कांग्रेस ने शनिवार को सोशल मीडिया पर '' किसानों के लिए आवाज उठाओ '' अभियान शुरू किया, जिसमें राहुल गांधी ने लोगों से आग्रह किया कि वे नरेंद्र मोदी सरकार के किसानों के '' शोषण '' के खिलाफ आवाज उठाएं। कृषि से जुड़े तीन विधेयक मानसून सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किए गए थे और राष्ट्रपति की सहमति का इंतजार कर रहे थे। कृषि बिल को लेकर विपक्ष और किसान की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
मोदी सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे अत्याचार और शोषण के ख़िलाफ़, आइये साथ मिलकर आवाज़ उठाएँ।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 26, 2020
अपने वीडियो के माध्यम से #SpeakUpForFarmers campaign से जुड़िए। pic.twitter.com/WyMfcVb1iP
राहुल ने ट्वीट कर कहा, "मोदी सरकार द्वारा किसानों के अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठाई जाए। अपने वीडियो के माध्यम से किसानों के लिए बोलो अभियान में शामिल हों," वीडियो में पार्टी ने बिलों को वापस लेने का आह्वान किया था।
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर आरोप लगाया कि सरकार द्वारा "अत्यधिक अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए कृषि बिल कुछ भी नहीं हैं, लेकिन हमारे किसानों पर हमला और कृषि को अपने पूंजीपति दोस्तों के लिए एक और राजस्व धारा में बदलने का प्रयास है"।
कई अन्य विपक्षी दलों के साथ, इसने दावा किया है कि कृषि बिल किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाएगा और कॉरपोरेट्स को फायदा होगा। वहीं केंद्र ने कहा है कि बिल किसानों के लिए फायदेमंद होंगे और उनकी आय में वृद्धि करेंगे।
कांग्रेस ने कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ शनिवार को सोशल मीडिया अभियान की शुरुआत की और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोगों से इससे जुड़ने की अपील करते हुए कहा कि किसानों पर हो रहे 'अत्याचार' के खिलाफ सबको मिलकर आवाज उठानी चाहिए।
पार्टी ने कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध में 'स्पीक अप फॉर फार्मर्स' अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत राहुल गांधी और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने वीडियो जारी कर इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, '' मोदी सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे अत्याचार और शोषण के ख़िलाफ़, आइये साथ मिलकर आवाज़ उठाएं। अपने वीडियो के माध्यम से इस अभियान से जुड़िए।'' कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि कृषि उपज विपणन (एपीएमसी) कानून आज किसानों के बड़े तबके के लिए एक सुरक्षा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मूल्य निर्धारण का एक संकेत है जिसके आधार पर बाजार कीमतें तय करता है।
उन्होंने दावा किया कि ये विधेयक एमएसपी के इस महत्व को खत्म कर देंगे और एपीएमसी कानून भी निष्प्रभावी हो जाएगा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, ''लोकसभा में तीन कानून पारित किये गये। भाजपा सरकार 'एक देश, एक बाजार' की तो बात कर रही है, लेकिन फसल के दाम के बारे में स्पष्ट नहीं कर रही कि दाम भी एक होगा या नहीं।''
कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने दावा किया, ''मोदी सरकार अपने तीन काले कानूनों से कृषि क्षेत्र को उद्योगपतियों को सौंपने की तैयारी कर रही है। हमारी सरकार से मांग है कि किसान को फसल की एमएसपी सुनिश्चित की जाए और मंडी प्रणाली को बनाये रखने के लिए कानूनी रूप दिया जाए।''
हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी।