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उत्तर प्रदेश में वकीलों की हड़ताल समाप्त

[Edited By: Rajendra]

Friday, 15th September , 2023 12:03 pm

उत्तर प्रदेश में वकीलों ने हड़ताल समाप्त कर दी है। योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से मांगे पूरी करने का आश्वासन मिलने के वकीलों ने हड़ताल खत्म किया है। हड़ताल पर शासन और अधिवक्ताओं के बीच सहमति बनी गई है। यूपी बार काउंसिल और शासन के बीच बैठक में कई मामलों पर सहमति बनी। हापुड़ के एडिशनल एसपी को हटाने पर भी सहमत बनी है। साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किए जाने की बात कही गई है।

यूपी के अलग-अलग जिलों में वकीलों पर दर्ज मुकदमें भी स्पंज होंगे। एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर कमेटी गठित होगी। इसी के साथ शुक्रवार से यूपी के वकील काम पर लौटेंगे। इस दौरान यूपी बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अनुराग पांडेय, अखिलेश अवस्थी, जानकी शरण पांडेय, प्रदीप कुमार सिंह और प्रशांत सिंह मौजूद रहे।

हड़ताल खत्म करने का ऐलान बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश की तरफ से किया गया है। सरकार ने वकीलों पर लाठीचार्ज के दोषियों पर कार्रवाई की बात मान ली है। साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड किया जाएगा। विभिन्न जिलों में अधिवक्ताओं पर स्पंज मुकदमें दर्ज होंगे। एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर कमेटी गठित होगी। एडिशनल एसपी हापुड़ को हटाने की मांग भी सरकार ने मान ली है।

हड़ताल पर सरकार और अधिवक्ताओं के बीच सहमति बन गई। सरकार और वकीलों के बीच हड़ताल खत्म करने को हुई बातचीत के दौरान वहां बार एसोसिएशन यूपी उपाध्यक्ष अनुराग पांडेय, अखिलेश अवस्थी, जानकी शरण पांडेय, प्रदीप कुमार सिंह, प्रशांत सिंह मौजूद रहे। अबह यूपी के वकील आज से ही काम पर वापस लौटेंगे। बता दें कि यूपी के हापुड़ में वकीलों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में पिछले 15 दिनों से पूरे राज्य में वकीलों की हड़ताल चल रही थी। सरकार की तरफ से पांच सूत्रीय मांगों पर सहमति बनने के बाद वकील आज से काम पर वापस लौट रहे हैं।

गुरुवार को वार काउंसिल और यूपी सरकार के बीच बातचीत सफल रही है। 15 दिनों से चल रही हड़ताल के दौरान वकीलों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे भी खत्म किए जाएंगे।यूपी बार काउंसिल की तरफ से कहा गया है कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर एक समिति बनाई गई है। इस समिति में बार काउंसिल से भी प्रतिनिधि होंगे। अधिनियम संबंधी प्रस्ताव तय समय के भीतर पारित किए जाएंगे। सरकार वकीलों पर लाठियां बरसाने के दोषी पुलिसवालों के सस्पेंशन और ट्रांसफर की मांग पर भी सहमत हो गई है। जिसके बाद वकीलों की हड़ताल भी खत्म हो गई है।

हड़ताल का वजन निश्चित रूप से उन गरीब याचियों के आंसुओं और दर्द के वजन से ज्यादा नहीं हो सकता, जिन्होंने न्याय प्रणाली और न्याय की संस्था में पूरा विश्वास जताया है। हापुड़ लाठीचार्ज के विरोध में वकीलों के न्यायिक कार्य से विरत रहने पर यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की है।

उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के आह्वान पर बुधवार को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट, जिला अदालतों समेत अन्य न्यायिक संस्थानों में कामकाज नहीं हो सका। अधिवक्ता अपनी मांगों पर अड़े रहे। इस पर न्यायमूर्तियों ने सकारात्मक न्यायिक हस्तक्षेप के बावजूद हड़ताल जारी रखने पर निराशा जताई। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के महानिबंधक ने मंगलवार से वर्चुअल मोड में सुनवाई के लिए ईमेल जारी किया था लेकिन अधिवक्ता शारीरिक या वर्चुअल मोड के जरिए उपस्थित ही नहीं हो रहे हैं। याची समाज के कमजोर वर्गों से हैं। आर्थिक रूप से पिछड़े हैं।

उनकी शिकायतों और समस्याओं के सभ्य मानवीय समाधान और समान अवसर के लिए उनकी मौन पुकार न्याय की पुकार है। इसे न केवल न्यायाधीशों, बल्कि वकीलों द्वारा भी महसूस किया और सुना जा सकता है। दुर्भाग्यवश पैरवी नहीं हो रही है। चाहे जो भी कारण हो, निश्चित रूप से उन याचियों के आंसुओं और दर्द के वजन से अधिक वजन का नहीं हो सकता, जिन्होंने न्याय प्रणाली और न्याय की संस्था में पूरा विश्वास जताया है। इसके पहले अधिवक्ता सुबह 10 बजे ही हाईकोर्ट प्रवेश द्वारों पर एकत्र हो गए और किसी को भी अंदर जाने नहीं दिया। इससे अधिवक्ता देर तक अंदर नहीं जा सके। अधिवक्ताओं की अनुपस्थिति में कोर्ट नहीं बैठी। कोर्ट ने याचियों खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया है।

कोर्ट ने अपने स्तर पर ही देखकर याचिकाओं का निस्तारण किया। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सहित सभी बार एसोसिएशन ने बृहस्पतिवार को भी न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। बुधवार को हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं के एक गुट ने अनशन भी किया। दोपहर बाद प्रवेशद्वार खुले तो अधिवक्ता अंदर जा सके लेकिन चैंबर्स बंद ही रहे। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने बैठक बुलाई। कहा कि 29 अगस्त की घटना के बावजूद सरकार की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। इस वजह से अधिवक्ताओं में रोष है। अध्यक्ष ने कुछ सदस्यों द्वारा न्यायिक प्रस्ताव पारित किए जाने के निर्णय पर आपत्ति जताने पर नाराजगी जाहिर की। चेतावनी के स्वर में कहा कि बार के निर्णय का सम्मान करें। सभी बार का सहयोग करें। बैठक में महासचिव नितिन शर्मा, अरविंद कुमार श्रीवास्तव, स्वर्ण लता सुमन, सर्वेश कुमार दूबे, अजय सिंह आदि मौजूद रहे। उधर, राजस्व बार परिषद के संयुक्त सचिव प्रेस सुरेंद्र कुमार और कैट बार एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र नायक ने बताया कि कामकाज नहीं हुआ।

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