अयोध्या में रामलला का मंदिर बन रहा है तो वहां से करीब दो सौ किलोमीटर दूर बाबा भोलेनाथ की नगरी वाराणसी के बीच एक और रिश्ता बनने जा रहा है। प्रभु राम के आदर्शो और जीवनदर्शन को जन-जन तक पहुचाने एवं उनसे जुड़ी घटनाओं में विज्ञान की मौजूदगी और नीति शास्त्र के अलावा निर्जीव विज्ञान,सजीव विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के प्रति आमजन में जागरूकता पैदा करने के लिए यहां(वाराणसी)जल्द ही दुनिया का एक मात्र शैक्षिक संस्थान ‘स्कूल ऑफ राम’ खुलने जा रहा है। इस स्कूल में अगले माह(अक्टूबर) से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो जाएगी। ‘स्कूल ऑफ राम’ में अगले माह से एक महीने का ‘रामचरित मानस’ ओसियन ऑफ साइंस सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया जाएगा। इस कोर्स के जरिए छात्र-छात्राओं को भगवान श्रीराम और उनके भक्त एवं श्री रामचरितमानस के रचियता तुलसीदास के जीवन दर्शन का अध्ययन कराया जाएगा।
स्कूल से जुड़े जानकार बताते हैं कि इसके साथ ही रामचरित मानस की घटनाओं में विज्ञान की मौजूदगी और नीति शास्त्र के अलावा निर्जीव विज्ञान, सजीव विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के बारे में भी छात्रों को जानकारी दी जाएगी। भगवान श्रीराम के जीवन सार की पढ़ाई के लिए वाराणसी में ‘स्कूल ऑफ राम’ की स्थापना पिछले वर्ष मार्च में अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ला ने की थी। यहां एक अक्टूबर से कोर्स की औपचारिक शुरूआत होगी। इसमें कोई भी दाखिला ले सकता है। इसके लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन 28 सितंबर तक मांगे गए हैं। सप्ताह में दो दिन ऑनलाइन कक्षाएं भारतीय समयानुसार रात 9 से 10.15 बजे तक चलेंगी।
स्कूल ऑफ राम से जुड़े काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वैदिक विज्ञान केंद्र के शोधार्थी प्रिंस तिवारी ने बताया कि सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने के लिए अभी यूजीसी या संस्कृति मंत्रालय से मान्यता नहीं मिली है। इसके लिए प्रयास जारी है। इस बीच शुरू होने वाले रामचरित मानस ओसियन ऑफ साइंस नामक कोर्स में मार्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन सार के साथ रामचरित मानस में धनुष आणविक तकनीक, मानस के आधुनिक संदर्भ के साथ ही मनोविज्ञान, भाषा विज्ञान, योग विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, खगोलीय शास्त्र आदि पर धारणाओं को स्पष्ट किया जाएगा।