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शिवपाल सिंह यादव ने मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा का समर्थन करने का एलान किया

[Edited By: Rajendra]

Friday, 18th November , 2022 12:29 pm

शिवपाल सिंह यादव ने मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा का समर्थन करने का एलान किया है। प्रसपा के प्रदेश अध्यक्ष व शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव ने भी कार्यकर्ताओं से डिंपल यादव के समर्थन में प्रचार करने का एलान किया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एवं मैनपुरी से प्रत्याशी डिंपल यादव ने बृहस्पतिवार सुबह सैफई में शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात की। उन्होंने उपचुनाव में समर्थन मांगा। इस मुलाकात के बाद पसीजे शिवपाल ने भावुक अपील करते हुए डिंपल को जिताने का आह्वान किया।

शिवपाल से मुलाकात के बाद डिंपल यादव एवं अखिलेश यादव ने फोटो ट्वीट करते हुए लिखा कि नेताजी के और घर के बड़ों के साथ-साथ मैनपुरी की जनता का भी आशीर्वाद साथ है। दोपहर बाद शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट किया। इसमें लिखा कि जिस बाग को सींचा हो खुद नेताजी ने, उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून, पसीने से। उन्होंने भी डिंपल और अखिलेश के साथ की तस्वीर ट्वीट की।

दोपहर बाद प्रसपा के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य यादव आगे आए। उन्होंने पार्टी के नेताओं से अपील की कि मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा ने डिंपल यादव को प्रत्याशी घोषित किया है। नेताजी को श्रद्धांजलि देने का यह उपयुक्त अवसर है। सपा प्रत्याशी को वोट करके नेताजी को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

महज चार महीने पहले ही समाजवादी पार्टी से 'औपचारिक स्वतंत्रता' प्राप्त करने वाले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव एक बार फिर रिश्तों के 'अधीन' हो गए। सपा मुखिया अखिलेश यादव गुरुवार को अपनी पत्नी और मैनपुरी उम्मीदवार डिंपल यादव के साथ सैफई में शिवपाल यादव के घर पहुंचे। समर्थन और आशीर्वाद मांगा। कुछ ही देर में, पहले अखिलेश और फिर शिवपाल ने 'मिलन' की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं। लेकिन यह सबकुछ इतना भी आसान नहीं है, बल्कि इसके पीछे शिवपाल की मजबूरी छिपी है। अगर वह ऐसा नहीं करते तो परिवार में जयचंद कहलाने का खतरा था।

विधानसभा चुनाव के बाद शिवपाल के सुर अखिलेश के प्रति इतने तल्ख हो गए थे कि 23 जुलाई को सपा ने आधिकारिक चिट्ठी जारी कर कहा दिया, 'अगर आपको लगता है, कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र है।' इस पर शिवपाल ने भी जवाब दिया, 'औपचारिक स्वतंत्रता के लिए धन्यवाद। राजनीतिक यात्रा में सिद्धांतों और सम्मान से समझौता अस्वीकार्य है।'

हालांकि, चार महीने बाद शिवपाल की सम्मान की तलाश आखिरकार सपा दरवाजे पर ही पूरी हुई। इस हृदय परिवर्तन में महज रिश्तों की गर्माहट ही नहीं बल्कि सियासी संभावनाओं की आहट भी छुपी है। मैनपुरी उपचुनाव में मुलायम की विरासत बचाने के लिए एकजुटता का संदेश सपा के लिए जरूरी है, इसलिए अखिलेश एका का हर दरवाजा खटखटा रहे हैं।

सपा से अलग राह चुनने के बाद भाजपा पर नर्म सुर के कारण शिवपाल की संभावनाएं भगवा दल से भी जोड़ी जाती रही हैं, लेकिन परिवार की नई पीढ़ी इसको लेकर बहुत सहज नहीं है। सूत्रों का कहना है कि डिंपल के उम्मीदवार घोषित होते ही आदित्य यादव ने प्रसपा प्रवक्ताओं को इस मुद्दे पर बोलने से मना कर दिया था। शिवपाल के बेटे आदित्य सपा के साथ ही सियासी भविष्य को बेहतर मान रहे हैं। यहां रिश्ते सुधरे तो अहमियत हमेशा ज्यादा रहेगी। लिहाजा, परिवार का दबाव भी शिवपाल पर था।

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव से पहले सपा और भाजपा के बीच वाक् युद्ध भी अपने चरम पर है। यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने शिवपाल और अखिलेश की मुलाकात पर तंज कसा तो सपा भड़क गई। चौधरी ने कहा कि शिवपाल अभी तक अलग-थलग थे लेकिन बीजेपी के प्रभाव से डरकर अखिलेश अब चाचा की शरण में चले गए हैं। इस पर पलटवार करते हुए सपा ने बीजेपी को कृतघ्न, लंपट और बेशर्म बता डाला। साथ ही बीजेपी के शीर्ष नेताओं अटल, आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को लेकर पार्टी पर बेहद तीखा हमला बोला।

शिवपाल यादव के सपोर्ट करने से सपा प्रत्याशी डिंपल की जीत आसान हो जाएगी। क्योंकि शिवपाल जसवंतनगर सीट से मौजूदा विधायक हैं वो मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में ही आते हैं। इस मुलाकात से स्पष्ट है कि आंतरिक कलह भी खत्म हो गई है। अब इनकी सीधी लड़ाई बीजेपी से ही है। साथ ही उनका ये भी कहना है कि शिवपाल यादव के पास भी डिंपल को सपोर्ट करने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं था। यह मुलाकात चाचा-भतीजे के बीच चल रही तनातनी को दूर होने की दिशा में एक कारगर कदम माना जा सकता है।

मैनपुरी लोकसभा में पांच विधानसभा मैनपुरी, भोगांव, किशनी, जसवंतनगर और करहल हैं। उपचुनाव में सपा ने जमीनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव सहित सैफई परिवार की सक्रियता तो बढ़ी है, पार्टी के दूसरे चेहरों ने भी जमीनी संपर्क की रूपरेखा बनानी शुरू कर दी है। अखिलेश खुद युवाओं के साथ संवाद कर रहे हैं तो महिलाओं से हाथ जोड़कर वोट की अपील भी कर रहे हैं।

अखिलेश गांव-गांव घूमकर सभाएं कर रहे हैं। डिंपल के नामांकन के बाद मीडिया से बात करते हुए अखिलेश ने कहा कि यह नेताजी का चुनाव है और डिंपल यादव यहां से ऐतिहासिक वोटों से जीतेंगी। शिवपाल की नाराजगी के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि पूरा परिवार साथ है और हम सब मिलकर चुनाव प्रचार करेंगे। गौरतलब है कि शिवपाल यादव को सपा ने स्टार प्रचारक बनाया है।

अखिलेश ने कहा कि जिन लोगों से मिला हूं वो कितनी पुरानी बातें नेताजी को लेकर चर्चा करते हैं। यहां के बुजुर्ग उनके साथ की कहानी के बारे में बताते हैं। नेताजी के साथ बहुत परिवारों की यादें जुड़ी हैं। नेताजी के न रहने पर ये जो चुनाव होने जा रहा है, सपा ऐतिहासिक वोटों से जीतेगी। उन्होंने बताया कि आलोक शाक्य, राजनारायण बाथम, एएच हाशमी के साथ नामांकन हुआ है। तेज प्रताप चौथे प्रस्तावक हैं।

मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई सीट पर सपा ने उनकी बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। पहले ऐसी चर्चा थी कि सपा मुलायम सिंह यादव के भाई के पोते तेज प्रताप सिंह यादव को टिकट दे सकती है। तेज प्रताप पहले भी मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में मुलायम सिंह यादव की सीट पर उनकी दावेदारी को काफी मजबूत माना जा रहा था लेकिन बाद में सपा ने डिंपल यादव को चुनाव में उतार दिया।

मैनपुरी उपचुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने के बाद डिंपल नामांकन कर चुकी हैं। नामांकन से पहले अखिलेश और डिंपल ने नेताजी की समाधि पर जाकर आशीर्वाद लिया था। अखिलेश ने नामांकन के बाद कहा कि मैनपुरी का यह चुनाव उस माहौल में हो रहा है जब नेताजी हमारे बीच में नहीं है। नेताजी का क्षेत्र से लगाव रहा है। उनका राजनीति का पूरा संघर्ष यहीं से हुआ। नेताजी जब नहीं हैं तो मैं मैनपुरी की जनता से अपील करना चाहता हूं कि उनके बताए हुए रास्ते पर हम सब चलें।

अखिलेश-शिवपाल की मुलाकात पर ओपी राजभर ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब दोनों लोग साथ आएं हों। बीते विधानसभा चुनाव में भी दोनों लोग मिलकर चुनाव लड़े थे, लेकिन नतीजे आते ही अलग-अलग अपना राग अलापने लगे थे। उन्होंने कहा इस मुलाकात से ना ही कोई फर्क पड़ने वाला है और ना ही कोई असर दिखने वाला है सिर्फ लोग माहौल बना रहे हैं। बीजेपी का भी कहना है कि जब चुनाव फंस गया तो शिवपाल याद आ रहे हैं।

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