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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा

[Edited By: Rajendra]

Saturday, 18th February , 2023 12:47 pm

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा। चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न धनुष-बाण मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को देने का फैसला किया। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने बाला साहेब ठाकरे का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वे कह रहे हैं कि पैसा गया तो फिर कमा लिया जाएगा, लेकिन नाम गया तो कभी वापस नहीं आएगा।

राज ठाकरे ने वीडियो को ट्विटर पर शेयर किया है। उन्होंने कहा , ''बालासाहेब द्वारा दिया गया शिवसेना का विचार का विचार कितना सही था, आज हम एक बार फिर जानते हैं '' वीडियो में बालासाहेब कह रहे हैं कि पैस जाएगा तो वापस कमा लिया जाएगा, लेकिन एक बार नाम गया तो कभी वापस नहीं आएगा। इसलिए नाम बड़ा करो। नाम ही सब कुछ है।

चुनाव आयोग के फैसले के बाद एकनाथ शिंदे ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया, तो संजय राउत ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। राउत ने कहा कि इसकी स्क्रिप्ट पहले से तैयार थी। उन्होंने आरोप लगाया कि देश तानाशाही की ओर बढ़ रही है। हम जनता के दरबार में नया चिह्न लेकर जाएंगे और फिर से शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे।

उद्धव ठाकरे गुट के नेता आनंद दुबे ने चुनाव आयोग के फैसले की निंदा की। उन्होंने कहा कि जो फैसला आया है, उसका अंदेशा हमें पहले से ही था। हम कहते रहे हैं कि हमें चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है। मामला जब सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है और अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया तो चुनाव आयोग द्वारा जल्द बाजी क्यों दिखाई गई। यह दिखाता है कि चुनाव आयोग भाजपा सरकार के एजेंट के रूप में काम करता है।

19 जून 1966 को बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया था। पिता की बनाई 57 साल पुरानी पार्टी का चुनाव चिन्ह ठाकरे परिवार के हाथ से निकल गया। भारतीय चुनाव आयोग के फैसले में यह तय हुआ कि ठाकरे गुट के बजाय शिंदे गुट के पास आधिकारिक नाम शिवसेना और पार्टी का चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ रहेगा। इससे ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा है। इससे पहले भी कई ऐसे राजनीतिक दल हैं जिन्होंने अलग होने के बाद वास्तविक चुनवी चिह्न की मांग की है।

चुनाव आयोग ने बताया कि उसने शिंदे गुट के पक्ष में फैसला विधानसभा में कुल 67 विधायकों में से 40 एमएलए का समर्थन उनके पास होने के कारण दिया है। वहीं संसद में भी शिंदे गुट के पास ज्यादा सांसद हैं। आयोग ने कहा कि 13 सांसद शिंदे गुट के साथ हैं, तो वहीं 7 उद्धव ठाकरे के साथ। यही कारण है कि शिंदे गुट को वास्तविक चुनवी चिह्न दिया गया है और ठाकरे गुट से 6 दशक पुराना चिह्न वापस ले लिया गया।

उधर, फैसले से गुस्साए उद्धव ठाकरे ने इसे प्रजातंत्र की हत्या करार दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास अभी मामला विचाराधीन है तो आयोग को इतनी जल्दीबाजी क्यों थी? उद्धव ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात तो कही ही है साथ ही उनके दिमाग में टेंशन भी आ गई है कि 57 साल पुरानी जिस राजनीतिक विरासत को उनके पिता और बालासाहेब ने शुरू किया था और उन्हें सौंपा था, उसका भविष्य क्या होगा?

उद्धव ठाकरे ने शनिवार को उनके गुट के विधायक, सांसद और पदाधिकारियों की आपात बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा कि आयोग के कहने पर उन्होंने तमाम पदाधिकारियों और शिवसेना सदस्यों के हस्ताक्षर वाले हजारों पत्र सौंपे थे। बहुमत उनके पास था लेकिन, जब आयोग को विधायक और सांसदों की संख्याबल से ही फैसला लेना था तो हमारा टाइम क्यों बर्बाद किया? बता दें कि शिंदे गुट के पास 50 से ज्यादा शिवसेना विधायकों का समर्थन है। वहीं, उद्धव के पास सिर्फ 15 विधायकों का साथ। ऐसे ही सांसदों में ज्यादातर शिंदे के पास हैं।

उद्धव ठाकरे के पास विकल्पों की कमी है। शिवसेना सिंबल पर आयोग का फैसला आने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उद्धव को सलाह दी है कि वो सबकुछ भूलकर फिर से पार्टी को शुरू करें। सिंबल कुछ मायने नहीं रखता। उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का हवाला दिया और कहा कि कैसे कांग्रेस दो बैल से हाथ पर आई। लोगों का विश्वास चेहरे पर होता है न कि सिंबल पर। पवार ने भरोसा जताया कि शिवसेना उद्धव का ही साथ देगी।

उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की भी बात कही है। सूत्रों का कहना है कि सोमवार को उद्धव गुट आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। साथ ही त्वरित सुनवाई के लिए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से अपील भी कर सकता है। गुट का आरोप है कि आयोग ने उनकी दलीलों को बिल्कुल नहीं सुना।

 

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