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लोकसभा चुनाव से पहले आज बेंगलुरु में विपक्ष की 'महाबैठक'

[Edited By: Rajendra]

Monday, 17th July , 2023 01:18 pm

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले आज बेंगलुरु में विपक्ष की 'महाबैठक' हो रही है। इस बैठक में कांग्रेस के साथ 24 दल शामिल हो रहे हैं। इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आम आदमी पार्टी (आप) सहित भाजपा विरोधी दलों के नए गठबंधन को अब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) नहीं कहा जाएगा। नया नाम मंगलवार को बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के दौरान तय होने की संभावना है।

3 जून को जब पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देशभर से भाजपा विरोधी दलों को जुटाकर बैठक की तो घोषित 18 की जगह 15 घटक दल आए। इनमें से अपनी बात कहने के लिए कई दल मीडिया के सामने नहीं भी आए। आम आदमी पार्टी ने तो पहले ही मुंह मोड़ लिया। इसी चक्कर में मीडिया के सामने वामदल बोलते-बोलते भी विपक्षी एकता के नए नाम की घोषणा नहीं करा सके। नीतीश के बेहतरीन संयोजन की चर्चा सभी ने की, लेकिन संयोजक के रूप में उनके नाम की प्रतीक्षित और संभावित घोषणा नहीं हो सकी। बैठक के बाद एक वाम नेता ने पटना में ही देशभक्त लोकतांत्रिक गठबंधन का नाम फाइनल होने की बात कही। लेकिन, क्या यह इतना आसान नहीं? कौन इसके पक्ष में होगा? संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का अस्तित्व मिटाने की बात आएगी तो नीतीश कुमार और लालू प्रसाद किस खेमे में होंगे? इन सवालों के साथ विपक्षी एकता का प्रयास शुरू करने वाले नीतीश कुमार और इसके लिए महत्वपूर्ण नेताओं को बुलाने वाले लालू प्रसाद यादव बेंगलुरु जा रहे हैं।

देशभक्त लोकतांत्रिक गठबंधन का नाम शिमला में फाइनल होना था। पटना की बैठक एक तारीख टलने पर हुई थी। शिमला में घोषित 10-11 जुलाई की तारीख बेकार गई। फिर बेंगलुरु की 13-14 की तारीख बेकार गई। अब 17-18 को बैठक बेंगलुरु में हो रही है। पटना की बैठक में विपक्षी एकता के किसी गठबंधन का नाम घोषित नहीं हुआ। बैठक के दो दिन बाद पटना में भारतीय कॉम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी। राजा ने बताया कि भाजपा-विरोधी दलों की अगली बैठक में देशभक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (PDA) के नाम पर मुहर लग जाएगी। 'अमर उजाला’ ने इस खबर के साथ यह भी विश्लेषण सबसे पहले सामने लाया कि राष्ट्रभक्त या राष्ट्रवाद जैसे शब्दों पर भाजपा का एकाधिकार मानते हुए उसकी काट के लिए 'देशभक्त' शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। विपक्षी एकता की बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने Patriotic शब्द पर जोर दिया था। डी। राजा ने लोकतंत्र पर मंडराते खतरे के आसपास ही बात रखी थी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने भारत को धर्मनिरपेक्ष जनतंत्र के गणराज्य बताया था। भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी लोकतंत्र की बातें की। बाद में डी। राजा ने नाम ही सामने ला दिया।

पटना से राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, जदयू से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को विपक्षी एकता की बैठक में रहना है। बाकी जाएं तो भी शायद बैठक में नहीं रहेंगे। इनमें लालू और नीतीश निर्णायक हैं। दोनों पार्टियों के पुराने जानकार बताते हैं कि संयोजक के मुद्दे पर इन दोनों के बीच बात नहीं हो रही है, क्योंकि नीतीश दावेदार हैं और लालू यहां उनके साथ ही हैं। यह बात दूसरे नेताओं को करनी है। रही बात यूपीए और पीडीए की तो दोनों ही दलों के निर्णायक नेताओं ने एक ही स्टैंड तय किया है कि विपक्षी एकता की राह में कोई रोड़ा नहीं आने देंगे।

अगर कांग्रेस ज्यादा असहमत नहीं होकर यूपीए को खत्म कर पीडीए के लिए राजी हो जाती है तो उसे राजी कराएंगे। अगर कांग्रेस अड़ जाती है तो बाकी दलों को यूपीए के बैनर तले ही विपक्षी एकता की कोशिशों को आगे बढ़ाने के लिए राजी कराएंगे। लालू-नीतीश ही नहीं, बिहार कांग्रेस के कुछ पुराने नेताओं का भी मानना है कि यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी बैठक में रहेंगी तो उनके सामने यूपीए को खत्म करने के लिए कांग्रेस तैयार नहीं होगी। ऐसे में इस बात पर बेंगलुरु में भी पटना के आप वाले स्टैंड की तरह गरमागरमी से भी इनकार किसी को नहीं।

यूपीए 2004 से 2014 तक दो कार्यकाल के लिए केंद्र में सत्ता में था और इसकी अध्यक्ष कांग्रेस की दिग्गज नेता सोनिया गांधी थीं।सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित भाजपा विरोधी गुट का एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम होगा और बैठक के दौरान राज्य-दर-राज्य आधार पर सीट बंटवारे पर चर्चा होगी। सूत्रों ने कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के लिए सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम और संचार बिंदुओं का मसौदा तैयार करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया जाएगा।

बैठक को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, '26 पार्टियां हैं। हम विभिन्न मुद्दों पर एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं। भविष्य के जो भी मुद्दे हैं उन पर चर्चा होगी। हम उन सबका समाधान करेंगे।'यूपीए की जगह नए नाम को लेकर पूछे गए सवाल पर जयराम रमेश ने कहा, 'चिंता मत करो। हम सारे फैसले लेंगे। मैं अभी इस बारे में नहीं बता सकता कि हम क्या चर्चा करेंगे क्योंकि यह सिर्फ कांग्रेस का मामला नहीं है। हम सब मिल बैठ कर फैसला करेंगे। मोदी के ख़िलाफ कौन होगा नेता, इसका जवाब देते हुए रमेश ने कहा, 'सोनिया गांधी सभी संसदीय बैठकों में थीं। उनकी मौजूदगी से विपक्ष की बैठकों को ताकत मिलेगी।' जेडीएस को आमंत्रण पर जयराम रमेश ने कहा कि आमंत्रण की कोई जरूरत नहीं है। जिस किसी में भी भाजपा के खिलाफ लड़ने का साहस है वह हमारे साथ आ सकता है।

आज होने वाली बैठक में सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने के लिए एक उपसमिति का गठन करना और 2024 के आम चुनावों के लिए गठबंधन के लिए चर्चा का मसौदा तय करना। पार्टियों के संयुक्त कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक उपसमिति का गठन करना, जिसमें रैलियां, सम्मेलन और आंदोलन शामिल हैं। एक राज्य से दूसरे राज्य में सीट बंटवारे पर निर्णय लेने की प्रक्रिया पर चर्चा करना। ईवीएम के मुद्दे पर चर्चा करना और ईसीआई को सुधारों का सुझाव देना। गठबंधन के लिए एक नाम सुझाना। प्रस्तावित गठबंधन के लिए एक साझा सचिवालय स्थापित करना।

एक तरफ राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मोर्चा संभाल रखा है तो वहीं दूसरी तरफ सोनिया गांधी भी सक्रिय हो गई हैं। 18 जुलाई की बैठक में सोनिया गांधी भी शामिल होंगी। बैठक से पहले 17 जुलाई की रात सभी विपक्षी दलों के नेताओं को डिनर पर बुलाया गया है। बताया जाता है कि इस डिनर का आइडिया भी सोनिया गांधी का ही है।

विपक्ष का गणित है कि 2019 में BJP+ को 45% फीसदी वोट मिले थे। पूरा विपक्ष मिलकर 55% वोट अपने पाले में कर लेगा और सरकार बन जाएगी, लेकिन ये इतना सीधा गणित नहीं है।

पटना में हुई महाबैठक में 15 दलों के 27 नेता शामिल हुए थे। इन नेताओं के नाम नीतीश कुमार (जेडीयू), ममता बनर्जी (एआईटीसी), एमके स्टालिन (डीएमके), मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस), राहुल गांधी (कांग्रेस), अरविंद केजरीवाल (आप), हेमंत सोरेन (झामुमो), उद्धव ठाकरे (एसएस-यूबीटी), शरद पवार (एनसीपी), लालू प्रसाद यादव (राजद), भगवंत मान (आप), अखिलेश यादव (सपा), केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (एनसीपी), मनोज झा (राजद), फिरहाद हकीम (एआईटीसी), प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी), राघव चड्ढा (आप), संजय सिंह (आप), संजय राऊत (एसएस-यूबीटी), ललन सिंह (जेडीयू),संजय झा (जेडीयू), सीताराम येचुरी (सीपीआईएम), उमर अब्दुल्ला (नेकां), टीआर बालू (डीएमके), महबूबा मुफ्ती (पीडीपी), दीपंकर भट्टाचार्य (सीपीआईएमएल)तेजस्वी यादव (राजद), अभिषेक बनर्जी (एआईटीसी), डेरेक ओ'ब्रायन (एआईटीसी), आदित्य ठाकरे (एसएस-यूबीटी) और डी राजा (सीपीआई) हैं।

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