कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बुधवार को मोदी सरकार के ख़िलाफ़ विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लुसिव अलायंस यानी इंडिया की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर फ़ैसला मंगलवार को लिया गया था। बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव स्पीकर के पास 9।20 बजे भेज दिया गया था। अगर अविश्वास प्रस्ताव स्पीकर के पास 10 बजे के पहले चला जाता है तो माना जाता है कि इस पर चर्चा संसद में उसी दिन होगी। हालांकि स्पीकर ओम बिड़ला ने अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है और कहा है कि चर्चा के बाद इसकी तारीख़ तय की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली NDA सरकार के खिलाफ दाखिल अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया है। सभापति जल्द ही बहस के लिए तारीख का ऐलान करेंगे। कांग्रेस नेता गौरोव गोगोई की तरफ से लोकसभा में नोटिस दिया गया था। साथ ही तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति ने भी अलग से सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था।
लोकसभा में कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने बताया कि यह अविश्वास प्रस्ताव सदन में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई पेश करेंगे। टैगोर ने कहा, 'यह विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' का विचार है। हमारा मानना है कि सरकार के अहंकार को तोड़ने और मणिपुर के मुद्दे पर बोलने को विवश करने के लिए आखिरी हथियार का इस्तेमाल किया जाए। मॉनसून सत्र के पहले ही दिन पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से मणिपुर हिंसा को लेकर बयान दिया गया था। उन्होंने घटना पर दुख जताया था और साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिया था। हालांकि, विपक्ष अब मांग कर रहा है कि पीएम मोदी दोनों ही सदनों में पहुंचकर इस मुद्दे पर अपनी बात रखें। साथ ही स्थिति काबू करने के तरीकों के बारे में भी बताएं।
अगर अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 50 सांसदों का समर्थन है तो स्पीकर समय और तारीख़ तय करते हैं। कोई भी लोकसभा सांसद अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है लेकिन उसके पास 50 सांसदों के समर्थन का हस्ताक्षर होना चाहिए। लोकसभा की नियमावली 198 के मुताबिक़ सांसदों को लिखित नोटिस दिन में दस बजे से पहले देना होता है और स्पीकर इस नोटिस को हाउस में पढ़ते हैं। नोटिस स्वीकार किए जाने के 10 दिन के भीतर तारीख़ आवंटित की जाती है। अगर सरकार सदन में संख्या बल नहीं जुटा पाती है तो उसे इस्तीफ़ा देना पड़ता है। यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष मोदी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है लेकिन पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में यह पहली बार है। इससे पहले 20 जुलाई 2018 को मोदी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। एनडीए के पास अभी कुल 325 सांसद हैं और अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट करने वाले महज़ 126 सांसद हैं। सत्ताधारी पार्टी के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है लेकिन अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष की एकजुटता के रूप में देखा जा रहा है। विपक्ष मांग कर रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी संसद में आकर मणिपुर पर बयान दें। अविश्वास प्रस्ताव को एनडीए बनाम इंडिया की पहली लड़ाई के रूप में देखा जा सकता है। मंगलवार को पीएम मोदी ने इंडिया गठबंधन की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से की थी।
राजनीतिक विष्लेषकों का मानना है कि विपक्ष की ओर से कांग्रेस द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव असल में हाल ही में विपक्षी बलों के संयुक्त गठबंधन इंडिया की मजबूती का भी एक टेस्ट है। साल 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार के ख़िलाफ़ भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था। जुलाई 2018 में सदन में 11 घंटों की लंबी बहस चली और आखिरकार मोदी सरकार ने सदन में अपना बहुमत साबित कर दिया। वोटिंग के बाद सदन में विपक्ष का लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 325 मतों के मुकाबले 126 मतों से गिर गया था।