लखनऊ-उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ ने बैठक की। शुक्रवार शाम हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पंचायतों में कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाए। सीएम के इस फैसले के बाद ये चर्चा आम हो गई कि क्या पंचायतों में परिवारवाद का अंत होने वाला है। दरअसल, यूपी के कई ऐसे जिले में जहां माननीयों के रिश्तेदार ब्लॉक प्रमुख से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक के पद पर काबिज हैं।
उत्तर प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां मंत्री, सांसद विधायकों के रिश्तेदारों का पंचायत से जुड़े महत्वपूर्ण पदों पर वर्चस्व है या फिर सीधे काबिज़ हैं। मथुरा में कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण की पत्नी ममता चौधरी जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर हैं। जबकि भतीजा और भांजा सदस्य हैॉ। वहीं देवरिया में मंत्री सूर्य प्रताप शाही का बेटा सुब्रत शाही पथरदेवा ब्लॉक प्रमुख है। साथ ही फतेहपुर में राज्यमंत्री रणवेन्द्र प्रताफ उर्फ धुन्नी सिंह का भतीजा ब्लॉक प्रमुख है जबकि बहू रेखा सिंह सदस्य क्षेत्र पंचायत हैं।
प्रतापगढ़ में कैबिनेट मंत्री मोती सिंह के भतीजे राकेश सिंह पट्टी के ब्लॉक प्रमुख हैं। गोंडा में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर काबिज केतकी सिंह सांसद बृजभूषण शरण सिंह की पत्नी हैं> कुशीनगर में बीजेपी सांसद विजय दूबे के पुत्र शशांक दुबे ब्लॉक प्रमुख हैं। आजमगढ़ में फूलपुर से बीजेपी विधायक अरुण कांत यादव की चचेरी भाभी अर्चना यादव ब्लॉक प्रमुख हैं। बहराइच जिले में महसी से विधायक सुरेश्वर सिंह की भाभी कृष्णावती देवी ब्लॉक प्रमुख हैं। रायबरेली में बीजेपी एमएलसी दिनेश सिंह के भाई अवधेश सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। सूची में कई ऐसे जनप्रतिनिधि शामिल हैं जिनके परिवार के लोगों और रिश्तेदारों का पंचायत के महत्वपूर्ण पदों पर रसूख है।