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कर्नाटक: सियासी नाटक चरम पर, कांग्रेस के 21 मंत्रियों की तरह जेडीएस के सभी मंत्रियों ने दिया इस्तीफा

[Edited By: Admin]

Monday, 8th July , 2019 04:36 pm
कर्नाटक में एक बार फिर सियासी नाटक ने जोर पकड़ा है. कांग्रेस और जेडीएस के कुल 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद एचडी कुमारस्वामी की सरकार संकट में है. इसके अलावा निर्दलीय विधायक ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर राज्य में सरकार बनाने को लेकर एक्टिव होती दिख रही है. जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है, वे अभी मुंबई में हैं.

कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक विधायकों के इस्तीफे से संकट में फंसी कर्नाटक की 13 माह पुरानी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाने की अंतिम कोशिश के तहत सोमवार को कहा कि मंत्रिमंडल में फेरबदल करने और असंतुष्ट विधायकों को उसमें जगह देने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उसके मंत्रियों ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने ट्वीट करके बताया है कि कांग्रेस के 21 मंत्रियों की तरह जेडीएस के भी सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया हैँ।

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कुमारस्वामी ने ट्वीट करके बताया कि जल्द ही कैबिनेट में फेरबदल होगा। बेंगलुरु में उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर के निवास पर हुई कांग्रेस मंत्रियों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया और कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने भी हिस्सा लिया। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कांग्रेस नेताओं से बातचीत की।
बैठक के बाद वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, 'पार्टी के व्यापक हित में कल और आज हमने वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों के साथ विस्तृत चर्चा की। आज सुबह हमने मंत्रियों के साथ बैठक की। जहां तक कांग्रेस मंत्रियों की बात है तो वर्तमान स्थिति में उन्होंने स्वेच्छा से मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।'

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वेणुगोपाल ने कहा, 'उन्होंने वर्तमान परिदृश्य में इन मुद्दों के समाधान के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल पर जरूरी फैसला करने का जिम्मा कांग्रेस पार्टी पर छोड़ दिया है। मैं मंत्रियों को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं।' सिद्धरमैया ने भी कहा कि सभी कांग्रेस मंत्रियों ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया है और पार्टी को मंत्रिमंडल में फेरबदल करने पर ''पूरी आजादी दे दी है।

मुश्किल होगा बहुमत साबित करना 

अगर राज्यपाल ने सरकार को सदन के अंदर बहुमत साबित करने का निर्देश दिया तो कुनबा समेटना और एकजुट रखना और मुश्किल हो सकता है। ऐसी स्थिति बनी तो नतीजा आने के बाद ही सरकार गठन का एक असफल प्रयास कर चुकी भाजपा के लिए फिर से रास्ता खुल सकता है। सूत्रों की मानी जाए तो प्रदेश स्तर पर तो भाजपा उत्साहित है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व वर्तमान हालात में सरकार गठन से बचना चाहता है। यही संदेश नीचे तक दिया भी गया है। 

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आपसी झगड़े ने डुबोई नाव 


पिछले एक-डेढ़ साल में कांग्रेस और जदयू के आपसी झगड़े ने दोनों संगठनों को पस्त कर दिया है। इस्तीफा देने वाले विधायक भी सरकार की असफलता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। उनकी आड़ में खड़े होकर सरकार गठित करने से कालिख भाजपा पर लग सकती है। यही नहीं नई सरकार के स्थायित्व पर भी तलवार लटकती रहेगी। लिहाजा भाजपा नेतृत्व नया चुनाव ही चाहेगा। अगर ऐसा हुआ तो सरकार गिरने पर विधानसभा कुछ दिनों के लिए निलंबित हो सकती है।

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