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जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध किया

[Edited By: Rajendra]

Monday, 19th June , 2023 01:23 pm

गीता प्रेस गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार की ओर से स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। साल 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के फैसले की आलोचना की है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि कांग्रेस पार्टी जयराम रमेश के ट्वीट से नाराज है।

जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध किया है। उन्होंने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की तुलना सावरकर और गोडसे से की है। जयराम रमेश ने ट्ववीट में लिखा, "2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है जो इस साल अपनी शताब्दी मना रहा है। अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।

सूत्रों से जानकारी मिली है कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार के विरोध में जयराम रमेश के ट्वीट से कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता नाराज हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, गीता प्रेस को लेकर जयराम रमेश का बयान गैर जरूरी है। हिन्दू धर्म के प्रचार प्रसार में गीता प्रेस की बड़ी भूमिका रही है। जयराम रमेश को ऐसा बयान देने से पहले अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए थी। गोरखपुर स्थित गीता प्रेस की स्थापना साल 1923 में हुई थी। गीता प्रेस दुनिया में सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। इसने 14 भाषाओं में 41।7 करोड़ किताबों का प्रकाशन किया है, जिनमें 16।21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता पुस्तकें शामिल हैं। खास बात ये है कि इस संस्था ने पैसा कमाने के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों के लिए विज्ञापन नहीं लिए।

विश्‍व प्रसिद्ध गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्‍कार देने की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता वाली जूरी के निर्णय के बाद रविवार को केंद्रीय संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा इसका ऐलान किया गया। अब गीता प्रेस बोर्ड ने फैसला लिया है कि वो सम्‍मान जरूर स्‍वीकार करेगा लेकिन इसके साथ मिलने वाली धनराशि नहीं लेगा। दरअसल, इससे पहले गीता प्रेस ने कभी कोई पुरस्‍कार स्‍वीकार नहीं किया था।

गीता प्रेस सौ साल से सनातन संस्कृति का संवाहक है। इसकी ख्याति सनातन संस्कृति और धार्मिक पुस्तकों के तीर्थ के रूप में भी है। गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्‍कार दिए जाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। पुरस्कार को प्रबंधन से जुड़े लोगों ने सनातन संस्कृति का सम्मान बताया है लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा कि अपनी परंपरा के मुताबिक प्रेस किसी भी सम्‍मान को स्‍वीकार नहीं करता है। हालांकि बोर्ड मीटिंग में तय हुआ है कि इस बार परंपरा को तोड़ते हुए सम्‍मान को स्‍वीकार किया जाएगा लेकिन इसके साथ मिलने वाली एक करोड़ रुपए की धनराशि नहीं ली जाएगी।

गांधी शांति पुरस्‍कार में एक प्रशस्‍ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्‍कृष्‍ट पारंपरिक हस्‍तकला, हथकरघा की कलाकृति के साथ एक करोड़ रुपए की धनराशि दी जाती है। मिली जानकारी के अनुसार गीता प्रेस बोर्ड की बैठक में तय हुआ है कि धनराशि को छोड़कर प्रशस्ति पत्र, पट्टिका और हस्‍तकला, हथकरघा की कलाकृति आदि स्‍वीकार की जाएगी।

गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने कहा कि हमारी पारंपरा अभी तक कोई सम्‍मान स्‍वीकार न करने की रही है। इस बार निर्णय लिया गया है कि हम सम्‍मान स्‍वीकार करेंगे लेकिन इसके साथ मिलने वाली धनराश‍ि स्‍वीकार नहीं की जाएगी। उन्‍होंने कहा कि गीता प्रेस की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर यह पुरस्‍कार प्राप्त होने की खुशी है। उन्‍होंने सम्‍मान के लिए भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति गीता प्रेस की ओर से आभार भी जताया। साथ ही कहा कि इस सम्‍मान का मिलना हमें अभिभूत कर रहा है। हम निरंतर ही ऐसे काम करते रहेंगे।

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