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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने दिया बड़ा बयान

[Edited By: Rajendra]

Friday, 25th August , 2023 12:33 pm

शरद पवार के बारे में कहा जाता है कि उनकी सियासत को समझना नामुमकिन है, बगावत कर उनके भतीजे अजित पवार ने अलग राह पकड़ी और मौजूदा एकनाथ शिंदे-बीजेपी सरकार में हिस्सेदार हैं। उन्होंने जुलाई के महीने में शक्ति प्रदर्शन के जरिए यह दिखाया कि एनसीपी के ज्यादातर विधायक उनके साथ हैं लेकिन नेता तो शरद पवार ही हैं। यह बात अलग है कि शरद पवार कहते हैं जिन्हें उन पर भरोसा नहीं है वो उनकी तस्वीर का इस्तेमाल नहीं कर सकते। हालांकि सुप्रिया सुले के बयान जिसमें उन्होंने कहा कि अजित पवार नेता है एक बार फिर सस्पेंस गहरा गया कि शरद पवार किस तरह की राजनीति कर रहे हैं अब उन्होंने खुद कहा है कि इसमें कोई दो मत नहीं किया अजित पवार हमारे नेता नहीं है।

शरद पवार का कहना है कि फूट की बात तब आती है जब राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा धड़ा पार्टी से नाता तोड़ ले। किसी तरह की कोई फूट नहीं है, अजित पवार हमारे नेता हैं। एनसीपी में किसी तरह का बिखराव नहीं है। पार्टी में आखिर फूट कैसे हुई। यह बात सच है कि कुछ नेताओं ने अलग रुख अपनाया है लेकिन उसे आप फूट नहीं मान सकते। लोकतंत्र में हर किसी को फैसला लेने का अधिकार हो सकता है। इससे पहले पुणे में 20 अगस्त को शरद पवार ने कहा था कि कुछ नेताओं ने पाला बदलकर अजित पवार के साथ जाने का फैसला किया जिनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा था।ये वो लोग हैं जो ईडी की जांच का सामना नहीं करना चाहते। यही नहीं कुछ नेता जो महाराष्ट्र सरकार में हिस्सा हैं उन्होंने तर्क पेश किया कि विकास के मुद्दे पर उनका समर्थन बीजेपी को है। इसी के साथ अनिल देशमुख का नाम लेकर कहा कि उनके जैसे लोग भी हैं जिन्होंने डरना कबूल नहीं किया और जेल में जाना स्वीकार किया। उन्हें खुद भी जांच से बचने के लिए बीजेपी के पक्ष में बोलने के लिए कहा गया था। उन्होंने किसी तरह का अपराध नहीं किया है लिहाजा वो अपने विचारधारा से जुड़े हुए हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अजित पवार को पार्टी नेता माना है। बारामती में सीनियर पवार ने कहा, 'इसमें कोई मतभेद नहीं है कि वह (अजित पवार) हमारे नेता हैं, एनसीपी में कोई टूट नहीं है। शरद पवार ने आगे कहा कि किसी पार्टी में फूट कैसे पड़ती है? ऐसा तब होता है जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा समूह पार्टी से अलग हो जाता है। लेकिन आज एनसीपी में ऐसी कोई स्थिति नहीं है। हां, कुछ नेताओं ने अलग रुख अपनाया लेकिन इसे फूट नहीं कहा जा सकता। वे लोकतंत्र में ऐसा कर सकते हैं।

शरद पवार के बयान से एक दिन पहले ही एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने भी पार्टी में टूट की बात से इनकार किया था। गुरुवार (24 अगस्त) को सुप्रिया सुले ने कहा था कि पार्टी में कोई टूट नहीं हुई है और बीजेपी केवल कुछ विधायकों को सत्ताधारी गठबंधन की तरफ लाने में सफल हुई है। बीते जुलाई महीने में अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी में बड़ी बगावत हुई थी, जब पार्टी का एक धड़ा महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार में शामिल हो गया था। अजित पवार समेत पार्टी के 9 विधायक शिंदे कैबिनेट का हिस्सा बन गए थे। अजित पवार को उपमुख्यमंत्री का पद मिला था।

अजित पवार के साथ सरकार में शामिल होने वालों में छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, संजय बनसोड़े, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ थे। इनमें भुजबल, धनंजय मुंडे, हसन मुश्रीफ जैसे लोग तो शरद पवार के बेहद करीबी माने जाते थे। इसके साथ ही एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल भी अजित पवार धड़े के साथ चले गए थे। पटेल को जून में ही पार्टी के स्थापना दिवस पर शरद पवार ने सुप्रिया सुले के साथ कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था।

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