लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर ज्यादातर विपक्षी दल इंडिया गठबंधन के तहत एकजुट हुए हैं। इस बैठक में गठबंधन का लोगो क्या हो और किस ज्वाइंट एक्शन प्लान के तहत यह गठबंधन अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में जाए, यह भी तय किया जा सकता है। मुंबई से पहले पटना और बेंगलुरु में इस गठबंधन की बैठक हो चुकी है। इस बैठक में सभी दल इस गठबंधन का संयोजक रखा जाए या नहीं। और अगर रख जाए तो यह जिम्मेदारी किसे दी जाए, जैसे अहम मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है। इस बैठक के लिए सीएम ममता बनर्जी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद सहित कई मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता पहले ही मुंबई पहुंच चुके हैं। वहीं, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, नीतीश कुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी आज मुंबई पहुंचेंगे, जिसके बाद सभी सदस्य उद्धव ठाकरे द्वारा आयोजित रात्रिभोज में भी शामिल होंगे।
NCP प्रमुख शरद पवार ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि विपक्षी गठबंधन देश में राजनीतिक बदलाव लाने के लिए एक मजबूत विकल्प प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इस गठबंधन में सीट बंटवारे पर कोई चर्चा नहीं हुई है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से जब उनके पीएम उम्मीदवार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत ही हमारा पीएम चेहरा होगा। हमारी प्राथमिक चिंता देश को बचाना है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि संयोजक किसी दूसरे नेता को बनाया जाएगा। सीएम नीतीश ने कहा था कि मुझे कुछ भी व्यक्तिगत तौर पर नहीं चाहिए, मेरा काम केवल सबको एकजुट करने का है। वहीं , बिहार के उपमुख्यमंत्री से जब इंडिया गठबंधन का संयोजक कौन होगा ? पूछा गया तो उन्होंने भी किसी का नाम सीधे तौर पर ना लेते हुए कहा कि मुंबई की बैठक में सभी लोग एक साथ बैठकर इसपर कोई निर्णय लेंगे।
पटना में पत्रकारों से मुखातिब नीतीश कुमार ने कहा था कि हम मुंबई में आगामी बैठक के दौरान अगले साल होने वाले आम चुनाव को लेकर 'इंडिया' की रणनीति पर चर्चा करेंगे। सीट-बंटवारे जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी और कई अन्य एजेंडों को अंतिम रूप दिया जाएगा। कुछ और राजनीतिक दल हमारे गठबंधन में शामिल होंगे। उन्होंने कहा था कि मैं 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा पार्टियों को एकजुट करना चाहता हूं। मैं इस दिशा में काम कर रहा हूं।।। मुझे अपने लिए कोई इच्छा नहीं है।
महाराष्ट्र के मुंबई में विपक्षी गठबंधन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) की बैठक होने वाली है। इससे पहले एयरपोर्ट और मीटिंग वाली जगह के बाहर भगवा झंडे लगाए गए हैं। ये झंडे उद्धव ठाकरे गुट की ओर से लगाए गए और कहा कि हिंदुत्व ही हमारी पहचान है। भारतीय कामगार सेना (यूबीटी) के सचिव संतोष कदम ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि हमने मुंबई एयरपोर्ट पर भगवा झंडे लगाए हैं। ये हमारी पहचान है।
उन्होंने कहा, "हिंदुत्व हमारी पहचान है और भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं। बाकी बचे हुए गठबंधन के साथी भी इससे सहमत होंगे।" वहीं, तमाम विपक्षी नेताओं के स्वागत वाले पोस्टरों से मुंबई की सड़कें पटी पड़ी हैं। इस पोस्टर्स पर बोल्ड अक्षरों में जुड़ेगा भारत, जीतेगा भारत लिखा हुआ है। जिन नेताओं के पोस्टर्स लगाए हैं उनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री औऱ तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी, सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला शामिल हैं।
सूत्रों के हवाले से बताया कि मल्लिकार्जुन खरगे को इंडिया के अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किए जाने की संभावना है। इसके साथ ही संयोजक पद के लिए नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के बीच मुकाबला है। सूत्रों ने कहा, “संयोजकों के पद भी प्रस्तावित किए गए हैं पर चर चर्चा की जाएगी। कांग्रेस ने संयोजक पद का मुद्दा पूरी तरह से सहयोगी दलों की सहमति के ऊपर छोड़ दिया है।”
इसके साथ ही महागठबंधन का नया थीम सॉन्ग भी रिलीज किया जाएगा। सूत्रों ने कहा, “इंडिया के पुराना थीम सॉन्ग को खारिज कर दिया गया है। अब एक नया थीम सॉन्ग बनाया जाएगा और यह कई भाषाओं में होगा। संविधान की प्रस्तावना में लिखा 'हम भारत के लोग' का इस्तेमाल किया जाएगा।”
विपक्षी एकता की मुहिम के जनक नीतीश कुमार के प्रति तमाम बीजेपी विरोधी दल कितना सम्मान और विश्वास रखते हैं, ये देखना भी दिलचस्प होगा। क्या नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन में बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है ये भी बेहद अहम है। इन सब के बीच सवाल ये भी उठ रहा कि कांग्रेस तो कहीं पूरी मुहिम को हाईजैक कर लिए जाने पर मुहर लगाने तो नहीं जा रही। बंगलुरु में हुई इंडिया गठबंधन की पिछली बैठक नीतीश कुमार के प्रयासों को नजरंदाज करने वाली साबित हुई थी। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चली कि पूरी बैठक को कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव ने हाईजेक कर लिया था। आखिर इसकी वजह क्या थी जानिए।
1 बंगलुरु में हुई बैठक में नीतीश कुमार के तैयार एजेंडों पर बातचीत तक नहीं हो पाई।
2 गठबंधन के नाम पर जो सुझाव दिए गए थे उस पर अमल नहीं किया गया।
3 इंडिया नाम पर नीतीश कुमार की असहमति थी, वे चाहते थे गठबंधन के नाम में भारत जरूर हो।
4 बंगलुरु में कांग्रेस की सरकार रहने के बावजूद शहर में नीतीश कुमार के विरोध करने वाले पोस्टर लगे थे और सरकार मूकदर्शक बनी थी।
5 प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार सूची से गायब थे।
6 चर्चा इस बात की भी थी कि नाराज नीतीश कुमार अकेले बंगलुरु से लौट आए। लालू प्रसाद और तेजस्वी को बंगलुरु में ही थे।
यह बैठक कांग्रेस की सदस्यता और नीतीश कुमार की मेहनत को रिगार्ड देने वाला साबित होगा? इस पर पूरे देश के राजनीतिज्ञों की नजर है। कांग्रेस एक बड़ी और राष्ट्रीय पार्टी है लेकिन महागठबंधन के प्लेटफार्म को नीतीश कुमार ने अपने लगातार प्रयासों से तैयार किया है। वह भी इस सोच के साथ कि कांग्रेस देश स्तर पर लिबरल होगी। ऐसा इसलिए कि जिन राज्यों में कांग्रेस को हरा कर क्षेत्रीय दल सत्ता में हैं वहां कांग्रेस को कुछ अधिक लिबरल होना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो बंगाल, दिल्ली और पंजाब में काफी परेशानी होगी। अब चूंकि नीतीश कुमार ने देश के 26 दलों से बातचीत कर महागठबंधन के प्लेटफार्म पर लाए हैं। वे जिस शर्त पर आए हैं उसे पूरा करने के लिए नीतीश कुमार को गठबंधन का महत्वपूर्ण पद चाहिए। ऐसा नहीं होता है तो यह गठबंधन को अराजकता की ओर भी ले जा सकता है।
नीतीश कुमार का एक लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है, इसलिए सीट शेयरिंग को जितना जल्द से जल्द निपटाया जाए वो जरूरी है। ऐसा इसलिए कि नीतीश कुमार बीजेपी की स्ट्रेटजी जानते हैं। इसलिए नीतीश कुमार चाहते हैं कि अभी किस सीट पर कौन लड़ेगा यह अगर तय हो जाएगा तो तैयारी शुरू हो जाएगी। फिर चाहे बीजेपी समय से पहले चुनाव कराए या समय पर। महागठबंधन खुद को मुकाबले के लिए तैयार रखेगा। बहरहाल, मुंबई की बैठक कांग्रेस के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना नीतीश कुमार के लिए। अगर दोनों का ध्येय नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाना है तो कांग्रेस की सदस्यता के साथ नीतीश कुमार के प्रयासों को भी सम्मान देने की जरुरत है। ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस के खिलाफ जीत हासिल कर राज्य की सत्ता संभालने वाले दल कभी भी महागठबंधन से अलग खड़े दिख सकते हैं। खास कर AAP और तृणमूल कांग्रेस अपनी पार्टी को कमजोर कर इंडिया में बने रहना नहीं चाहेंगे।