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मल्लिकार्जुन खड़गे को पहले ही अध्यक्ष बता चुके राहुल गांधी के बयान पर अब पार्टी की सफाई

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 20th October , 2022 01:24 pm

बातों-बातों में मल्लिकार्जुन खड़गे को पहले ही अध्यक्ष बता चुके राहुल गांधी के बयान पर अब पार्टी सफाई दे रही है। पार्टी का कहना है कि पहले ही 'मतदान की दिशा' साफ थी। खड़गे ने बुधवार को प्रतिद्वंदी तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर को बड़े अंतर से हरा दिया। वह 26 अक्टूबर को पार्टी प्रमुख का पद संभालेंगे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 'कुछ गलत मीडिया रिपोर्ट्स थीं कि राहुल गांधी ने अदोनी में दोपहर करीब 1 बजे अदोनी में शुरू हुई प्रेस मीट में खड़गे जी को कांग्रेस अध्यक्ष बता दिया था। बात यह है कि प्रेस मीट की शुरुआत से पहले ही मतदान की दिशा साफ थी।' बुधवार को दोपहर दो बजे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के नतीजे सामने आए थे।

आंध्र प्रदेश में प्रेस वार्ता के दौरान राहुल की भूमिका को लेकर सवाल पूछा गया था। इसपर उन्होंने कहा था, 'नए अध्यक्ष तय करेंगे कि मेरी भूमिका क्या होगी। खड़गे जी और सोनिया जी से पूछें।' जब वायनाड सांसद से पूछा गया कि उनके पार्टी के चेहरा रहते हुए नए अध्यक्ष क्या करेंगे। उन्होंने कहा था, 'मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद की भूमिका पर टिप्पणी नहीं कर सकता है, इसपर खड़गे बोलेंगे।'

वहीं, अपनी भूमिका को लेकर उन्होंने कहा, 'जहां तक मेरी भूमिका की बात हैं, मैं एकदम स्पष्ट हूं। अध्यक्ष तय करेंगे कि मेरी भूमिका क्या होगी और कैसे मुझे तैनात किया जाएगा... यह आपको खड़गे जी और सोनिया जी से पूछना पड़ेगा।' खास बात है कि 17 अक्टूबर को हुए मतदान से पहले ही खड़गे को रेस में आगे माना जा रहा था। इसके अलावा दिग्विजय सिंह, प्रमोद तिवारी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और जी-23 के नेता मनीष तिवारी समेत कई बड़े नेता समर्थन कर रहे थे। मतगणना के दौरान ही टीम थरूर ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठा दिए थे। खबरें थी कि चुनाव समिति के पास इस संबंध में शिकायतें भी दर्ज कराई गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें उत्तर प्रदेश में हुए मतदान, बैलेट्स बॉक्स को सील करने जैसी कई शिकायतें शामिल थीं।

विश्लेषकों और पार्टी के कुछ अंदरूनी लोगों के मुताबिक़, नए अध्यक्ष की सबसे महत्वपूर्ण चुनौती होगी पार्टी पर अपना नियंत्रण कायम करना, अपना सिक्का जमाना, अपनी बात मनवा पाना. कई विश्लेषकों का मानना है कि असली ताक़त गांधी परिवार के हाथों में ही रहेगी, अध्यक्ष का 'रिमोट कंट्रोल' सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी के पास होगा. रिमोट कंट्रोल वाली बात इसलिए भी की जा रही है क्योंकि मल्लिकार्जुन खड़गे गाँधी परिवार के क़रीब माने जाते हैं और उन्हें प्रथम परिवार के उम्मीदवार की तरह से देखा जा रहा है.

कुछ दिन पहले पार्टी के बाग़ी नेता संजय झा के एक लेख पर अख़बार की हेडलाइन थी, "मल्लिकार्जुन खड़गे की आधिकारिक उम्मीदवारी - कांग्रेस कैसे ख़ुद को गिरा रही है". उनका तर्क था कि अध्यक्ष पद का चुनाव केवल एक मज़ाक़ है क्योंकि उनके मुताबिक़ खड़गे गाँधी परिवार के केवल एक 'दरबारी' हैं.

अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं, "पार्टी अध्यक्ष पर गांधी परिवार के फ़ैसले थोपे नहीं जाएँगे, वो कहते हैं, "हमारे यहाँ सामूहिक तरीके से फ़ैसले होते हैं. वो अपने फ़ैसले नहीं थोपेंगे, मैं राहुल जी और सोनिया जी का स्वभाव जानता हूँ"

80 वर्षीय खड़गे कांग्रेस के सबसे प्रमुख दलित चेहरों में से एक हैं और कर्नाटक जैसे एक ऐसे राज्य से ताल्लुक रखते हैं जहां पार्टी की पकड़ बनी हुई है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं जिनके संबंध बड़े नेताओं से अच्छे हैं, खास तौर से गांधी परिवार से. लेकिन आम कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पकड़ कमज़ोर बताई जाती है. सोमवार को वोट देकर लौटने वाले एक दलित कांग्रेसी नेता ने कहा कि खड़गे के अध्यक्ष बनने से दलित और पिछड़े समाज के वो लोग जो पार्टी छोड़ कर चले गए थे, वापस लौट जाएँगे. उनके अनुसार वो पार्टी और गाँधी परिवार के बीच एक कड़ी की तरह हैं. उनके अनुसार उन्हें गांधी परिवार की कठपुतली कहना सही नहीं होगा.

विश्लेषक कहते हैं कि पार्टी की हालत बहुत ख़राब है. उसे मौजूदा संकट से निकालना और पार्टी में ज़मीनी स्तर पर ऊर्जा पैदा करना नए अध्यक्ष की एक बड़ी चुनौती होगी. "पुराने नेताओं का पार्टी वर्कर्स के साथ एक कनेक्ट था. खड़गे के बारे में हम ऐसा नहीं कह सकते, तो पार्टी को ज़मीनी स्तर पर पुनर्जीवित करना नए अध्यक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. चुनाव में जीत के लिए बहुत मेहनत करनी होगी. क्या एक 80 वर्ष के नेता से आप ये उम्मीद कर सकते हैं?"

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