उत्तराखंड में पेपर लीक मामले में राजभवन ने अध्यादेश लागू किया है। उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू हो गया। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने शुक्रवार को उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश, 2023 पर मुहर लगा दी। राजभवन ने 24 घंटे के भीतर यह कदम उठाया है। अब भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा मिलेगी। साथ में 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना भी देना पड़ेगा। इस गैर जमानती अपराध में दोषियों की संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी का सिलसिला जारी रहने से उद्वेलित युवाओं को आश्वस्त करते हुए नकल विरोधी अध्यादेश को बीते दिन स्वीकृति देकर राजभवन भिजवाया था। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अब होने वाली भर्ती परीक्षाएं इसी अध्यादेश के अंतर्गत होंगी। दरअसल अध्यादेश लागू होने की तिथि से ही प्रभावी होगा। अध्यादेश में संगठित होकर नकल कराने और अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने वाले मामलों में आजीवन कैद की सजा तथा 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान है। इसके साथ ही आरोपियों की संपत्ति भी जब्त करने की व्यवस्था इसमें की गई है। इसके अंतर्गत अपराध संज्ञेय, गैरजमानती और अशमनीय होगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अध्यादेश को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल के प्रति आभार व्यक्त किया। धामी ने ट्वीट किया, “अब प्रदेश में होने वाली प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा में “नकल विरोधी कानून लागू होगा।” उन्होंने लिखा, , “हमारी सरकार द्वारा भेजे गए देश के सबसे सख्त “नकल विरोधी कानून” के अध्यादेश को माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह जी द्वारा त्वरित रूप से स्वीकृत किए जाने पर हार्दिक आभार!”
12 फरवरी को होने जा रही पटवारी-लेखपाल परीक्षा व अन्य सभी भर्ती परीक्षाएं नए कानून के तहत ही आयोजित होंगी। देर शाम सरकार ने जारी बयान में कहा कि बेरोजगार संघ की मांगों पर सहमति बन गई है। बेरोजगार संघ की सभी मांगों पर गंभीरता से विचार करने के बाद राज्य सरकार ने फैसला किया है कि पटवारी भर्ती पेपर लीक की एसआईटी जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में कराई जाएगी। उधर, राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (सेनि.) ने नकलरोधी कानून के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ यह कानून पूरे प्रदेश में लागू हो गया।
सरकार ने कहा सीबीआई जांच की मांग को उत्तराखंड हाईकोर्ट अस्वीकार कर चुका है। हाईकोर्ट कह चुका है कि जांच सही दिशा में चल रही है, इसलिए इस प्रकरण की सीबीआई जांच नहीं कराई जा सकती। कहा गया कि आंदोलनकारी युवाओं की मांग थी कि पटवारी भर्ती का प्रश्नपत्र बदला जाए। आयोग पहले ही पुराने प्रश्नपत्र रद्द कर नए प्रश्नपत्र तैयार कर चुका है। नकलरोधी कानून भी लागू हो गया है और परीक्षा नियंत्रक को भी हटाया जा चुका है। इसलिए अब आंदोलन का कोई औचित्य नहीं।