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नगर निकाय चुनाव के लिए ओबीसी कमीशन की सर्वे रिपोर्ट पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगाई

[Edited By: Rajendra]

Friday, 10th March , 2023 01:03 pm

यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भाजपा सरकार पहले दिन से ही कह रही है कि पिछड़ों को आरक्षण दिए बिना निकाय चुनाव नहीं कराएंगे। भाजपा सरकार हमेशा ही निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव चाहती है। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के साथ संपन्न होंगे। उप मुख्यमंत्री मौर्य ने कहा कि निकाय चुनाव में आरक्षण तय करने के लिए बनाए गए आयोग ने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसके बाद पिछड़ों का आरक्षण नए सिरे से तय किया जाएगा।

प्रदेश सरकार की ओर से निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण निर्धारण के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव में पिछड़ों की हिस्सेदारी तय करने के लिए आयोग को सर्वे के लिए 31 मार्च 2023 तक का समय दिया था लेकिन यह रिपोर्ट तय समय सीमा से करीब 22 दिन पहले ही सरकार को सौंप दी गई है। 350 पेज की इस रिपोर्ट को 2 महीने 10 दिन में तैयार किया गया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज शुक्रवार राजधानी लखनऊ स्थित लोकभवन में हुई। बैठक में दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक सहित अन्य सभी मंत्री में मौजूद रहे। बता दें इस बैठक में कई प्रस्तावों पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगाई है। इस बैठक में नगर निकाय चुनाव के लिए ओबीसी कमीशन की सर्वे रिपोर्ट पर मंजूरी दे दी है। ए के शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि नगर निकाय चुनाव अप्रैल में होंगे।

कहा जा रहा है कि ओबीसी कमीशन की 350 पेज की रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की जाएगी। साथ ही जल्द ही चुनावों की तारीख भी घोषित हो सकती हैं। हालांकि इससे पहले नगर निगम और नगर पालिका अध्यक्षों से जुड़े आरक्षण की सूची नगर विकास विभाग दोबारा जारी कर सकता है। इसपर आपत्तियां भी मांगी जाएंगी। इसके बाद आरक्षण सूची के अनुसार नगर निकाय चुनाव करवाए जाएंगे।

यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट की जानकारी देने और चुनाव की अनुमति मांगने के बाद शुरू होगी। उम्मीद जताई जा रही है कि यह प्रक्रिया सरकार अगले सप्ताह पूरी कर लेगी। वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग शुक्रवार 10 मार्च से मतदाता सूची का पुनरीक्षण शुरू कर देगा और एक अप्रैल को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन हो जाएगा।

साल 1995 के बाद हुए सभी शहरी निकायों चुनावों में अनारक्षित सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार के जीतने की स्थिति के आधार पर आयोग ने पिछड़ा वर्ग की राजनीतिक स्थिति का परीक्षण किया है। साथ ही तमाम खामियों की तरफ भी इशारा किया है, जिसमें आरक्षण नियमों का सही पालन न किया जाना भी शामिल है। आयोग ने बिंदुवार गिनाई गईं खामियों को दूर करने की भी सिफारिश की है। इसके बाद माना जा रहा है कि कई सीटों के सियासी समीकरण बदलेंगे। जिन सीटों को लंबे समय तक एक ही वर्ग के लिए आरक्षित बनाए रखा गया, वहां रोटेशन पॉलिसी के आधार पर नया आरक्षण लागू हो सकता है।

प्रदेश में पहली बार ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण दिया जाएगा। सूत्रों का दावा है कि इससे बड़े पैमाने पर सीटों का आरक्षण बदल जाएगा। अगर ऐसा होता है तो राजनीतिक दलों को नए सिरे से चुनावी गोटियां बिछानी होंगी। कई सूरमाओं की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। इसके पहले प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए प्रस्तावित आरक्षण से जिन्हें मायूसी मिली थी, उनके चेहरे भी खिल सकते हैं। राजनीतिक दलों को भी अब नए सिरे से रणनीति तैयार करनी होगी।

5 दिसंबर, 2022 को जब नगर विकास विभाग ने प्रस्तावित आरक्षण जारी किया था, तब 760 शहरी निकायों में चुनाव घोषित किए थे। शहरी निकायों की कुल संख्या 762 है, जबकि महराजगंज की सिसवा नगर पालिका परिषद और बस्ती की भानपुर नगर पंचायत में तकनीकी वजहों से चुनाव नहीं घोषित किए गए थे। 2017 में जब चुनाव हुए थे तब 653 शहरी निकाय थे और चुनाव 652 में हुए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने भले आयोग को 31 मार्च तक रिपोर्ट देने के लिए कहा था, लेकिन आयोग ने दो महीने दस दिन के भीतर तय समय सीमा के पहले ही रिपोर्ट दे दी है। अगर सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट को स्वीकार करके चुनाव करवाने की अनुमति दे देता है तो ट्रिपल टेस्ट के आधार पर चुनाव करवाने वाला यूपी तीसरा राज्य होगा। इसके पहले केवल मध्य प्रदेश में ही यह संभव हो सका है। महाराष्ट्र में चुनाव अबतक फंसे हैं। झारखंड के शहरी निकाय के चुनाव नहीं हो सके हैं। बेंगलुरु नगर महापालिका का चुनाव फंसा है। ओडीशा को तो बिना ओबीसी आरक्षण दिए ही चुनाव करवाने पड़े थे। बिहार में शहरी निकायों के चुनाव हो तो चुके हैं, लेकिन इसकी वैधता सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन है।

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