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राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक बार फिर बगावती तेवर दिखाए

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 16th February , 2023 01:05 pm

राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक बार फिर बगावती तेवर दिखाए है। पायलट ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान को गहलोत समर्थक मंत्रियों पर ऐक्शन लेना चाहिए। समाचार एजेंसी से बात करते हुए सचिन पायलट ने राजस्थान में 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ पर अब तक कार्रवाई नहीं होने की बात कहकर इस मुद्दे को फिर उछाला है। पायलट ने तीनों नेताओं पर जल्द निर्णय के साथ ही कांग्रेस आलाकमान से 81 इस्तीफे किसके दबाव, धमकी या लालच में हुए थे, इसकी भी जांच करने की मांग की है।

पायलट ने कहा- विधानसभा स्पीकर ने हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में इसका उल्लेख किया गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटोकॉपी थे और बाकी को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि वे विधाय​कों ने अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे। यह एक कारण था, जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे अस्वीकार किए। पायलट ने कहा- ये इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे। अगर वे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे तो ये किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था। यह एक ऐसा विषय है, जिस पर पार्टी की ओर से जांच किए जाने की जरूरत है।

पायलट ने कहा- 'पिछले साल जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश की अवहेलना करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में बहुत ज्यादा देरी हो रही है। हमें अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा। जिन नेताओं को नोटिस दिए गए थे उसमें कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस लीडरशिप ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में फैसला लेने में बहुत ज्यादा देरी हो रही है। विधायक दल की बैठक तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई थी और ऐसे में बैठक नहीं होना पार्टी के निर्देश की अवहेलना थी।

उन्होंने कहा- 'विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई थी। यह बैठक नहीं हो सकी। बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई। जो लोग बैठक नहीं होने देने और विधायक दल की पैरेलल बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे, उन्हें अनुशासनहीनता के लिए नोटिस दिए गए थे। मुझे मीडिया से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मुझे लगता है कि एके एंटनी के नेतृत्व वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि निर्णय लेने में इतनी ज्यादा देरी क्यों हो रही है?

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने बुधवार को कहा कि पिछले साल जयपुर में पार्टी विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में भाग नहीं लेकर तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश की अहवेलना करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में अत्यधिक विलंब हो रहा है। अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा। गहलोत के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को चार महीने पहले दिए गए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं. वे ही बता सकते हैं कि मामले में निर्णय लेने में अप्रत्याशित विलंब क्यों हो रहा है। पायलट ने बताया कि विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री की ओर से बुलाई गई थी, लेकिन यह बैठक नहीं हो सकी।

पायलट ने कहा कि बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक नहीं होने दी गई जो लोग बैठक नहीं होने देने और समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे उन्हें अनुशासनहीनता का नोटिस दिया गया। उन्होंने कहा कि मुझे मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए, लेकिन जवाब के बाद भी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि एके एंटनी के नेतृत्व वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं, लेकिन निर्णय लेने में ज्यादा विलंब हो रहा है।

पायलट ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में उल्लेख किया है। हलफनामे में उल्लेख किया गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटोकॉपी थे और शेष को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि वे अपनी मर्जी से नहीं दिए थे। इसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने इस्तीफे अस्वीकार कर दिए। उन्होंने कहा कि इस्तीफे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे इसलिए अस्वीकार कर दिए गए. अब ये सवाल है कि अगर वे अपनी मर्जी से नहीं दिए थे तो ये किसके दबाव में दिए गए। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था। यह एक ऐसा विषय है जिस पर पार्टी की ओर से जांच किए जाने की जरूरत है।

 

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