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12 अगस्त को मनाया जाएगा रक्षाबंधन का पर्व

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 2nd August , 2022 01:00 pm

धाता और सौम्य योग में रक्षाबंधन पर्व को मनाया जाएगा द्य शास्त्रीय नियम के अनुसार रक्षाबंधन 12 अगस्त को ही मनाया जाएगा. धर्म सिंधु के अनुसार अपराह्न या प्रदोष व्यापिनी श्रावण शुक्ल रक्षाबंधन बनाई जाए ।
यथा-पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहुर्ताधिकोदय व्यापिन्यामपराह्ने प्रदोषे वा कार्य।
ऐसा निर्देश है किंतु शर्त यह हैं कि उस समय भद्रा व्याप्त नही होनी चाहिए। उपरोक्त विवरण के अनुसार यह योग 11 जुलाई को बनता है क्योंकि 11 जुलाई को प्रातः 10ः38 से पूर्णिमा आ जाएगी। लेकिन 10ः38 बजे से रात्रि 8ः51 बजे तक भद्रा रहेगी।

जैसा धर्मसिंधु में उल्लेख है कि
भद्रायां द्वे न कर्तव्यम् श्रावणी फाल्गुनी वा। श्रावणी नृपतिं हन्ति,ग्रामों दहति फाल्गुनी।
अर्थात भद्रा काल में दो त्यौहार नहीं मनाने चाहिए । श्रावणी अर्थात रक्षाबंधन और फाल्गुनी अर्थात होली।
भद्रा काल में रक्षाबंधन मनेगा तो राजा के लिए कष्टकारी है और होली दहन के समय भद्रा रहेगी तो प्रजा ,ग्राम आदि के लिए हानिकारक है।(इदम् भद्रायां न कार्य)

शुभ और कल्याण की इच्छा रखने वाली बहन, बेटियों माताओं को अपने भाइयों की कलाई में भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। लौकिक व्यवहार में रक्षा विधान हमेशा सुबह के समय अथवा दोपहर में होता है इसीलिए इस दिन में उदया तिथि ली जाती है। 12 अगस्त को प्रातः 7ः05 बजे तक पूर्णिमा है उसके पश्चात प्रतिपदा आएगी। उस दिन सूर्य 5ः52 उदय होंगे। पूर्णिमा मात्र एक घंटा तेरह मिनट रहेगी। 12 अगस्त 2022 दिन शुक्रवार में सूर्य उदय के बाद 3 घटी से भी अधिक है । साकल्पादिता तिथि धर्म कृत्योपयोगी रक्षाबंधन के लिए श्रेष्ठ मानी जाएगी।

कुछ विद्वान 11 अगस्त को रक्षाबंधन का बनाने का निर्णय कर सकते हैं जो शास्त्र के विपरीत है क्योंकि जिस समय पूर्णिमा आएगी उसी समय भद्रा आरंभ हो जाएगी और भद्रा में रक्षाबंधन करना शुभ नहीं होता है।

12 अगस्त 2022 दिन शुक्रवार को धनिष्ठा नक्षत्र रात्रि 12ः00 बजे के बाद तक रहेगा । जिससे इस दिन धाता और सौभाग्य योग बन रहा है । जो बहन भाइयों के प्रेम को बढ़ाने वाला और उत्साहवर्धक होता है।

12 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त-
प्रातः काल 6ः12 से 8ः30 तक सिंह लग्न रहेगा जो स्थिर लग्न होता है।
(10ः30 से 12ः00 तक राहुकाल है उसका त्याग करना चाहिए।)
दोपहर 1ः06 से 3ः24 तक वृश्चिक लग्न भी श्रेष्ठ है यह भी स्थिर लग्न होता है।
इसके पश्चात 15ः24 बजे से रात्रि 19ः10 बजे तक कभी भी राखी बांध सकते हैं ।

राखी बांधने का मंत्ररू
येन बद्धो बलि राजा दानवेंद्रो महाबलरू।
तेनत्वां प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

उपरोक्त शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों की कलाइयों में राखी बांधकर उनके उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि की कामना करें तो निश्चित ही उनको आपका आशीर्वाद बनेगा।
नवग्रह उपायों के अंतर्गत जो व्यक्ति अपनी बहन ,बुआ और बेटियों का सम्मान करता है। उनको समय-समय पर उपहार आदि देता है। उनका बुध बहुत अच्छा हो जाता है उन्हें व्यापार, बिजनेस, नौकरी में निरंतर उन्नति होती रहती है।

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