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मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी

[Edited By: Vijay]

Tuesday, 1st February , 2022 11:25 am

मौनी अमावस्‍या 2022 पर मंगलवार को प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्‍य सरस्‍वती के पावन संगम में पुण्‍य की डुबकी लगाने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। मौनी अमावस्‍या माघ मेला का प्रमुख व सबसे पुण्यदायी स्नान पर्व माना जाता है। रात्रि 12:00 बजे से सुबह 8:00 बजे तक लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया। कल और आज मिलाकर अब तक लगभग एक करोड़ लोगों ने स्नान किया।

माघ मेला क्षेत्र में आस्था की हर डगर, भक्ति भाव से भरी नजर आ रही है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के बाद संगम का जल लेकर बाहर निकलते दिख रहे हैं। रामघाट, दारागंज, गंगोली शिवालय, फाफामऊ आदि घाटों पर भी स्नान, दान का सिलसिला चल रहा है। बांध के नीचे लाखों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा है। हर डगर, हर राह पर बच्चे, युवा व बुजुर्गों की लंबी कतार लगी है। मौनी अमावस्या पर संगम-गंगा में डुबकी लगाने का संकल्प लेकर लोग तेजी से पग बढ़ाकर घाट की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं, घाटों पर भारी भीड़ है।

माघ मास की अमावस्या तिथि सोमवार की दोपहर 1.27 बजे लग गई थी। स्नान का क्रम उसी समय से शुरू हो गया था। उदया तिथि में स्नान के अभिलाषी मंगलवार को स्नान कर रहे हैं। प्रशासनिक दावा है कि सोमवार को ही 45 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया था।

संगम के अलावा गंगा के अन्‍य घाटों पर भीड़

संगम के पवित्र जल में कुछ पल स्‍नान करके बाहर निकलने वाले लोगों के चेहरे पर आंतरिक ऊर्जा की अनुभूति हो रही है। संगम के अलावा गंगा के अक्षयवट, रामघाट, दारागंज, गंगोली शिवालय, फाफामऊ आदि घाटों पर भी स्नान, दान का सिलसिला चल रहा है।

 मौनी अमावस्‍या का स्‍नान रात 12 बजे से शुरू है

माघ मास की अमावस्या तिथि सोमवार की दोपहर 1.27 बजे लग गई थी। इसी कारण स्नान का सिलसिला सोमवार की दोपहर से शुरू होकर देर शाम तक चला। सोमवार को 45 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया था। इसके बाद रात 12 बजे के बाद स्नान का सिलसिला आरंभ हो गया। कड़ाके की ठंड में भक्तिभाव से ओतप्रोत होकर लोग स्नान कर रहे हैं।

 कोरोना के प्रति है सतर्कता

लाखों की भीड़ में कोरोना संक्रमण का भय नजर नहीं आ रहा है, लेकिन उसके प्रति सतर्कता दिखी। अधिकतर चेहरे मास्क से ढके थे, कुछ ले गमछा, शाल, मफलर से मुंह ढके रखा। तमाम बंदिशों व अव्यवस्थाओं का सामना करते हुए श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने के लिए पूरे उत्साह से मेला क्षेत्र पहुंच रहे हैं

तीर्थपुरोहितों को दे रहे दान

 

मौनी अमावस्या पर स्नान के बाद दान करने का विशेष महत्व है। इसी कारण स्नान के बाद लोग तीर्थ पुरोहितों को तिल के लड्डू, तिल, तिल का तेल, वस्त्र, आंवला आदि दान कर रहे हैं। जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है वे दूध, चावल, खीर, मिश्री और बताशा दान कर रहे हैं।

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