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विपक्षी दलों के लोगों के खिलाफ 'राजनैतिक द्वेष' की भावना से दर्ज मुकदमे वापस हों: मायावती

[Edited By: Rajendra]

Friday, 25th December , 2020 05:24 pm

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े एक केस की वापसी के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई है. अदालत को इस पर फैसला लेना है. उधर योगी सरकार के इस कदम पर सियासत तेज हो गई है. मामले में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अलग ही मांग कर दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लोगों के ऊपर राजनैतिक द्वेष की भावना से दर्ज मुकदमे वापस होने के साथ ही सभी विपक्षी पार्टियों के लोगों पर भी ऐसे दर्ज मुकदमे वापस होने चाहिए. बसपा की ये मांग है.

बता दें कि सरकारी वकील राजीव शर्मा ने मुजफ्फरनगर की एडीजे कोर्ट में मुकदमा वापसी के लिए अर्जी दी है. मुकदमा वापसी की अर्ज़ी पर फिलहाल कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया है. मालूम हो कि 7 सितंबर 2013 में नंगला मंदौड़ की महापंचायत के बाद एफआईआर दर्ज हुई थी. इन तीनों नेताओं पर भड़काऊ भाषण, धारा 144 का उल्लंघन, आगजनी और तोड़फोड़ की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी. मुजफ्फरनगर में सचिन और गौरव की हत्या के बाद यह महापंचायत बुलाई गई थी.

वैसे तो मुजफ्फरनगर दंगे में 510 मुक़दमे दाखिल हुए थे, जिसमें से यह केस काफी अहम है. ये वही मुकदमें हैं, जिनमें मौजूदा बीजेपी विधायक संगीत सोम, कपिलदेव अग्रवाल और कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा समेत अन्य आरोपी हैं. यह मुकदमा इसलिए भी अहम है, क्योंकि 7 सितंबर 2013 को नगला मंदोर में जाटों की महापंचायत के बाद ही मुजफ्फरनगर समेत पश्चिम यूपी में दंगों की आग फ़ैल गई थी, जिसमें 65 लोगों की मौत हो गई और 40 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे. इनमें से कई लोग आज भी कैंप में रह रहे हैं.

जानकारों की मानें तो टेक्निकली सरकार की तरफ से मुकदमा वापस ले लिया गया है. दरअसल, ऐसे सभी मुकदमें में आरोपी के खिलाफ राज्य सरकार लड़ती है. यह मुकदमा भी भाजपा विधायकों के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से तत्कालीन थानाध्यक्ष चरण सिंह यादव ने दर्ज करवाया था. अब सरकारी वकील की ओर से कोर्ट में मुकदमा वापसी की अर्जी देने का अर्थ यही है कि सरकार ने यह मुकदमा वापस ले लिया है. अब कोर्ट को केस के गुण-दोष के आधार पर तय करना है कि यह मुकदमा वापस होगा या नहीं.

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