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कनाडा से आयी मां अन्नपूर्णा की पूजा अर्चना-‘भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक गौरव को संजोने का दिन!

[Edited By: Vijay]

Friday, 12th November , 2021 04:01 pm

केंद्र की मोदी सरकार के लगातार किए जा रहे प्रयासों के चलते करीब 100 साल पहले चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की मूर्ति वापस भारत लाई गई है. एक सदी से भी ज्यादा वक्त बाद आखिरकार कनाडा ने मूर्ति भारत को सौंप दी है. मूर्ति को 15 नवंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा. इसे वाराणसी से ही चोरी किया गया था. मूर्ति 11 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी गई. इस मौके पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने पुष्प अर्पित करते हुए मां की पूजा-अर्चना की.

उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर इसकी कई तस्वीरें भी शेयर की हैं. जिनमें वह मूर्ति के आगे हाथ जोड़े दिखाई दे रहे हैं. बाकी नेता भी पूजा में शामिल हुए हैं. ट्वीट के कैप्शन में केंद्रीय मंत्री ने लिखा है, ‘भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक गौरव को संजोने का दिन! नरेंद्र मोदी सरकार के अथक प्रयासों के तहत, हमारे देवताओं को घर लाया जाना जारी है. और आज सुबह, कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ दिल्ली में कनाडा से लाई गई मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति की पूजा की गई.

काशी विश्वनाथ मंदिर में होगी स्थापना

एक अन्य ट्वीट में जी किशन रेड्डी लिखते हैं, ‘मूर्ति को रथ यात्रा से काशी विश्वनाथ मंदिर ले जाया जाएगा, जहां इसकी प्राणप्रतिष्ठा होगी. जिससे मां अन्नपूर्णा देवी की आध्यात्मिक और दिव्य कृपा मिलेगी. हम धन्य हैं कि मूर्ति को उसके सही स्थान पर वापस लाया जा सका है.’ इस प्रतिमा में मां अन्नपूर्णा के एक हाथ में खीर की कटोरी और दूसरे में चम्मच है. ऐसा कहा जा रहा है कि मूर्ति को साल 1913 में काशी के एक घाट से चोरी किया गया था. फिर यहां से इसे कनाडा ले जाया गया. वहां ये मैकेंजी आर्ट गैलरी में रेजिना विश्वविद्यालय के संग्रहालय में रखी गई थी.

मां की मूर्ति कैसे वापस लाई गई?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मामला उस वक्त प्रकाश में आया जब इस गैलरी में रखे गए सामान की प्रदर्शनी के लिए तैयारी हो रही थी. तभी एक कलाकार दिव्या मेहरा की नजर मां की मूर्ति पर पड़ गई. फिर उन्होंने इस मुद्दे को उठाया. जिसके बाद सरकार ने मूर्ति को वापस लाने की कोशिशें तेज कर दीं जिसके चलते रेजिना विश्वविद्यालय के अंतरिम अध्यक्ष और कुलपति थॉमस चेस मूर्ति सौंपने के लिए मान गए. उन्होंने इसे भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिय को दिया.

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