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मौनी अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं ने लगाई पावन गंगा में डुबकी

[Edited By: Punit tiwari]

Thursday, 11th February , 2021 12:18 pm

लखनऊ-मौनी अमावस्‍या के मौके पर आज सुबह से ही पवित्र नदियों के तट पर आस्‍था का सैलाब उमड़ पड़ा है। संगम नगरी प्रयागराज हो, बाबा विश्‍वनाथ की नगरी काशी या फिर प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्‍या, हर जगह भोर से ही बड़ी तादात श्रद्धालुओं के पहुंचने और स्‍नान के साथ दान-पुण्‍य करने का सिलसिला बना हुआ है। कोरोना संक्रमण काल में संगम के लिए शायद यह पहला मौका है जब देश या विदेश में कहीं एक साथ इतनी भीड़ जुटी है। वहां माघ मेले में तीसरे और सबसे बड़े स्नान पर्व में कोरोना के भय पर श्रद्धा पूरी तरह भारी पड़ती दिखी। रात 12 बजे के बाद अमावस्या तिथि लगते ही पावन त्रिवेणी में पुण्य की डुबकियां लगने लगीं।

उधर, वाराणसी में भी आज गंगा के घाटों पर स्नान के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान गंगा घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग की कमी दिखाई दी। बड़ी संख्‍या में श्रद्धालुओं ने पावन गंगा में डुबकी लगाई। गंगा स्नान से पहले श्रद्धालुओं ने संकल्प लिया, फिर गंगा में डुबकी लगाकर सूर्य को अर्घ्य दिया। प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्‍या में भी मौनी अमावस्या के मौके पर सरयू नदी के तट पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। लाखों की संख्या में श्रद्धालु सरयू में स्नान कर रहे हैं। आस्था की डुबकी लगाने आसपास के जिलों के भी श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। कोरोना काल के दौरान बड़ी संख्या में पहली बार सरयू के तट पर श्रद्धालु उमड़े हैं।

श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद दान पुण्य कराने की परंपरा का भी निर्वहन किया। सरयू में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने राम जन्मभूमि में विराजमान रामलीला, हनुमानगढ़ी में हनुमंत लला, कनक भवन व नागेश्वरनाथ समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन भी किया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने के चलते रामनगर की सड़कों पर यातायात व्यवस्था प्रभावित हो गई है।

क्या है मौनी अमावस्या पौराणिक कि कहानी
कहते हैं कि इसी दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था इसलिए इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में आते हैं इसलिए यह दिन बेहद पवित्र और शक्ति से भरा होता है। पौराणिक मान्यता है कि सतयुग में जो हजारों वर्ष तपस्या करने का पुण्य है, वह कलियुग में मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने और गंगा स्नान करने से प्राप्त हो जाता है।

मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का महत्व
इस दिन व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता है इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है। मौनी अमावस्या के दिन संतों की भांति चुप रहना उत्तम माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन मुंह से कड़वे शब्द न निकलने से मुनि पद की प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्या के दिन दान करने से मिलता है पुण्य
इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। इस दिन पीपल में अर्घ्य देकर परिक्रमा करनी चाहिए और दीप दान करना चाहिए। किसी लाचार या गरीब व्यक्ति को दान जरूर देना चाहिए। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव न हो, वह मीठा भोजन करें। इस दिन तिल का दान और भगवान विष्णु को तिल और दीप अर्पित करना शुभकारी होता है। इससे पाप का क्षय होता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करने से मिलता है शुभ फल
इस दिन सूर्योदय से पहले मौन रहकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। सुबह स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए और भगवान विष्णु को घी का दीप दान करना चाहिए। इस दिन पीपल को जल देना और पीपल के पत्तों पर मिठाई रखकर पितरों को अर्पित करनी चाहिए। इससे पितृदोष दूर होता है और पितरों की आत्मा को शांति भी मिलती है ।

मौनी अमावस्या के दिन ये न करें
यह मुनियों की अमावस्या है इसलिए इस दिन छल कपट या लोभ लालच के मोह में नहीं पड़ना चाहिए। इस दिन साधन और तप करके ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। साथ ही तामसिक भोजन, जैसे मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज खाने से बचना चाहिए। मन को पवित्र रखना चाहिए।

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