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चुनाव आयोग के फैसले के मद्देनजर, संसद में शिवसेना का दफ्तर अब शिंदे गुट का

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 21st February , 2023 02:02 pm

उद्धव बालासाहेब ठाकरे के चीफ उद्धव ठाकरे को एक के बाद एक कई झटके लग रहे हैं। पार्टी का नाम और चुनाव निशान छिन जाने के बाद अब उनसे संसद का दफ्तर भी छिन गया है। चुनाव आयोग के फैसले के मद्देनजर, संसद में शिवसेना का दफ्तर अब शिंदे गुट का हो गया है। अब इस दफ्तर पर उद्धव गुट का कोई अधिकार नहीं होगा। संसद में शिवसेना के दफ्तर पर एकनाथ शिंदे गुट ने अपना दावा किया था।

बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मंगलवार (21 फरवरी) को शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करेंगे। सीएम के करीबी सहयोगी ने कहा है कि बैठक में विधायक, सांसद और शिवसेना के अन्य नेता शामिल होंगे। इससे पहले, सोमवार (20 फरवरी) को मुंबई के विधान भवन में भी शिंदे गुट ने शिवसेना के दफ्तर को टेकऑवर कर लिया था।

एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि हम किसी भी पार्टी की संपत्ति पर कोई दावा नहीं करेंगे, क्योंकि हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं और हमें कोई लालच नहीं है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मुझे शिवसेना की संपत्ति या धन का कोई लालच नहीं है। मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जिसने हमेशा दूसरों को कुछ दिया है।" उन्होंने ये भी कहा कि संपत्ति और धन के लालच में आने वालों ने 2019 में गलत कदम उठाया था।

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना मानने और उसे इलेक्शन सिंबल धनुष एवं तीर आवंटित करने के चुनाव आयोग के फैसले को उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलती की कि दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य ठहराने और चुनाव संबंधी कार्यवाही अलग-अलग मामले हैं और विधायकों की अयोग्यता राजनीतिक दल की सदस्यता समाप्त करने पर आधारित नहीं है। इस मामले में अब बुधवार (22 फरवरी) को सुनवाई होगी।

शिवसेना का नाम और निशान छीने जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई नहीं हुई। इस पर उद्धव के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से इस मामले की जल्द सुनवाई करने को कहा। उन्होंने दलील दी कि उद्धव गुट के असैंबली ऑफिस पर पहले ही कब्जा किया जा चुका है। अगर कोर्ट से स्टे नहीं मिला, तो शिंदे गुट ऑफिस और बैंक अकाउंट भी छीन लेगा।

चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अदालत ने उन्हें मंगलवार को याचिका दाखिल करने को कहा। मंगलवार को जब उद्धव के वकील सिब्बल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो कोर्ट ने कहा- बुधवार को संविधान पीठ में एक मामले की सुनवाई खत्म होने के बाद यह मामला सुनेंगे। अब सुप्रीम कोर्ट बुधवार को दोपहर साढ़े तीन बजे इस केस की सुनवाई करेगा।

उधर, महाराष्ट्र विधानसभा के बाद अब संसद का शिवसेना दफ्तर भी शिंदे गुट को दे दिया गया है। लोकसभा सचिव ने पत्र के जरिए इसकी जानकारी दी। इससे पहले शिंदे गुट ने मंगलवार को महाराष्ट्र असेंबली में बने शिवसेना के ऑफिस को अपने अधिकार में ले लिया था।

चुनाव आयोग से शिवसेना का नाम और निशान छीने जाने के फैसले पर उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि इस देश में सभी संस्थाएं खत्म हो गई हैं। लोकतंत्र की हत्या हो गई है, तो अब एक ही आशा बची है- सर्वोच्च न्यायालय। हम वहां जाएंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे।

चुनाव आयोग की तरफ से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को शिवसेना का नाम और सिंबल मिल चुका है। इसके तुरंत बाद शिंदे शिवसेना पर अपनी पकड़ और मजबूत करने की कोशिश में हैं। इस बदलाव के बाद वे मंगलवार को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पहली बैठक करेंगे। माना जा रहा है कि इसमें नए पदाधिकारियों की नियुक्ति हो सकती है।

इधर, शिवसेना का नाम और निशान गंवाने के बाद उद्धव ठाकरे भी आज पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करेंगे। न्यूज एजेंसी के मुताबिक बैठक के दौरान इस बात की चर्चा हो सकती है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से शिवसेना पर कंट्रोल कैसे वापस लिया जाए। मंगलवार शाम को कार्यकारिणी की बैठक में उद्धव नए स्थानीय नेताओं की नियुक्ति कर सकते हैं। इस दौरान आगे की रणनीति पर भी चर्चा की जाएगी

उद्धव गुट की याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव निशान के विवाद के निपटारे का आधार पार्टी के 1999 के संविधान को बनाया, जबकि इसे 2018 में बदला जा चुका था। संशोधन में कहा गया था कि शिवसेना में अध्यक्ष ही सबसे ऊपर होगा। किसी को पार्टी में शामिल करने, निकालने या बैठक करने पर आखिरी फैसला पार्टी अध्यक्ष का ही होगा।

उद्धव गुट ने कहा था कि 1999 के संविधान के मुताबिक पार्टी प्रमुख के पास इस तरह का कोई पावर नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने 2018 के संविधान को रिकॉर्ड पर रखने का समय ही नहीं दिया। फैसला लेते वक्त नए संविधान को अनदेखा किया गया है। इसी दलील के आधार पर उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी।

1999 में बाला साहेब ठाकरे द्वारा गठित शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शाखा प्रमुख से लेकर वरिष्ठ नेता तक सभी को बोलने का अधिकार दिया गया था, लेकिन उस कार्यकारिणी को 2018 में उद्धव ठाकरे ने भंग कर दिया और सभी अधिकारों को अपने पास बरकरार रखा था. आज की कार्यकारिणी की बैठक में उसी 2018 की कार्यकारिणी को निरस्त किया जाएगा और बाला साहेब ठाकरे के समय की तरह ही इस बार भी सभी नेताओं को बोलने का अधिकार दिया जाएगा.

उद्धव ठाकरे की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही हैं। पहले पार्टी का नाम और निशान गया, फिर विधानभवन में पार्टी का ऑफिस भी चला गया। अब BMC हेडक्वार्टर पर शिंदे गुट की नजर है। वहीं, शिंदे गुट ने महाराष्ट्र असैंबली में बने शिवसेना के ऑफिस पर दावा ठोका है। शिंदे गुट के विधायकों ने ऑफिस को अपने अधिकार में ले लिया।

मुंबई के शिवसेना भवन में उद्धव गुट की मीटिंग से पहले शिंदे गुट के नेता सदा सर्वंकर ने कहा कि हम किसी प्रॉपर्टी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। न सिर्फ सेना भवन, बल्कि हमारे लिए पार्टी की हर शाखा एक मंदिर है।​​​​​​

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने दावा किया है कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न तीर-कमान को खरीदने के लिए 2000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ है। राउत ने रविवार काे सोशल मीडिया में लिखा था कि 2000 करोड़ रुपए एक शुरुआती आंकड़ा है और यह पूरी तरह सच है।

राउत ने था कहा कि सत्तारुढ़ दल के करीबी एक बिल्डर ने यह जानकारी साझा की है। इसका खुलासा वे जल्द करेंगे। वहीं, राउत के इस बयान पर CM एकनाथ शिंदे के विधायक सदा सर्वंकर ने पूछा कि क्या उस डील के कैशियर संजय राउत हैं? इस मामले में नासिक में संजय राउत के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

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