सुरक्षा के मौजूदा हालातों को देखते हुए जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा का समय कम करने के बाद अब घाटी में किश्तवाड़ से माछिल के बीच आयोजित होने वाले पारंपरिक माछिल यात्रा को बंद करने का आदेश प्रशासन ने जारी किया है।
किश्तवाड़ में चंडी माता मंदिर जम्मू-कश्मीर का एक पारंपरिक देवस्थान है। हर साल यहां एक पारंपरिक माछिल यात्रा होती है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए राज्य के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड के श्रद्धालु यहां आते है। मंदिर में श्रद्धालु माता चंडी की उपासना करते हैं और इसके लिए प्रशासन खास तैयारी करता है। यात्रा के दौरान देश भर के हजारों श्रद्धालु मनोरम पद्दार घाटी की सुंदरता देखते हैं किश्तवाड़ से माछिल गांव जाने के लिए श्रद्धालुओं को 30 किलोमीटर की कठिन और दुर्गम यात्रा करना पड़ता है।
लेकिन कश्मीर के मौजूदा हालातों को देखते हुए किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए राज्य सरकार ने इस पवित्र यात्रा को भी रोकने का आदेश दिया है। यह यात्रा पहले 25 जुलाई को ही शुरु की गई थी।
शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने राज्य में अमरनाथ यात्रा को बंद करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के साथ ही जम्मू-कश्मीर में आए देशभर के तीर्थयात्रियों को वापस लौटने की सलाह दी गई थी।
फिलहाल नया आदेश मिलने के बाद सभी तीर्थयात्रियों को वापस लौटने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे कई राज्यों के लोग चंडी माता की उपासना करते हैं।
राज्यपाल नें यह कहा-
सरकार की ओर से जारी सिक्योरिटी एडवाइजरी और घाटी में बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों की तैनाती के बाद पैदा हुए तनावपूर्ण माहौल के बीच महबूबा मुफ्ती और शाह फैसल समेत राज्य के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने देर रात राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की। नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर में ‘भयपूर्ण वातावरण’ पर चिंता जताई। कश्मीरी नेताओं की चिंता पर राज्यपाल ने उन्हें अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की सलाह दी।
सुरक्षा के कडे़ं इंतजाम-
खास बात यह है कि पिछले एक हफ्ते में केंद्र सरकार ने 38,000 हजार जवानों को कश्मीर में तैनात किया है जिसके कारण यहां पर राजनीतिक तनाव अपने चरम पर है। राज्य के राजनीतिक दल बार-बार यह कहकर लोगों में दहशत और डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर से 35ए और 370 को हटाने की तैयारी कर रही है हालांकि केंद्र यही कह रहा है कि इतनी बड़ी मात्रा में सुरक्षाबलों को आतंकी घटनाओं के खतरे को देखते हुए की गई हैं।