'भारत माता की जय' कहने पर फारूक को उनके ही प्रदेश में लोगों ने जूते दिखाए। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। फारूक अब्दुल्ला ने इस मामले पर चुप्पी नहीं साधी, उन्होंने विरोध करने वालों को करारा जवाब दिया था।
यह घटना बीते साल 20 अगस्त की है। जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में दिल्ली में एक समारोह आयोजित किया गया था। इसमें फारूक ने 'भारत माता की जय' और जय हिंद के नारे लगाए लेकिन ऐसा करने से कुछ लोग नाराज हो गए। फारूक अब्दुल्ला को अपने लगाए गए नारे पर विरोध झेलना पड़ा था।
विरोध के बाद नौबत यह आ गई कि फारूक को एसएसजी एस्कार्ट की सुरक्षा देनी पड़ी। ईद के मौके पर उन्हें हजरतबल मस्जिद में कुछ युवाओं ने फिर धमकी दी, यहां तक कि उन्हें ईदगाह परिसर से भी बाहर करने की मांग की गई। फारूक ने इस मामले को चंद सिरफिरों की करतूत बताया है।
उन्होंने कहा कि सियासी लोगों का विरोध लोकतंत्र में होता है, लेकिन विरोध के लिए गलत दिन का चुनाव किया गया। ईद पर लोग नमाज पढ़ने गए थे। विरोध तो बाद में भी हो सकता था। उन्हें क्या लगता है कि इससे फारूक डर जाएगा। फारूक कभी भी इससे डरने वाला नहीं है।
फारूक इस घटना पर उदासीन दिखे और कहा कि आज की कार्रवाई से प्यार नहीं बल्कि नफरत झलकता है। यह सबका वतन है। जो यहां रहते हैं सबका मुल्क है। इस प्रकार की हरकत मुल्क को कमजोर करने का प्रयास है। भारत माता की जय के नारे लगाना क्या गलत है। क्या हम हिंदुस्तान से अलग रहना चाहते हैं। हम गद्दार नहीं है। कश्मीरी कभी भी गद्दार नहीं हो सकता। पिछले 30 साल से बर्बादी झेल रहे हैं। पहले हमें इस मुसीबत से बाहर निकलना होगा। यह नारेबाजी से नहीं होगा। यदि होना होता तो 30 साल में हो गया होता।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अब भारत-पाक के बीच शांतिपूर्ण बातचीत का वक्त आ गया है। नफरतों से बाहर निकलने की जरूरत है। यह देश हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और और यहां रहने वाले लोगों का है। अगर ये समझते हैं कि ऐसे आजादी आएगी तो मैं इनको कहना चाहता हूं कि पहले बेरोजगारी, बीमारी और भुखमरी से आजादी पाओ।
याद दिला दें कि बीते साल कश्मीर में ईद के मौके पर जमकर बवाल हुआ। नमाज पढ़ कर लौट रहे एक पुलिसकर्मी के अलावा एक भाजपा कार्यकर्ता की भी हत्या कर दी गई। उपद्रवियों ने पाकिस्तान व आईएसआईएस के झंडे लहराए, पत्थरबाजी की। इस मुद्दे को लेकर ईद के मौके पर श्रीनगर, कुलगाम, अनंतनाग समेत घाटी के कई शहरों में अलगाववादियों ने खूब बवाल मचाया। नमाज के बाद उपद्रवियों ने सेना के वाहनों पर पत्थर फेंके। इस दौरान वे पाकिस्तान और आईएसआईएस का झंडा लहराते हुए 'पाक जिंदाबाद' के नारे भी लगा रहे थे। सेना को उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने हजरतबल मामले पर कहा कि यह चंद सिरफिरे लोगों की करतूत है। इससे आजादी नहीं मिलने वाला है। ऐसे लोगों को पहले भुखमरी, बीमारी तथा भिक्षावृत्ति से आजादी पाना होगा। पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सियासी लोगों का विरोध लोकतंत्र में होता है, लेकिन विरोध के लिए गलत दिन का चुनाव किया गया। ईद पर लोग नमाज पढ़ने गए थे। विरोध तो बाद में भी हो सकता था। उन्हें क्या लगता है कि इससे फारूक डर जाएगा।
फारूक कभी भी इससे डरने वाला नहीं है। लोग समझते हैं कि इससे आजादी मिलेगी तो पहले भुखमरी, बीमारी व भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलानी होगी। कोने में छिपकर नारे लगाने से बात नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि अमन से बैठकर हिंदुस्तान-पाकिस्तान बातचीत करे। शांति बहाली के प्रयास हों। फारूक ने कहा कि आज की कार्रवाई से प्यार नहीं बल्कि नफरत झलकता है। यह सबका वतन है। जो यहां रहते हैं सबका मुल्क है। इस प्रकार की हरकत मुल्क को कमजोर करने का प्रयास है। भारत माता की जय के नारे लगाना क्या गलत है। क्या हम हिंदुस्तान से अलग रहना चाहते हैं। हम गद्दार नहीं है। कश्मीरी कभी भी गद्दार नहीं हो सकता।