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निकाय चुनाव के लिए मेयर व अध्यक्ष की अनंतिम अधिसूचना जारी, सात दिनों में आपत्तियां मांगी गई

[Edited By: Rajendra]

Friday, 31st March , 2023 12:43 pm

यूपी की राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निकाय चुनाव के लिए मेयर व अध्यक्ष की कुल 762 में 760 सीटों और प्रदेश के सभी 13965 वार्डों के आरक्षण की नए सिरे से अनंतिम अधिसूचना गुरुवार को जारी कर दी है। दो निकायों का मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से चुनाव नहीं हो रहा है। नगर निगम मेयर की 17, पालिका परिषद अध्यक्ष की 199 और नगर पंचायत अध्यक्ष की 544 सीटें हैं। इसके साथ ही 5 दिसंबर 2022 को सीटों के आरक्षण की जारी की गई अनंतिम अधिसूचना को रद्द कर दिया गया है। नई अधिसूचना होने से महिलाओं की 33 सीटें बढ़ी हैं। ओबीसी के हिस्से में आई सीटों की संख्या 205 में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि एससी की आठ सीटें बढ़ गई हैं।

नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने गुरुवार की शाम को जल निगम के फील्ड हॉस्टल संगम में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुज्ञा याचिका राज्य सरकार बनाम वैभव पांडेय व अन्य में पारित आदेश के आधार पर सीटों का आरक्षण करते हुए इसकी अनंतिम अधिसूचना जारी की गई है। उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप सीटों का आरक्षण किया गया है। इस नई सूची पर आपत्तियों के लिए सात दिन यानी छह अप्रैल शाम छह बजे तक का समय दिया गया है। इसे स्थानीय निकाय निदेशालय सेक्टर-7 गोमतीनगर विस्तार लखनऊ में दिया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि 762 नगर निकायों में से 760 पर चुनाव होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पिछली व्यवस्था में बदलाव के लिए नगर निगम और पालिका परिषद अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया गया। अभी तक नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत को एक यूनिट मानते हुए प्रदेश स्तर पर सीटों का आरक्षण किया जाता था। अधिनियम में संशोधन करते हुए मेयर की सीटों का आरक्षण प्रदेश स्तर, पालिका परिषद मंडल व नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण जिला स्तर पर आबादी और सीटों में बांटते हुए किया गया है।

अब नए आरक्षण सूची में एससी-एसटी और महिला आरक्षण को पहले की तुलना में फायदा मिला है। अनुसूचित जाति की आठ और अनुसूचित जनजाति की एक सीट बढ़ी है। एससी समुदाय के लिए पहले 102 सीटें आरक्षित थी, जबकि इस बार उनके लिए 110 सीटें आरक्षित हो गईं हैं। इसी तरह एसटी की पहले एक सीट आरक्षित होती थी, जो अब दो सीटें आरक्षित की गईं हैं। महिलाओं के पहले 255 सीट थी, जो अब बढकर 288 हुई हैं। इस तरह से महिलाओं के लिए 33 सीटों की बढ़ोतरी हुई है। नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए पहले महिलाओं के लिए 182 सीटें थी, जो अब बढ़कर 209 सीट हो गई है। इस तरह से नगर पालिका अध्यक्ष की 67 से बढ़कर 73 हो गई है।

नगर निगम की कुल 17 मेयर सीट में से 8 सामान्य वर्ग, 3 महिला, दो महिला ओबीसी, दो पिछड़ा वर्ग, एक एससी और एक एससी महिला के आरक्षित की गई है। वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, अयोध्या और मथुरा की मेयर सीट अनारक्षित है। लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद मेयर सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित की गई है। शाहजहांपुर और फिरोजाबाद की मेयर सीट पिछड़ा वर्ग महिला तो सहारनपुर और मेरठ मेयर सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं। झांसी मेयर सीट एससी और आगरा मेयर सीट एससी महिला के लिए आरक्षित है।

नगर निगम की मेयर सीटों के लिए राज्य सरकार ने 5 दिसंबर 2022 को जो आरक्षण जारी किया था, उस लिहाज से देखें तो अब मेयर की 17 सीटों में से 11 सीटों पर आरक्षण की स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। मथुरा और अलीगढ़ मेयर सीट पहले ओबीसी महिला के आरक्षित लिए थी, जो अब सामान्य वर्ग के लिए अनारक्षित हो गई हैं। प्रयागराज मेयर सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थी, जो अब सामान्य वर्ग के लिए हो गई है। सहारनपुर मेयर सीट महिला से ओबीसी हो गई तो मुरादाबाद मेयर सीट महिला आरक्षण से सामान्य वर्ग हो गई। फिरोजाबाद और शाहजहांपुर की मेयर सीट अनारक्षित से ओबीसी महिला हो गई है तो गाजियाबाद, लखनऊ और कानपुर मेयर सीट अनारक्षित से महिला आरक्षित कर दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नए आरक्षण से जिस तरह नगर निगम की मेयर की 17 सीटों में से 11 सीटों पर आरक्षण की स्थिति बदल गई है, उसी तरह से नगर पालिका के अध्यक्ष पद की 100 और नगर पंचायत के अध्यक्ष पद की 269 सीटों पर आरक्षण में बड़ा उलटफेर हो गया है। नगर पालिका में पहले एससी महिला के लिए 9 सीटें थी, जो अब बढ़कर 18 हो गई हैं तो एससी की 18 सीटों से घटकर 8 हो गई है। ओबीसी महिला की 18 से बढ़कर 23 हो गई है, जबकि ओबीसी की 30 से घटकर 36 हो गई है। नगर पालिका की अनाराक्षित सीट 78 से बढ़कर 89 हो गई है।

निकाय चुनाव में आरक्षण में हुए बदलाव से चुनाव की तैयारी में जुटे कई दिग्गज नेता दौड़ से बाहर हो गए हैं। सहारनपुर की मेयर सीट महिला से बदलकर ओबीसी के लिए आरक्षित हो गई है, जिसके चलते बसपा नेता इमरान मसूद की पत्नी का मेयर पद चुनाव लड़ने पर ग्रहण लग गया है। बसपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया था, लेकिन अब आरक्षण बदल जाने से चुनाव नहीं लड़ सकेंगी। बीजेपी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेताओं के हाथ निराशा लगी है जबकि ओबीसी नेताओं के हौसले बुलंद हो गए हैं। 2017 में मेयर बने संजीव वालिया के चुनाव लड़ने की उम्मीद फिर जाग गई है।

नगर विकास विभाग ने प्रदेश के सभी 13965 वार्डों का आरक्षण भी नए सिरे से किया है। आगरा, झांसी, शाहजहांपुर, फिरोजाबाद, सहारनपुर, मेरठ, लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, अयोध्या और मथुरा-वृंदावन नगर निगमों के साथ 199 पालिका परिषदों और 544 नगर पंचायतों के वार्डों के आरक्षण को नए सिरे से जारी करते हुए इस पर सात दिनों में आपत्तियां मांगी गई हैं।

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