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उद्धव ठाकरे के लिए आज का दिन भी दोहरे झटके वाला रहा

[Edited By: Rajendra]

Monday, 20th February , 2023 02:12 pm

उद्धव ठाकरे के लिए आज का दिन भी दोहरे झटके वाला रहा है। पार्टी का नाम 'शिवसेना' और उसका चुनाव निशान तीर-कमान एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने के फैसले के खिलाफ तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। इसके अलावा विधानसभा में स्थित शिवसेना के दफ्तर को भी एकनाथ शिंदे गुट के हवाले कर दिया है। एकनाथ शिंदे के समर्थक विधायकों ने स्पीकर राहुल नार्वेकर से मुलाकात करके इसकी मांग की थी। इसके बाद स्पीकर ने यह फैसला लिया। इस तरह शिवसेना के हाथ से विधानसभा का दफ्तर चला गया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उद्धव गुट की शिवसेना के नाम-निशान से जुड़ी याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि इसकी एक प्रक्रिया होती है। इसके तहत कल फिर से याचिका दाखिल करें।

दरअसल, चुनाव आयोग के शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान निशान देने के फैसले के खिलाफ उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। उधर, शिंदे गुट के विधायकों ने सोमवार सुबह विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर से मुलाकात की और विधानसभा के शिवसेना कार्यालय पर दावा किया और फिर अपनी कस्टडी में ले लिया।

उद्धव गुट की याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने विवाद के निपटारे का आधार पार्टी के 1999 के संविधान को बनाया। जबकि बालासाहेब ठाकरे ने 2018 में पार्टी के संविधान में संशोधन कर दिया था। 2018 के संविधान के तहत शिवसेना अध्यक्ष पार्टी में सर्वोच्च होंगे। पार्टी से किसी को निकालने, बैठक करने या पार्टी में किसी को भी शामिल करने का आखिरी फैसला पार्टी अध्यक्ष का ही होगा।

1999 के पार्टी के संविधान के मुताबिक, पार्टी प्रमुख के पास इस तरह की कोई पावर नहीं थी। उद्धव गुट ने कहा कि चुनाव आयोग ने 2018 के संविधान को रिकॉर्ड पर रखने का समय नहीं दिया। साथ ही कहा कि पार्टी का अधिकांश कैडर और कार्यकर्ता उद्धव ठाकरे के साथ हैं। चुनाव आयोग ने फैसला लेते वक्त नए संविधान को अनदेखा किया है। वहीं गुट ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई पूरी होने तक चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने दावा किया है कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न तीर कमान को खरीदने के लिए 2000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ है। राउत ने रविवार काे सोशल मीडिया में लिखा था कि 2,000 करोड़ रुपए एक शुरुआती आंकड़ा है और यह पूरी तरह सच है।

राउत ने था कहा कि सत्तारूढ़ दल के करीबी एक बिल्डर ने यह जानकारी साझा की है। इसका खुलासा वे जल्द करेंगे। वहीं, राउत के इस बयान पर CM एकनाथ शिंदे के विधायक सदा सर्वंकर ने पूछा कि क्या उस डील के कैशियर संजय राउत हैं? इस बीच उद्धव ठाकरे गुट की अर्जी के जवाब में एकनाथ शिंदे ने भी कैविएट दाखिल की है। शिंदे गुट का कहना है कि उनका पक्ष सुने बिना शिवसेना के नाम और निशान को लेकर कोई फैसला ना दिया जाए।

भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए शिवसेना के साथ चुनाव चिह्न तीर और कमान शिंदे गुट को सौंप दिया था जिसके बाद सियासत गरमा गई। बता दें कि शिवसेना के दोनों धड़े (एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे) पिछले साल शिंदे (महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री) द्वारा ठाकरे के खिलाफ विद्रोह करने के बाद से पार्टी के तीर-कमान के चुनाव चिह्न के लिए लड़ रहे हैं।

आयोग (ईसीआई) ने कहा था कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त किया गया है। इस तरह की पार्टी संरचनाएं भरोसा पैदा करने में विफल रहती हैं।

चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान भारत के चुनाव आयोग को नहीं दिया गया। 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के अधिनियम को संशोधनों ने रद्द कर दिया था, जिसे आयोग के आग्रह पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा लाया गया था। आयोग ने यह भी कहा कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड, जिन्हें 1999 में आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था, को गोपनीय तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी एक जागीर के समान हो गई।

पिछले साल जून में शिवसेना नेता शिंदे ने महाविकास अघाड़ी सरकार में रहते हुए बगावत कर दी थी। शिंदे शिवसेना के 35 से अधिक विधायकों को लेकर अपना अलग गुट बना लिया था जिसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया था। शिंदे महाविकास अघाड़ी को तोड़ने और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन को फिर से स्थापित करने के पक्ष में थे उन्होंने वैचारिक मतभेदों और कांग्रेस पार्टी और भारतीय राष्ट्रवादी कांग्रेस द्वारा अनुचित व्यवहार के कारण उद्धव ठाकरे से महा विकास अघाड़ी गठबंधन को तोड़ने का अनुरोध किया।

उन्होंने अपने अनुरोध के समर्थन को और बल देने के लिए अपनी पार्टी से 2/3 सदस्यों को इकट्ठा किया। यह संकट 21 जून 2022 को शुरू हुआ जब शिंदे और कई अन्य विधायक भाजपा शासित गुजरात में सूरत में जाकर किसी होटल में छिप गए। शिंदे के विद्रोह के परिणामस्वरूप, उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने महाराष्ट्र विधान परिषद से भी इस्तीफा दे दिया। शिंदे ने सफलतापूर्वक भाजपा-शिवसेना गठबंधन को फिर से स्थापित किया और 20वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने।

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