिए अपनी परिचालन क्षमता के मामले में एक शक्तिशाली प्रणाली है. इस प्रणाली के शामिल होने से देश की वायु रक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी."
रक्षा मंत्रालय की ओर से संसद में दिए गए इस बयान को बहुत अहम समझा जा रहा है क्योंकि अब तक माना जा रहा था कि अमेरिका के कारण भारत एस-400 मिसाइल सिस्टम पर कुछ नहीं बोल रहा है.ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि भारत को रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलिवरी शुरू हो चुकी है लेकिन भारत ने सार्वजनिक तौर पर इसको लेकर कोई घोषणा नहीं की है.हालांकि बीते महीने पत्रकारों से बात करते हुए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा था कि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से भारत को इस साल के अंत तक एस-400 मिसाइल सिस्टम की पहली खेप मिल जाएगी.