शिवसेना अब तक भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा भाई मानती आई है लेकिन महाराष्ट्र में वो खुद को 'भाऊ' मानती रही है. लेकिन अब हालात बदलते जा रहे हैं. शिवसेना 50-50 सीटों का बंटवारा चाहती थी. लेकिन आखिरकार शिवसेना को कम ही सीटों पर संतोष करना पड़ा है.
शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने एक बार कहा था, "ये बीजेपी कमलाबाई की तरह से है, सीटों पर हम जो कहेंगे वो होगा". ये इतिहास का वह पन्ना है जिसे अब शिवसेना भूल जाना चाहेगी. पहले पिछली सरकार में मंत्रालयों का बंटवारा हो या फिर इस बार गठबंधन के लिए सीटों का समझौता. हर बार शिवसेना को वही मानना पड़ा है जो बीजेपी की तरफ से पास किया गया. इस बात की और पुष्टि करता है सामना में आज का लिखा लेख युति होने पर यहां-वहां चलता ही रहता है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में शिवसेना के बारे में इस बार यह मानना पड़ेगा कि लेना कम और देना ज्यादा हुआ है. लेकिन शिवसेना के नेता अब भी यह मानने को तैयार नहीं दिखाई देते हैं. कैबिनेट मंत्री और शिवसेना नेता दिवाकर रावते का कहना है कि बड़ा अगर ज्यादा अमीर हो जाएगा तो बड़ा नहीं हो जाएगा. शिवसेना महाराष्ट्र में बड़ा भाई ही है. यहां आपको यह भी बता दें कि पिछला विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने अलग-अलग लड़ा था. जिसमें बीजेपी की 122 सीटें थीं जबकि शिवसेना सिर्फ 63 पर सिमट कर रह गई थी.
एक समय था जब शिवसेना 171 सीटों पर चुनाव लड़ती थी और बीजेपी 17 सीटों पर. लेकिन, तब से लेकर अब तक समंदर में काफी पानी बह चुका है. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा ट्रंप कार्ड, धारा 370 खत्म करना, और फडणवीस की लोकप्रियता का कोई जवाब शिवसेना के पास फिलहाल नहीं है. फिलहाल दोनों पार्टियां चुनाव में अपनी ताल ठोंक रही हैं लेकिन जिस पार्टी की ज्यादा सीटें आएंगी वही तय करेंगी कि असल में बड़ा भाई कौन है.