कृषि बिल को लेकर पूरे देश में माहौल गरमाया हुआ है. विपक्ष जहां एक तरफ जोरदार ढंग से प्रदर्शन कर रहा है. तो वहीं पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भी इन बिलों को लेकर खासे आक्रामक हैं. पंजाब में 25 सितंबर को किसानों ने भारी विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है. अब मोदी सरकार ने क्या बदलाव किए हैं, उसे लेकर किसानों के मन में कई शंकाए हैं. इन्हीं शंकाओं को दूर करने के लिए भारत सरकार ने अखबारों में विज्ञापन देकर स्थिति साफ करने की कोशिश की है. आइए आपको बताते हैं सरकार ने किन सवालों पर दी है सफाई और बताया क्या 'झूठ' है और 'सच'.
न्यूनतम समर्थन मूल्य का क्या होगा? झूठ: किसान बिल असल में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य न देने की साजिश है.
सच: किसान बिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना-देना नहीं है. एमएसपी दिया जा रहा है और भविष्य में दिया जाता रहेगा.मंडियों का क्या होगा?
झूठ: अब मंडियां खत्म हो जाएंगी.
सच: मंडी सिस्टम जैसा है, वैसा ही रहेगा.
किसान विरोधी है बिल?
झूठ: किसानों के खिलाफ है किसान बिल.
सच: किसान बिल से किसानों को आजादी मिलती है. अब किसान अपनी फसल किसी को भी, कहीं भी बेच सकते हैं. इससे 'वन नेशन वन मार्केट' स्थापित होगा. बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करके किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे.
बड़ी कंपनियां शोषण करेंगी?
झूठ: कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर बड़ी कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी.
सच: समझौते से किसानों को पहले से तय दाम मिलेंगे लेकिन किसान को उसके हितों के खिलाफ नहीं बांधा जा सकता है. किसान उस समझौते से कभी भी हटने के लिए स्वतंत्र होगा, इसलिए लिए उससे कोई पेनाल्टी नहीं ली जाएगी.
छिन जाएगी किसानों की जमीन?
झूठ: किसानों की जमीन पूंजीपतियों को दी जाएगी.
सच: बिल में साफ कहा गया है कि किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह प्रतिबंधित है. समझौता फसलों का होगा, जमीन का नहीं.
किसानों को नुकसान है?
झूठ: किसान बिल से बड़े कॉर्पोरेट को फायदा है, किसानों को नुकसान है.
सच: कई राज्यों में बड़े कॉर्पोरेशंस के साथ मिलकर किसान गन्ना, चाय और कॉफी जैसी फसल उगा रहे हैं. अब छोटे किसानों को ज्यादा फायदा मिलेगा और उन्हें तकनीक और पक्के मुनाफे का भरोसा मिलेगा.