उत्तर प्रदेश के उन्नाव दुष्कर्म और एक्सीडेंट से जुड़े सभी केस सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले से जुड़े सभी चार्जशीट दिल्ली कोर्ट में दाखिल किए जाएं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को 7 दिनों में हादसे की जांच पूरी करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने दोपहर 2 बजे तक पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट मांगी है और साथ ही कहा है कि अगर पीड़िता एयरलिफ्ट करने की हालत में है, तो उसे दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया जाए।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या पिता की मौत पुलिस की कस्टडी में हुई है? इसके अलावा CJI ने उनकी गिरफ्तारी, पिटाई और मौत के बीच का अंतर पूछा है?
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को जानकारी दी है कि मामले की जांच कर रहे अफसर लखनऊ में हैं, इसलिए उनका अदालत में पेश होना मुश्किल है। ऐसे में चीफ जस्टिस ने कहा कि सीबीआई हमें फोन पर ये जानकारी दे सकती है।
बीते रविवार को जब उन्नाव दुष्कर्म कांड की पीड़िता, उसकी चाची व वकील कार से जा रहे थे, तब उनकी कार को एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी जिसमें पीड़िता के रिश्तेदारों की मौत हो गई जबकि पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट के एक अधिकारी के मुताबिक, मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश को पत्र की जानकारी दी गई थी और उन्होंने सेक्रेटरी जनरल से उस पर नोट बनाकर उनके सामने पेश करने को कहा था।
पीड़िता की मां की स्थानांतरण याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिसमें मामले को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई है। कोर्ट ने गत 16 अप्रैल को याचिका पर सीबीआइ, कुलदीप सिंह सेंगर सहित 15 प्रतिवादियों को नोटिस किया था। कोर्ट को भेजे गए पीड़ित परिवार के पत्र में दो दिन लगातार 7 और 8 जुलाई को अभियुक्तों की ओर से उनके घर आकर धमकी दिये जाने और समझौते के लिए दबाव डालने की बात कही गई है। दोनों दिन का घटनाक्रम बताते हुए कहा गया है कि अभियुक्तों की ओर से धमकी दी गई कि सुलह कर लो, नहीं तो पूरे परिवार को फर्जी मुकदमे लगा कर जेल में सड़ा कर मार डालेंगे। पत्र में अनुरोध किया गया है कि माखी के प्रभारी निरीक्षक को प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्यवाही करने का आदेश दिया जाए।