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मां अन्नपूर्णा की हुयी प्राण प्रतिष्ठा- काशी के कण कण में खुशियों का उल्लास

[Edited By: Vijay]

Monday, 15th November , 2021 12:48 pm

अन्न-धन की देवी मां अन्नपूर्णा 108 साल बाद फिर से बाबा विश्वनाथ के आंगन में विराजीं। काशी की पहचान से जुड़ी अन्नपूर्णा माता की 18वीं सदी की इस दुर्लभ मूर्ति की आज प्राण प्रतिष्ठा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की। मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा ज्ञानवापी द्वार से बाबा विश्वनाथ की रजत पालकी में विराजमान होकर काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश की।

108 साल बाद कनाडा से शिव की नगरी काशी पहुंची मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा का बेमिसाल अंदाज में स्वागत किया गया। माता के आगमन की खुशियों का उल्लास कण-कण में बिखरा है। काशी विश्वनाथ मंदिर में ईशान कोण पर अन्नपूर्णा माता की ये मूर्ति स्थापित की iगई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मां की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की। इसके लिए काशी विश्वनाथ धाम को भव्य रूप से सजाया गया है।

माता की प्रतिमा जब वाराणसी पहुंची तो उत्साह से लवेरज हजारों की संख्या में लोगों ने पुष्पवर्षा कर मां की आरती उतारी। हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। सोमवार सुबह दुर्गाकुंड स्थित कूष्मांडा माता के मंदिर से विश्वनाथ मंदिर तक के लिए शोभायात्रा निकाली गई। माता के नगर भ्रमण के दौरान रास्ते में डमरू, शंख, घंटा और घड़ियाल के पुष्प वर्षा हुई।। 

माता अन्नपूर्णा की मूर्ति को काशी पहुंचने के बाद शहर में घुमाया गया। जिससे अधिक से अधिक लोग माता की दुर्लभ प्रतिमा का दर्शन कर सकें। नगर भ्रमण करने के उपरांत मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा काशी विश्वनाथ धाम पहुंची जहां सीएम योगी आदित्यनाथ ने अगवानी की।

काशी विश्वनाथ धाम में बाबा की मंगला आरती के बाद से ही मां अन्नपूर्णा की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान आरंभ हो गए थे। काशी विश्वनाथ मंदिर का अर्चक दल काशी विद्वत परिषद की निगरानी में संपूर्ण प्रक्रिया को पूर्ण कराया गया।

मंदिर परिक्षेत्र में पहुंचने के बाद प्रतिमा के पूजन और प्राण प्रतिष्ठा के विधि-विधान संपन्न हुए। सीएम योगी ने प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की और इसके बाद यह आम श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन के लिए उपलब्ध हो गईं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर कनाडा सरकार ने सदियों पहले काशी से गायब हुई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा को वापस भारत भेजा है। मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा दिल्ली के बाद अयोध्या समेत यूपी के 18 जिलों से होकर वाराणसी पहुंची है। 

प्रबोधिनी एकादशी को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में मां अन्नपूर्णा की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठित हो गई है। 100 से भी ज्यादा साल पहले भारत से चुराकर कनाडा ले जाई गई यह मूर्ति अन्नपूर्णा दरबार का हिस्सा बनी। 

बलुआ पत्थर से बनी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 18वीं सदी की बताई जाती है। मां एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच लिए हुए हैं। प्राचीन प्रतिमा कनाडा कैसे पहुंची, यह राज आज भी बरकरार है।

 

 

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