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भारत में खाद्य तेल के साथ साबुन, शैंपू, बिस्कुट, टूथपेस्ट होंगे महंगे –क्या है कारण ?

[Edited By: Vijay]

Tuesday, 26th April , 2022 01:16 pm

इंडोनेशिया ने अप्रैल के आखिरी सप्ताह से पाम आयल का निर्यात बंद करने का फैसला किया है। उसके इस एक फैसले से भारत में खाद्य तेल के साथ साबुन, शैंपू, बिस्कुट, टूथपेस्ट जैसी एफएमसीजी सेक्टर की वस्तुएं महंगी हो सकती हैं। इससे अप्रैल माह की खुदरा महंगाई दर भी प्रभावित होने की आशंका है। मार्च महीने की खुदरा महंगाई दर पहले ही 6.95 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच चुकी है। भारत में पाम आयल का इस्तेमाल खाने से लेकर साबुन, बिस्कुट, टूथपेस्ट, शैंपू जैसी एफएमसीजी वस्तुओं के उत्पादन में किया जाता है। भारत सालाना 80 लाख टन पाम आयल का आयात करता है और 40 लाख टन का आयात इंडोनेशिया से करता है। इंडोनेशिया 62 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ विश्व का सबसे ब़़डा पाम आयल उत्पादक देश है। दूसरे नंबर पर मलेशिया है, लेकिन वह दुनिया की पाम आयल की जरूरत पूरी करने में सक्षम नहीं है।

सोमवार को पाम आयल की कीमत पिछले दो सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जानकारों का कहना है कि पाम आयल की कीमत अभी लगातार बढ़ सकती है। खाद्य तेल कंपनियों के शेयर भावों में बढ़ोतरी देखने को मिली। बढ़ी हुई लागत के प्रबंधन के लिए एफएमसीजी कंपनियों को उत्पादों की कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं या फिर उनका मार्जिन प्रभावित होगा। इंडोनेशिया के फैसले से भारत में खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी भी तय मानी जा रही है। भारत में खाद्य तेल की खपत 225 लाख टन की है और इसमें 80 लाख टन पाम आयल शामिल है। पाम आयल की कमी होने पर अन्य खाद्य तेलों पर दबाव बढ़ेगा जिससे उनके दाम बढ़ जाएंगे।

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सूरजमुखी के तेल का आयात पहले से प्रभावित है और खाद्य तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। मार्च में खाद्य तेल व वनस्पति घी के दामों में पिछले साल मार्च के मुकाबले 18.79 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही और खुदरा वस्तुओं की महंगाई दर की बढ़ोतरी में इसकी प्रमुख भूमिका मानी जा रही है। इस साल फरवरी में खाद्य तेल व वनस्पति घी के दामों में 16.44 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। इंडोनेशिया के फैसले से अन्य खाद्य तेलों का आयात भी महंगा हो जाएगा जिससे आयात बिल में ब़़ढोतरी होगी। वैश्विक स्तर पर खाद्य तेल महंगे होने से भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 1.4 लाख करोड़ रपये का खाद्य तेल आयात किया जबकि वित्त वर्ष 2020--21 में यह आयात 82,123 करोड़ रपये का था।

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