मोदी सरकार की ओर से दीपावाली में पटाखों को लेकर एक नोटिस जारी किया है. नोटिस में कहा गया है कि चाइनीज पटाखों का आयात और भारतीय बाजार में इनका इस्तेमाल चिंता का विषय है. चाइनीज पटाखों के आयात पर प्रतिबंध है और यदि किसी व्यक्ति के पास यह पाया जाता है तो उन्हें कस्टम एक्ट के तहत दंडित किया जा सकता है.
इस नोटिस में कहा गया है कि चाइनीज पटाखों का इस्तेमाल सरकार के एक्सप्लोजिव रूल्स 2008 (Explosive Rules 2008) के खिलाफ है और यह हानिकारक है. इनमें लेड, कॉपर, ऑक्साइड और लीथियम जैसे प्रतिबंधित केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. ये केमिकल्स इंसानों के लिए खतरनाक होने के साथ पर्यावरण के लिए भी हानिकारक हैं.
ऐसे में लोगों को सलाह दी जाती है कि पटाखों की लेबलिंग डिटेल्स देखकर ही खरीदारी करें. अगर कोई आम नागरिक इस तरह के पटाखों की सेल संबंधित जानकारी रखता है तो वो चेन्नई कस्टम कंट्रोल रूम के टेलीफोन नंबर 044-25246800 पर कॉल कर जानकारी दे सकते हैं.
इस साल केंद्र सरकार ने ग्रीन पटाखे जारी किए है. इनमें अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी और सुतली बम शामिल हैं. सरकार का दावा है कि सामान्य पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखों से प्रदूषण 30 फीसदी तक कम होगा. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि इस बार दिवाली पर देश भर में प्रदूषण कम करने वाले ग्रीन पटाखे बाजार में मिलेंगे.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पटाखे को पूरी तरह से पलूशन-फ्री यानी प्रदूषण रहित नहीं बनाया जा सकता लेकिन CSIR यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने पटाखों का ऐसा फॉर्म्युला तैयार किया है जिसे ग्रीन पटाखों की कैटिगरी में रखा जा सकता है.
दुनिया में सबसे ज्यादा पटाखों का उत्पादन चीन में होता है. वहीं, इसके बाद भारत का नंबर आता है. भारत में तमिलनाडु के शिवकाशी में सबसे ज्यादा पटाखों का उत्पादन होता है. शिवकाशी में 1000 पटाखा मैन्युफैक्चर्स हैं. इनका सालाना कारोबार 6000 करोड़ रुपये का है.