Trending News

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात सरकार और याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया

[Edited By: Rajendra]

Friday, 21st July , 2023 11:59 am

मोदी सरनेम मामले में दोषी करार कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात सरकार और याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया है। बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट ने आपराधिक मानहानि मामले में राहुल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था, जिसमें सूरत अदालत ने 'मोदी' मामले में उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई थी।

मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस बीआर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की। कोर्ट ने राहुल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले पूर्णेश मोदी और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ मामले पर सुनवाई के बाद गुजरात सरकार और पूर्णेश मोदी से जवाब मांगा है।

राहुल ने 15 जुलाई को मामले की अर्जेंट सुनवाई की याचिका लगाई थी, जिसे कोर्ट ने 18 जुलाई को स्वीकार कर लिया था। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ 18 जुलाई को वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी द्वारा मामले का उल्लेख करने और तत्काल सुनवाई की मांग करने के बाद गांधी की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुई थी। इससे पहले, राहुल पर केस करने वाले भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने भी SC में कैविएट दाखिल कर अपील की थी कि उन्हें सुने बिना केस में फैसला न लिया जाए।

राहुल गांधी को अगर सुप्रीम कोर्ट से आने वाले दिनों में राहत नहीं मिलती है तो वे 2031 तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। दरअसल, नियमानुसार सजा पूरी होने के छह साल बाद तक कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है। इसी कारण राहुल दो साल की सजा के बाद अगले छह साल मतलब 2031 तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। अपनी अपील में राहुल गांधी ने कहा है कि अगर 7 जुलाई के HC के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई, तो इससे अभिव्यक्ति और विचार का गला घोंट दिया जाएगा।

7 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने कहा था, 'राहुल के खिलाफ कम से कम 10 क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं। इस केस के अलावा उनके खिलाफ कुछ और केस फाइल किए गए हैं। एक तो वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है। किसी भी हाल में सजा पर रोक नहीं लगाना अन्याय नहीं है। इस केस में सजा न्यायोचित और उचित है। राहुल गांधी ऐसे आधार पर सजा पर रोक की मांग कर रहे हैं, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। सूरत कोर्ट के फैसले में दखल की आवश्यकता नहीं है। याचिका खारिज की जाती है।'

बता दें कि गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल द्वारा की गई टिप्पणी "सभी चोरों का सामान्य उपनाम मोदी है" को लेकर गांधी के खिलाफ 2019 में आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। हालांकि, राहुल ने कहा था कि वे भारत में वांछित दो भगोड़े प्रमुख व्यापारियों नीरव मोदी और ललित मोदी का जिक्र कर रहे थे।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता 24 मार्च दोपहर करीब 2.30 बजे रद्द कर दी गई। वह केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय ने पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी। लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल का नाम हटा दिया। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के एक फैसले में कहा था कि अगर कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी पाया गया तो वह संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य होगा। इसी नियम के तहत राहुल की संसद सदस्यता रद्द हुई है।

सांसदी जाने के बाद राहुल ने 25 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राहुल ने कहा- भाजपा ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। कभी OBC की बात करेगी, कभी विदेश में दिए बयान की बात करेगी। ये लोग मेरी सदस्यता रद्द करके मुझे रोक नहीं सकते। चाहे मुझे सदस्यता मिले, ना मिले, मैं अपना काम करूंगा। अगर ये मुझे स्थायी रूप से डिसक्वालिफाई कर दें, तो भी मैं अपना काम करूंगा। मैं संसद के अंदर रहूं या बाहर, कोई फर्क नहीं पड़ता।

2013 में जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सांसद/विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाए। 24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने पहुंचकर कहा था- ये अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। इसके बाद ये अध्यादेश वापस ले लिया गया था।

Latest News

World News