उत्तर-प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 : इस बार का चुनाव कई मायनो में एहम माना जा रहा है, हांलांकि उत्तरप्रदेश के चुनाव हमेशा पुरे देश का आकर्षण अपनी और खींचते है। इसका एक मुख्या कारण ये भी है कि माना जाता है दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तरप्रदेश से हो कर जाता है। इस बात से यह साफ़ होता है कि उत्तर-प्रदेश की हर एक सीट राजनैतिक दलों के लिए एहमियत रखती है।
ऐसी ही एक सीट है, कानपुर नगर की आर्यनगर विधान-सभा सीट। वर्त्तमान में इस सीट पर कब्ज़ा है समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेई का, इन्होने पिछले चुनाव यानि 2017 में भाजपा की लेहेर के बीच भाजपा के गढ़ में समाजवादी झंडा गड़ा था। अमिताभ बाजपेई ने जनरलगंज और आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार भाजपा के विधायक रहे सलिल विश्नोई की विजय गति पर रोक लगाई थी। मगर आर्यनगर से चुनाव हारने के बाद पार्टी ने सलिल विश्नोई को नजर अंदाज करने के बजाए पार्टी का महामंत्री बना दिया। इतना ही नहीं राज्यसभा भेजने के साथ ही पार्टी और संगठन में कई अहम जिम्मेदारियां दी।
पिछले चुनाव में सलिल विश्नोई की हार के कारण आर्य नगर सीट से भाजपा के कई नेता पिछले लंबे समय से आम जनता के बीच में सक्रिय रहकर विधायक बनने के सपने देख रहे हैं। अगर देखा जाए तो करीब 22 नेता टिकट के लिए हर संभव प्रयास करने में लगे हुए है। मगर विश्वसनीय सूत्रों की माने भाजपा को सलिल के टक्कर का कोई प्रत्याशी नहीं मिल रहा है और पार्टी इस सीट पर कोई रिस्क भी नहीं लेना चाहती है। इसके चलते एमएलसी सलिल विश्नोई को टिकट देने का फैसला प्रदेश नेतृत्व ने लिया है। अब केंद्रीय चुनाव कमेटी की मुहर लगने के बाद लिस्ट में नाम जारी होगा।
आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी एमएलसी को विधानसभा मैदान में क्यूं उतारा जा सकता है, लेकिन ये बात सच है। आर्य नगर सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता सलिल विश्नोई की टक्कर का कोई नेता नहीं मिल रहा है। इसलिए प्रदेश नेतृत्व ने कानपुर की आर्य नगर सीट से सलिल विश्नोई का नाम फाइनल करके केंद्रीय चुनाव कमेटी को भेज दिया है। उनका नाम फाइलन करने के पीछे की वजह बताई जा रही कि कानपुर में वह वैश्य समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके कद का कोई दूसरा प्रत्याशी नहीं है। इतना ही नहीं लगातार तीन बार आर्य नगर सीट से विधायक रहे, लेकिन दुर्भाग्य रहा कि मोदी लहर में 2017 में चुनाव हार गए थे। भाजपा के इंटरनल सर्वे में भी उनका नाम टॉप पर रहा है। इसलिए बीजेपी ने उन्हें एक बार फिर से आर्य नगर सीट से प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया है।
यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना और सलिल विश्नोई कानपुर के दो ऐसे नेता हैं। जिनकी भाजपा और संघ के अंदर अच्छी पकड़ है। जानकारों का कहना है कि योगी सरकार में सलिल को मंत्री बनना तय था, लेकिन वह चुनाव हार गए। इसके बाद राज्यसभा चुनाव आ गए और भाजपा ने इन्हें कमल का सिंबल थमा दिया। सलिल विश्नोई पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। कहा जाता है कि बतौर संघ प्रचारक जब भी पीएम नरेंद्र मोदी, कानपुर आते थे तो विश्नोई को तरजीह देते थे।