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कुम्भकरण की नींद सो रहे नेता चुनावी शोर से जागे

[Edited By: Shashank]

Friday, 29th October , 2021 03:49 pm

 

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में अब कुछ महीनों का समय ही रह गया है, ऐसे में सभी चुनावी दल इस परीक्षा में अवल आने के लिए कड़ी मेहनत करते नज़र आ रहे है। वैसे नेता जी और बरसाती मेंढक में एक खास समानता होती है। जैसे बरसात आते ही मेंढक बहार आकर टर्र-टर्र करने लगते है, उसी तरह नेता जी भी चुनाव आते ही बड़े-बड़े वादे और एक दूसरे के खिलाफ चुनावी एलान करना शुरू कर देते है।

उत्तर प्रदेश आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कई नेता गायब हो गए थे, जो खोजने पर भी नज़र नहीं आ रहे थे। पिछले चार वर्षों में ओम प्रकश राजभर, राम अचल राजभर और लालजी वर्मा जैसे पूर्वांचल के लोकप्रिय नेता कुम्भकरण की नींद सो गए थे, यह सब चुनावी शोर से जागे और फ़ौरन एक्शन में आ गए। सपा के साथ चुनाव लड़ने के ऐलान के साथ जातिगत राजनीति करने वाले तीनों नेताओं का एक ही टारगेट है भाजपा की हार। विपक्ष की बड़ी नेता बसपा सुप्रीमो मायावती जो सोशल मीडिया और मीडिया से दूर रहना पसंद करती थी, वह आज कल हर मुद्दे पर ट्वीट करती नज़र आ रही है।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव जो पिछले 4 साल परिवार के विवाद में उलझे रहे, वो भी अब मैदान में नज़र आ रहे है। इन सब के अलावा देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की बात करे तो उत्तर प्रदेश में प्रियंका गाँधी कांग्रेस की गाड़ी को रस्ते पर लाने की कोशिश में लगी हुई है, हर मुद्दे पर अपनी बात रखने के साथ-साथ घटना स्थल पर भी सबसे पहले पहुंच सियासत को रफ़्तार देती नज़र आ रही है।

सत्ता पक्ष की बात करे तो भाजपा चुनाव से पहले अपने सक्रिय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को पारिवारिक एहसास कराने के लिए प्रदेशभर के 30 लाख सक्रिय कार्यकर्ताओं को दीवाली पर तोरण द्वार और कमल रूपी दिये भेजे जायेंगे। पिछले चार वर्षों में कार्यकर्ताओं को याद ना करने वाली भाजपा इस बार उपहार देने जा रही है। कानपुर बैठक करने आये प्रदेश उपाध्याय विजय बहादुर पाठक ने बताया कि दीवाली उपहार देने के निर्देश प्रदेश भर के जिलाध्यक्ष, प्रकोष्ठ और मोर्चा प्रभारियों को निर्देशित कर दिया गया है।

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