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क्या कांग्रेस के ऊपर चल रही है शनि की साढ़े साती?

[Edited By: Shashank]

Thursday, 30th September , 2021 03:12 pm

ऐसा क्यों है आइए समझते है, शनि की साढ़े साती, भारतीय ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में से एक ग्रह, शनि की साढ़े सात वर्ष चलने वाली एक प्रकार की ग्रह दशा होती है। कांग्रेस की मुस्किले भी 2014 से शुरू हुई और कम होने की जगह और बढ़ती नजर आ रही है, 2014 के लोक सभा चुनावों से पहले शुरू हुई कांग्रेस पार्टी में दलबदल का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

देश की सबसे पुरानी पार्टी "कांग्रेस" आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 कांग्रेस के लिए कड़ी चुनौती के रूप में साबित होगा। पोल राइट्स ग्रुप एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016-2020 के बीच हुए चुनावों के दौरान 170 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी, यह 2016-2020 के बीच की रिपोर्ट है, इसके बाद भी कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके है। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देवी जिन्होंने इस्तीफा दिया था, पार्टी छोड़ने वाली वरिष्ठ नेता थीं। मध्य प्रदेश में वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद 22 विधायकों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी कांग्रेस पार्टी को पूर्वांचल में तगड़ा झटका लगा, पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेशपति ने कांग्रेस छोड़ी। 23-09-2021 को वाराणसी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व विधायक ललितेशपति ने पार्टी से इस्तीफा देने का एलान किया। कांग्रेस पार्टी से गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो के साथ 9 नेताओं ने के ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ली। गोवा में 2022 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सोनिया गाँधी के लिए यह एक बड़ा झटका है। वहीं दूसरी तरफ पंजाब में कांग्रेस पार्टी को सिद्धू से झटका मिला, उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया, उनके साथ 3 मंत्रियों ने भी इस्तीफा दिया।

इसके अलावा पंजाब में जारी सियासी उठापटक के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह 2 अक्टूबर को एक नॉन-पॉलिटिकल संगठन बनाकर पंजाब की सियासत में नया दांव खेल सकते है। कैप्टन के करीबी सूत्रों की मानें तो यह संगठन दिल्ली बॉर्डर पर एक साल से चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करवाने के बाद पंजाब में नए सियासी दल का आगाज होगा,। इस तरह अमरिंदर किसानों के साथ-साथ केंद्र को भी साधेंगे। देश के पांच प्रदेशों में आने वाले साल में विधानसभा चुनाव होने है, ऐसे में कांग्रेस के सामने चुनोतियों की झड़ी लगती जा रही है।

 

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