राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य का पुनर्गठन का प्रस्ताव रखा है। राज्यसभा में अमित शाह के बयान से पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर की स्थिति का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को हाउस अरेस्ट किया गया है। ऐसे में गृह मंत्री को घाटी की स्थिति पर बयान देना चाहिए। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं। लेकिन उन्हें उनकी बात कहने दी जाए।
जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद हलचल बढ़ गई है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को उनके घरों में नजरबंद कर लिया गया है। कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है। घाटी में इंटरनेट सेवाओं बंद करने के साथ ही जम्मू और श्रीनगर में धारा-144 लगा दी गई है। जम्मू में सभी स्कूल कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। वादी के महत्वपूर्ण संस्थानों और संवेदनशील क्षेत्रों की चौकसी बढ़ा दी गई है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में 11 बजे जबकि लोकसभा में 12 बजे अपनी बात रखेंगे। ऐसे में नजरें संसद पर जाकर टिक गई हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के चुनाव प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने कहा कि जम्मू कश्मीर को लेकर कोई भी फैसला देश हित को ध्यान में रख कर ही लिया जाएगा। रविवार शाम को खन्ना ने जम्मू में भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक में पार्टी नेताओं को निर्देश दिए कि वे किसी भी प्रकार के हालात का सामना करने को तैयार रहें। खन्ना ने जम्मू में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा की तैनाती कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए की है। कश्मीर में अलगाववाद की दुकानें बंद की जा रही है।
विपक्ष ने सरकार को जम्मू-कश्मीर में आनन-फानन में कोई कदम उठाने को लेकर सचेत किया है। विपक्षी दलों ने अमरनाथ यात्र को बीच में रद करने से लेकर जम्मू-कश्मीर पर एनडीए सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदमों और वहां के राजनीतिक दलों में मची अफरातफरी के मुद्दे को संसद में उठाने का फैसला भी किया है। कांग्रेस समेत विपक्षी दल सोमवार को इस पर सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगेंगे। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और वामपंथी दल संसद में सरकार से जम्मू-कश्मीर पर अन्य राजनीतिक दलों को भरोसे में लेने का आग्रह भी करेंगे।
कश्मीर में आतंकी खतरे और सुरक्षा तैयारियों के साथ ही आगे की रणनीति पर विचार करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को उच्च स्तरीय बैठक की जिसके बाद जम्मू-कश्मीर में हलचल बढ़ गई है। संसद भवन स्थित अमित शाह के दफ्तर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह सचिव राजीव गौबा के साथ लगभग दो घंटे तक बैठक चली। बैठक के बाद फाइलों के साथ अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार के शाह से मिलने के लिए पहुंचने को लेकर माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा नीतिगत फैसला भी हो सकता है।
अमित शाह सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) बिल, 2019 पेश करेंगे। लोकसभा में यह बिल एक जुलाई को पास हो चुका है। संसद के उच्च सदन में अगर यह बिल पास हो जाता है तो राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को शैक्षिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण मिलने लगेगा।
अनुच्छेद 35ए को सुप्रीम कोर्ट में भी कई याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत ने इस पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है, लेकिन आज तक दोनों सरकारों ने जवाब नहीं दाखिल किया। याचिका दायर करने वालों में भाजपा नेता व वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय भी शामिल हैं। इन्होंने भारतीय नागरिकों के साथ भेदभाव को आधार बनाते हुए कोर्ट से अनुच्छेद 35 खत्म करने की मांग की है। इस अनुच्छेद के खिलाफ इसके अलावा चार अन्य याचिकाएं भी लंबित हैं।
जम्मू कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियों ने विशेष दर्जे (35ए) के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ का मिलकर विरोध करने का फैसला लिया है। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला के आवास पर रविवार देर शाम को हुई सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया। बैठक में भाजपा को छोड़ अधिकांश दलों के नेता शामिल हुए। बैठक के बाद डॉ. फारूक ने कहा कि राज्य के लोग कोई ऐसा कदम न उठाएं, जिससे माहौल खराब हो। भारत और पाकिस्तान से भी अपील है कि वे तनाव भरे कदम न उठाएं।