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शगुन योजना विफल होती आ रही नज़र

[Edited By: Arshi]

Wednesday, 16th June , 2021 03:14 pm

सरकार ने लड़कियों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं और उन्हीं योजनाओं में से एक प्रमुख योजना है शगुन योजना. इस योजना का उद्देश्य लड़कियों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना है, देश में अल्पसंख्यक समुदाय में खासतौर पर मुस्लिम समाज में लड़कियों में उच्च शिक्षा की स्थिति बहुत ख़राब है, जिसके कारण इस योजना की शुरूआत की गई.
वहीं कई विफल सरकारी योजनाओं में ही इस योजना का नाम भी आता नज़र आ रहा है. उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरकारी योजना का लाभ अपात्रों को दिए जाने का खुलासा हुआ. समाज कल्याण विभाग ने पिछले 2 सालों में 2523 अपात्र लोगों को शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना के तहत छह करोड़ से ज्यादा की धनराशि बांट दी है. दोनों योजना में कुल लाभार्थियों की संख्या करीब 7000 है अब फर्जी तरीके से योजना का लाभ लेने वालों से रिकवरी की तैयारी हो रही है.शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना के पैसों में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ. दोनों योजनाओं में 2523 लाभार्थी फर्जी पाए गए. राजस्व और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से छह करोड़ से ज्यादा इन अपात्रों को बांट दिए गए. इसका खुलासा 51 अफसरों की बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट में हुआ.

आपको बता दें कि इस योजना का मुख्य उदेश्य मुस्लिम लड़कियों और उनके अभिभावकों को उच्च स्तर की शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना था जिससे लड़कियां विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी कर सकें. प्रधानमंत्री शादी शगुन योजना में शादी से पहले स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाली अल्पसंख्यक समुदाय की युवतियों को सरकार 51,000 धनराशि देती है.शादी शगुन योजना का लाभ उन्हीं मुस्लिम लड़कियों को मिलता है, जिन्होंने स्कूली स्तर पर बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति हासिल की हो.
जांच कमेटी ने सत्यापन करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को अपनी पड़ताल में दोषी पाया. डीएम ने इस बाबत कार्रवाई के आदेश भी दिए हैं. सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा कानपुर की सदर तहसील में हुआ. शादी अनुदान के नाम पर मिलने वाले 20000 रुपये और पारिवारिक लाभ योजना के तहत मिलने वाले 30000 रुपये पाने के लिए अपात्रों को अफसर और कर्मचारियों ने पात्र बता दिया था. उनको योजना का लाभ दिया गया, शादी अनुदान योजना में 1079 और पारिवारिक लाभ योजना में 1444 लाभार्थी जांच में फर्जी पाए गए.
शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा सदर तहसील में किया गया है. जांच में यह भी पता चला है कि एसडीएम की लॉगिन से फर्जी रिपोर्ट भेजी गई. कई लोगों को बगैर शादी के ही रुपये का अनुदान दे दिया गया, कई लोगों को तो बिना आवेदन किए हुए ही भुगतान करा दिया गया. जिलाधिकारी कानपुर ने एडीएम आपूर्ति बसंत लाल सीटीओ यशवंत सिंह और पीडी डीआरडीए केके पांडे को जांच कमेटी में शामिल किया था. पड़ताल के बाद जांच रिपोर्ट में लाभार्थियों ने आय और जाति प्रमाण पत्र तक फर्जी लगाए. सदर तहसील के 2 साल और अन्य तहसीलों के 1 साल के दस्तावेजों को जब देखा गया तो सबसे ज्यादा गड़बड़ी शहरी क्षेत्र में ही मिली.
जांच कमेटी ने रिपोर्ट में निष्कर्ष दिए कि शादी अनुदान में 2129 फॉर्म की जांच में सिर्फ 1050 पात्र मिले. पारिवारिक लाभ योजना में 4544 आवेदनों की जांच में 3100 छात्र मिले. योजनाओं का लाभ देने के लिए शासन आदेश का पालन नहीं हुआ. सत्यापन करने वाले अफसर और कर्मचारियों ने धड़ाधड़ फर्जी रिपोर्ट लगाई. भविष्य में सत्यापन रिपोर्ट का रैंडम वेरिफिकेशन की सिफारिश भी की गई है.

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