कृषि कानूनों के मसले पर सरकार और किसानों के बीच बातचीत एक बार फिर बेनतीजा खत्म हुई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने मीटिंग के बाद साफ घोषणा की है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी से कम वो मानने को तैयार नहीं है। सरकार के रुख से किसानों के संगठनों ने नाराजगी जाहिर करते हुए अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सरकार की तरफ से वार्ता की अगुवाई कर रहे थे।
हालांकि सरकार के साथ अगली बैठक 8 जनवरी को निर्धारित की गई है। पिछली बातचीत में सरकार बिजली बिल और पराली जलाने के मसले पर किसानों की मांगों को स्वीकार किया था। जबकि MSP और कृषि कानून वापसी पर पहले की तरह ही इस बार भी गतिरोध शुरू से बना रहा।
किसान आंदोलन को लेकर सरकार और किसान संगठनों में हुई सातवें दौर की वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अब अगली बैठक 8 जनवरी को रखी गई है। बैठक 2 बजे आयोजित होगी।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने बैठक के बाद कहा, सरकार काफी दबाव में है। हम सभी ने कहा कि यह हमारी मांग है (कानूनों को निरस्त करना)। हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा किसी अन्य विषय पर चर्चा नहीं चाहते हैं। कानूनों को निरस्त करने तक विरोध वापस नहीं लिया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार पूरे देश के किसानों को ध्यान में रखकर ही फैसला करेगी। इसके साथ ही तमाम कानूनी पहलुओं के बारे में भी सरकार गंभीरतापूर्वक ध्यान दे रही है। मंत्री तोमर ने एक बार फिर दावा किया कि मौजूदा कृषि कानूनों को किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही लागू किया गया है। हालांकि उन्होंने जोड़ा कि अगर किसानों को कोई आपत्ति है तो सरकार खुले मन से वार्ता के लिए तैयार है।
वार्ता के बाद किसान नेताओं ने भी कहा कि उन्हें वार्ता के विफल होने पर कोई अफसोस नहीं है। अगली बैठक में किसान नेताओं ने कुछ नतीजों की उम्मीद जाहिर की है। आंदोलन के और आगे बढ़ने के कारण धरना देने वाले किसानों की मुश्किलें बढ़ गई है। दिल्ली और आस पास के इलाकों में ठंड के साथ बिगड़े मौसम में बारिश की मार भी लोगों को झेलनी पड़ रही है। ऐसे में किसानों के लिए खुले में धरना जारी रखना कठिन होगा। फिर भी किसान नेताओं ने साफ कहा कि तमाम मुश्किलों के बावजूद वो धरना स्थल से नहीं हटेंगे।