Trending News

दिल्ली में एक बार फिर मेयर का चुनाव टला

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 14th February , 2023 02:35 pm

महापौर चुनाव को लेकर चल रहे विवाद पर भाजपा का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करेगी। प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि भाजपा आशंका जता चुकी है कि आप महापौर का चुनाव नहीं होने देना चाहती। एमसीडी चुनाव का परिणाम आए दो महीने से अधिक हो चुका है, लेकिन दिल्ली को अब भी नए मेयर का इंतजार है। हंगामे की वजह से तीन बार चुनाव टलने के बाद मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट मे हैं। इसकी वजह से एक बार फिर 16 फरवरी को प्रस्तावित चुनाव टल गया है। सर्वोच्च अदालत से फैसला आने के बाद ही अब पार्षद अपने मेयर का चुनाव करेंगे। देश की सबसे बड़ी अदालत में 17 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।

एमसीडी में बहुमत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) और 15 साल बाद सत्ता से बेदखल हुई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच झगड़े की जड़ एलजी की ओर से नामित 10 पार्षद (एल्डरमैन) हैं। मेयर चुनाव में इनके वोटिंग अधिकार को लेकर दोनों दलों की राय अलग है। पीठासीन अधिकारी ने 6 फरवरी को चुनाव से पहले कहा था कि एल्डरमैन को भी वोटिंग का अधिकार है, जिसे 'आप'ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की एक टिप्पणी ने 'आप' की उम्मीदों को जगा दिया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने माना कि मनोनीत सदस्य के पास वोटिंग अधिकार नहीं है। 'आप' की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पादरीवाला की बेंच से कहा कि संविधान का अनुच्छेद 243R मनोनीत सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं देता है। सीजेआई ने भी इस पर कहा,'एक चीज साफ है, पहली नजर में अनुच्छेद 243R कहता है कि मनोनीत सदस्य निगम में वोट नहीं कर सकते हैं।' हालांकि, उपराज्यपाल की ओर से पेश हुए एएसजी संजय जैन ने कहा कि उनके पास भी इस पर कुछ तर्क हैं। वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने भी कहा कि यह एक विचारणीय मुद्दा है। समय की कमी के कारण पीठ इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकी और 17 फरवरी को इसे लेने पर सहमत हो गई।

चुनाव टलवाने के लिए आप अदालत गई थी और इसमें वह सफल रही है। भाजपा चाहती है कि अदालत इस मामले पर जल्द चर्चा कर महापौर का चुनाव कराए। प्रदेश महामंत्री हर्ष मल्होत्रा ने भी कहा कि भाजपा न्यायपालिका का पूर्ण सम्मान करती है। अदालत में जब कोई मामला विचाराधीन हो, तो उसका मीडिया ट्रायल उचित नहीं है। इसे ध्यान में रखकर अदालत में सुनवाई के दौरान किसी भी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देना अनुचित है। भाजपा की महापौर पद प्रत्याशी रेखा गुप्ता ने भी सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दायर याचिका पर अपना पक्ष रखने की अनुमति मांगी है। भाजपा अब अदालत में सीधा अपना पक्ष रखना चाहती है।

महापौर चुनाव को लेकर चल रहे विवाद पर भाजपा का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का वह सम्मान करेगी। प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 16 फरवरी को महापौर का होने वाला चुनाव फिर टल गया है। भाजपा आशंका जता चुकी है कि आम आदमी पार्टी (आप) महापौर का चुनाव नहीं होने देना चाहती है। चुनाव टलवाने के लिए आप अदालत गई थी और इसमें वह सफल रही है। भाजपा चाहती है कि अदालत इस मामले पर जल्द चर्चा कर महापौर का चुनाव कराए। सुप्रीम कोर्ट का फैसला पार्टी को स्वीकार होगा।

प्रदेश महामंत्री हर्ष मल्होत्रा ने भी कहा कि भाजपा न्यायपालिका का पूर्ण सम्मान करती है। अदालत में जब कोई मामला विचाराधीन हो तो उसका मीडिया ट्रायल उचित नहीं है। इसे ध्यान में रखकर अदालत में सुनवाई के दौरान किसी भी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देना अनुचित है। भाजपा की महापौर पद प्रत्याशी रेखा गुप्ता ने भी सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दायर याचिका पर अपना पक्ष रखने की अनुमति मांगी है। भाजपा अब अदालत में सीधा अपना पक्ष रखना चाहती है।

आप नेता दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया है कि नामांकित सदस्यों को मतदान का अधिकार देना भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का शर्मनाक कृत्य था। इससे एमसीडी हाउस की कार्यवाही तीन बार बाधित हुई। सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस देश में एक संस्था है जो अभी भी कानून द्वारा शासित है और केंद्र या किसी अन्य संस्था के दबाव में नहीं है।

कांग्रेस का कहना है कि भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) की लड़ाई के कारण चुनाव के दो माह बाद भी दिल्ली को महापौर नहीं मिला है। आप द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई टलने के कारण अब 16 फरवरी को भी महापौर का चुनाव नहीं हो सकेगा।

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि दोनों ही पार्टियां महापौर का चुनाव टालने की कोशिश में लगी हैं जिससे दिल्लीवासियों को नुकसान हो रहा है। दोनों पार्टियों को विवाद छोड़कर दिल्ली के हित में काम करना चाहिए। निर्वाचित पार्षदों ने 24 जनवरी को शपथ ली थी। 30 दिन के अंदर उन्हें अपनी संपत्ति का ब्योरा देना होता है। 24 फरवरी को उनकी सदस्यता जा सकती हैं।

 

Latest News

World News