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भाजपा के इस कदम से उद्धव ठाकरे गुट को काफी नुकसान

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 18th October , 2022 01:30 pm

भाजपा भले ही अंधेरी पूर्व उपचुनाव से पीछे हट गई हो, लेकिन इस कदम से उद्धव ठाकरे गुट को काफी नुकसान पहुंचा है। क्योंकि उद्धव ठाकरे की नई पार्टी नए चुनाव चिह्न के साथ उपचुनाव लड़ती, जो असली परीक्षा की घड़ी होने वाली थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ये सीट इस साल की शुरुआत में शिवसेना के विधायक रमेश लटके की मृत्यु के बाद खाली हो गया था।

बता दें कि मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने रविवार को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा था। उन्होंने उद्धव गुट की प्रत्‍याशी ऋतुजा लटके का समर्थन करते हुए फडणवीस को पत्र लिखकर कहा था कि भाजपा को इस चुनाव में अपने किसी उम्‍मीदवार को नहीं उतारना चाहिए, जिससे कि ऋतुजा को जीत मिल सके। ऋतुजा अपने दिवंगत पति के स्‍थान पर चुनाव लड़ र‍ही हैं। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने इसी तरह के उदाहरणों में अपनी पार्टी के समर्थन का हवाला देते हुए राज की अपील का समर्थन किया।

ऋतुजा लटके के पति रमेश लटके के निधन के बाद उपचुनाव में उद्धव ठाकरे ने नए चुनाव चिह्न मशाल के साथ उन्हें चुनावी मैदान में उतारा था। वहीं, दूसरी ओर भाजपा ने मुरजी पटेल को उम्मीदवार बनाया था, हालांकि उन्होंने अब अपना नाम वापस ले ली है। भाजपा के इस फैसले से पहले, दोनों पक्षों की ओर से चुनाव प्रचार शुरू हुआ था। भाजपा ने अपने उम्मीदवार मुरजी पटेल के समर्थन में पूरी ताकत झोंक दी थी।

बता दें कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने नागपुर से एक बयान जारी कर कहा कि भाजपा अंधेरी उपचुनाव में अपने प्रत्याशी मुरजी पटेल का नाम वापस ले रही है क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा के अनुसार एक मृत विधायक या सांसद के परिजनों के खिलाफ प्रत्याशी नहीं खड़ा किया जाता। हालांकि भाजपा उम्मीदवार मुरजी पटेल के नामांकन वापस लेने के बावजूद अंधेरी पूर्व सीट पर उपचुनाव के लिए सात उम्मीदवार अभी भी मैदान में डटे हैं। इस सीट से कुल 14 प्रत्याशियों ने नामांकन भरा था। मुरजी पटेल के साथ छह और प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया है।

बीजेपी के अपने उम्मीदवार का नाम वापस लेने के ऐलान के बाद विपक्ष ने दावा किया कि बीजेपी ने हार के डर से अंधेरी पूर्व उपचुनाव से अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष के इस दावे को खारिज कर दिया। फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजे इस बात का सबूत है कि लोगों ने बीजेपी-बालासाहेबंची शिवसेना गठबंधन पर भरोसा किया। जहां तक 899 ग्राम पंचायतों के नतीजे की बात है तो बीजेपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने क्रमश: 397 और 81 ग्राम पंचायतों में जीत हासिल की। दूसरी ओर कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव ठाकरे के गुट ने 104, 98 और 87 ग्राम पंचायतों में जीत हासिल की।

देवेंद्र फडणवीस ने टिप्पणी की, "महाराष्ट्र के लोगों ने उन लोगों को जवाब दिया है, जो ग्राम पंचायत चुनावों में ऐसा कह रहे हैं। महाराष्ट्र ने दिखाया है कि वह किसका समर्थन करते हैं। जहां तक उपचुनाव का सवाल है, हमारे सभी कार्यकर्ता चाहते थे कि हम चुनाव लड़ें। यहां तक कि मुंबई इकाई भी वही चाहती है। हमारे पास एक अच्छा उम्मीदवार था, जिसने निर्दलीय के रूप में 42,000 वोट हासिल किए थे। हमने पूरी तैयारी की थी। लेकिन आप सभी जानते हैं कि चर्चा चल रही थी। चाहे राज ठाकरे हो या शरद पवार, कई लोगों ने हमसे अनुरोध किया। कुछ लोगों ने ऐसा प्रत्यक्ष रूप से किया, तो कई और लोगों ने परोक्ष रूप से।"

"हमने पहले भी ऐसा निर्णय लिया है। जब आरआर पाटिल और पतंगराव कदम का निधन हुआ, तो हमने ऐसा ही निर्णय लिया। बालासाहेबंची शिवसेना में भी कुछ लोगों को लगा कि हमें ऐसा निर्णय लेना चाहिए। इसलिए हमने मुख्यमंत्री और हमारे वरिष्ठ नेता से परामर्श के बाद यह निर्णय लिया। हम यह निर्णय नियमित रूप से महाराष्ट्र की संस्कृति के मुताबिक लेते हैं।"

शिवसेना पर नियंत्रण के लिए एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच खींचतान के बीच चुनाव आयोग ने अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा की। यह पहली बार देखा गया जब उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एकनाथ शिंदे-भाजपा गठबंधन एमवीए सरकार के पतन के बाद से विधानसभा स्तर पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। चुनाव 3 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 6 नवंबर के लिए निर्धारित की गई है। हालांकि, एक दिन पहले बीजेपी ने घोषणा की कि मुर्जी पटेल अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेंगे।

बता दें कि यह विधानसभा सीट मई में शिवसेना के रमेश लटके के असामयिक निधन के बाद खाली हुई थी, जो 2014 से यहां जीत रहे हैं। इस सीट पर चुनाव 3 नवंबर को होगा, वहीं वोटों की गिनती 6 नवंबर को होनी है।

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