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कौन सा टाइम कैप्सूल अयोध्या में दफनाएंगे मोदी , क्या हैं टाइम कैप्सूल

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 28th July , 2020 05:24 pm

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की घड़ी अब नजदीक आती जा रही है। भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण का रास्ता अदालत की चौखट से होकर निकला और अब अयोध्या में राम मंदिर का 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है... लेकिन इससे पहले मंदिर के गर्भगृह की 2000 फुट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा. इसमें मंदिर का पूरा इतिहास-भूगोल, सारी जानकारियां दर्ज़ होंगी, जो आने वाले कई साल तक ज़मीन के भीतर सुरक्षित रहेंगी. ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो. राम मंदिर की जिम्मेदारी संभाल रहे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने यह बताया है... कहां ये भी  जा रहा हैं कि 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अयोध्या पहुंच रहे हैं. ऐसे में मुमकिन है कि टाइम कैप्सूल भी उनके हाथों ही रखवाया जाए...

आखिर क्या है टाइम कैप्सूल  इसे भी जान लेते हैं

दरअसल टाइम कैप्सूल एक ऐसा सुरक्षित कंटेनर होता है, जो हर तरह का मौसम झेलने में सक्षम होता है। इसे विशेष तत्वों से बनाया जाता है। इसे जमीन की काफी ज्यादा गहराई में दफनाया जाता है ताकि सैकड़ों साल तक इसमें रखे साक्ष्य को कोई नुकसान न पहुंचे। इसका मकसद इतिहास को सुरक्षित रखना है ताकि भविष्य के लोग इसके बारे में जान सकें। 

हालांकि ऐसा नहीं है कि टाइम कैप्सूल को जमीन के भीतर रखने का यह पहला मामला होगा। भारत के इतिहास में ऐसा पहले भी हो चुका है। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ऐसा कर चुकी हैं। जेएनयू के प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने एक तस्वीर ट्वीट कर यह जानकारी दी। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने 15 अगस्त, 1973 को लालकिले के पास एक टाइम कैप्सूल जमीन में दबाया था। हालांकि यह पता नहीं चल सका है कि उसमें क्या साक्ष्य थे और क्या जानकारियां थीं, जिसे सहेजा गया था । मीडिया खबरों के मुताबिक उस टाइम कैप्सूल का नाम 'कालपात्र' दिया गया था। कहा जाता है कि 1970 के दशक में जब इंदिरा गांधी की लोकप्रियता काफी ज्यादा थी, जब उन्होंने लालकिले के परिसर में इस टाइम कैप्सूल को रखवाया था। यह भी दावा किया गया कि इस टाइम कैप्सूल में आजादी मिलने के बाद के 25 सालों के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का जिक्र है और उससे जुड़े साक्ष्य हैं। हालांकि विपक्ष ने इसकी आलोचना करते हुए कहा था कि वह गांधी परिवार का महिमामंडन करने के लिए ऐसा कर रही हैं । 

देश में कई और स्थान भी हैं, जहां टाइम कैप्सूल दबाया गया है. आईआईटी कानपुर ने अपने 50 साल के इतिहास को संजोकर रखने के लिए टाइम कैप्सूल को जमीन के नीचे दबाया था...टाइम कैप्सूल को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने साल 2010 में जमीन के अंदर डाला था. इस टाइम कैप्सूल में आईआईटी कानपुर के रिसर्च और शिक्षकों से जुड़ी जानकारियां थीं. इसका उद्देश्य यही था कि दुनिया तबाह हो जाए तब भी आईआईटी कानपुर का इतिहास सुरक्षित रहे. आईआईटी कानपुर के अलावा चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में भी टाइम कैप्सूल दबाया गया है. इसमें कृषि विश्वविद्यालय के इतिहास से जुड़ी जानकारियां सहेजी गईं थीं.

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