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उत्तर प्रदेश में निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर बिजली कर्मचारी, अंधेरे में डूबे कई शहर

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 6th October , 2020 07:16 pm

सीएम योगी के घर पर ऊर्जा मंत्री, प्रमुख ऊर्जा सचिव समेत विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग चल रही है। मीटिंग में हड़ताल के कारण उपजी परिस्थितियों पर चर्चा और इससे निकलने का रास्ता निकालने पर बातचीत जारी है। जानकारी के मुताबिक, बिजली संकट को लेकर अहम बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली बैठक में मुख्य सचिव और DGP के अलावा डीएम, एडीजी जोन, आईजी और कमिश्नर शामिल होंगे। मीटिंग में लॉ ऐंड ऑर्डर को लेकर भी निर्देश दिए जाएंगे। बता दें कि इससे पहले सोमवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कर्मचारियों के बीच जाकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा की और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए।

पी पावर कारपोरेशन और विद्युत कर्मचारियों के बीच अभी भी सहमति नहीं बन पाई है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देश के बावजूद यूपीपीसीएल चेयरमैन ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने सहमति पत्र पर विचार करने के लिए समय मांगा है। ऐसे में बिजली कर्मचारियों ने इस पर नाराजगी जाहिर की है कि ब्यूरोक्रेट्स भी योगी सरकार की बात नहीं मान रहे हैं। ऐसे में कार्य बहिष्कार का दायरा और बढ़ाया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ यहां कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है। लाखों की संख्या में कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर हैं। ऐसे में बीते सोमवार को विद्युत संघर्ष समिति की सरकार से इस मुद्दे पर बैठक बेनतीजा साबित हुई, जिसके बाद समिति ने प्रदेश में आंदोलन जारी रखने का ऐलान कर दिया है।

बीते सोमवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की मौजूदगी में कर्मियों की बातों पर सहमति बन गई थी। जिसके बाद कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार समाप्त करने का ऐलान कर दिया। इसके कुछ देर बाद सूचना मिली की सीएमडी अरविंद कुमार ने समझौते पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है। चेयरमैन का कहना है कि जब टेंडर की प्रक्रिया और व्यवस्था में सुधार हो जाएगा तब निजीकरण के प्रस्ताव को वापस ले लिया जाएगा।

इसके साथ ही बैठक के दौरान तय हुआ कि पूर्वांचल या किसी अन्य क्षेत्र में विघटन या निजीकरण का प्रस्ताव सरकार की ओर से वापस लिया जाता है। साथ ही कहा गया कि कर्मचारियों और अभियंताओँ की सहमति के बिना कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। विद्युत वितरण में सुधार, राजस्व वसूली, बेहतर उपभोक्ता सेवा के लिए प्रयास किए जाएंगे। उपकेंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने में कर्मचारी अपना पूरा योगदान देंगे। आंदोलन के लिए किसी भी कार्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इन्ही कुछ शर्तों के साथ समिति ने आंदोलन वापस लेने का निर्यण लिया था, जोकि सीएमडी के हस्ताक्षर न करने के कारण असफल रहा।

इस पूरे मामले पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि सीएमडी अरविंद कुमार ने कर्मचारियों के साथ वादाखिलाफी की है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री की सहमति के बाद भी मांगो को अनदेखा किया गया और हस्ताक्षर नहीं किए। समिति संयोजक ने आगे कहा कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। ऐसे में उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में विद्युत आपूर्ति जारी है तो कुछ अंधेरे में डूब गए हैं। कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने से पहले यहां की बिजली आपूर्ति बंद कर दी है।

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